शिवराज सिंह का झांसा साबित हुई किसान मित्र योजना

नारों और वादों के शोर में सत्तासीन भाजपा सरकार के लिए अब घोषणाओं पर अमल करना भारी पड़ रहा है।


भोपाल,26 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। चुनावी वैतरणी पार करने के लिए पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन फानन में जो घोषणाएं की थीं उनकी असलियत अब सामने आने लगी है। राज्य के ऊर्जा विभाग ने शासन से दो टूक कह दिया है कि विभाग के पास बिजली और कोयला खरीदने का बजट समाप्त हो गया है। बिजली पर दी जा रही छूट की वजह से हालत ये हो गई है कि कई इलाकों में सौ रुपयों की लागत में से मात्र सत्रह पैसे ही प्राप्त हो रहे हैं। ऐसे में किसान मित्र योजना जैसी घोषणाओं को पूरा करना संभव नहीं है।


मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने पदभार ग्रहण करते ही शासन के आला अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि उन्हें राज्य की वित्तीय स्थिति से अवगत कराया जाए। पिछली सरकार की घोषणाओं को पूरा करने की जवाबदारी भी नई सरकार की है। ऐसे में अफसरों ने वाहवाही के लिए शुरु की गई योजनाओं की सच्चाई नए मुख्यमंत्री के सामने रख दी है। बिजली,सड़क और पानी की गारंटी देने वाली भाजपा सरकार असलियत जानकर असमंजस में पड़ गई है।


मुख्यमंत्री को बताया गया है कि पूर्ववर्ती सरकार ने ऊर्जा विभाग के मुनाफे में से ही इस योजना को चालू करने का प्रावधान किया था। योजना में शर्त डाली गई थी कि ट्रांसफार्मर, खंभे और वायर आदि तमाम सामान किसानों को बिजली कंपनियों से ही खरीदना पड़ेगा। जिसकी कीमतें पहले से ही बाजार भाव से ज्यादा तय कीं गईं थी।जाहिर है ऐसे में पचास फीसदी छूट तो महज कागजी थी। इसके बावजूद विभाग के पास योजना पूरी करने लायक धनराशि भी नहीं है।


सितंबर माह में जबसे इस योजना की घोषणा की गई थी तबसे किसानों ने उत्साह में भरकर कनेक्शन के लिए औपचारिकताएं पूरी कीं थीं। नए ट्रांसफार्मर के लिए जल स्रोत और भूमि का रिकार्ड सत्यापित करवाया जाना था। किसानों को कृषि विभाग से जलस्रोत सत्यापित करवाना था और पटवारी से भूमि का नक्शा भी प्रमाणित करवाना था।किसानों ने भारी मशक्कतके बाद फार्म में दी गई शर्तों के आधार पर दस्तावेज जमा करवाए थे।बिजली कंपनी ने किसान को पंजीयन क्रमांक जारी करके कहा था कि जब हमारी ओर से मूल्य आकलन करवाया जाएगा तब आपको डिमांड के अनुसार धनराशि जमा करवाना पड़ेगी।
इस योजना को दो सालों में पूरा किया जाना था। पहले साल दस हजार ट्रांसफार्मर रखे जाने थे। इस बीच सरकार चुनाव में चली गई और योजना पर अमल रोक दिया गया। अब जबकि भाजपा की ही नई सरकार सत्ता में आ गई है तब उसे योजना पर अमल शुरु करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली कंपनी के सामने तो अभी सबसे बड़ा संकट बिजली खरीदने और बिजली उत्पादन के लिए कोयला खरीदने का है।कोयला कंपनियों ने अपनी उधारी वसूलने के लिए तकादा करना शुरु कर दिया है।


इस संबंध में जब ब्यावरा विधायक और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नारायण पंवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की कोई योजना बंद नहीं की गई है। विभागों का आबंटन होने के बाद संबंधित मंत्रीगण जनता से किएगए वायदों पर अमल सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह सरकार ने किसान मित्र योजना के लिए बजट शुरु किया था या नहीं इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। यदि विभाग के अफसरों को कोई परेशानी महसूस हो रही है तो उनकी सरकार आवश्यक कदम उठाएगी।


गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी वित्तीय क्षमताओं से भी ज्यादा कर्ज लेकर जिन योजनाओं की घोषणा की थीं वे अब नई सरकार के लिए जी का जंजाल बन गईं हैं। देखना है कि बदले हालात में नई सरकार योजनाओं के लिए धन कहां से और कैसे लाती है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को सिंहस्थ में कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए भरपूर प्रशंसा मिली थी लेकिन तब सरकार धड़ाधड़ कर्ज लेकर धन मुहैया करा रही थी पर अब कर्ज की सीमा निर्धारित दायरे को पार कर गई है ऐसे में नई सरकार ज्यादा कर्ज नहीं ले पाएगी और उसे योजनाओं के लिए धन की वसूली तेज करनी होगी।

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