फार्मा उद्योग में क्रांतिकारी साबित होगी नई शिक्षा नीतिःसंजय जैन

भारत में फार्मेसी की पढ़ाई को नईशिक्षा नीति के अनुरूप विकसित करने के लिए आज सैम कालेज आफ फार्मेसी ने एक सेमिनार का आयोजन किया।इसमें मध्यप्रदेश फार्मेसी काऊंसिल के अध्यक्ष संजय जैन को सम्मानित किया गया।


भोपाल,06 मार्च(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। पांच लाख करोड़ रुपयों की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पूरा करने में भारत का फार्मा उद्योग बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से फार्मेसी की पढ़ाई में उद्योंगों की सीधी भागीदारी बढ़ाकर हम भारत और दुनिया के लिए बेहतर फार्मासिस्ट तैयार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश फार्मेसी काऊंसिल के अध्यक्ष और फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया के सदस्य संजय जैन ने भोपाल के सैम कालेज आफ फार्मेसी की ओर से होटल रैडिसन में आयोजित सेमिनार में ये कहा। राष्ट्रीय फार्मेसी शिक्षण दिवस के अवसर पर आयोजित फार्मा अन्वेषण नामक इस विचार मंथन शिविर में उद्योगों से जुड़े अनेक वक्ताओं ने भी फार्मा सेक्टर को मजबूत बनाने के मंत्र सुझाए।
सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय की चांसलर प्रीति सलूजा, सैमं विश्विद्यालय के कुलगुरु डॉ.आर.के.रघुवंशी,मुख्य अतिथि के रूप में पधारे फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया की शिक्षा नियंत्रण समिति के चेयरमेन डॉ.दीपेन्द्र सिंह, सर हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर के फार्मेसी विभाग के प्रोफेसर एस.के.जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सैम फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ.शैलेश जैन ने विषय का प्रवर्तन करते हुए नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद फार्मेसी के अध्ययन और अध्यापन में आ रहीं चुनौतियों की ओर सभी वक्ताओं का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत में फार्मेसी की शिक्षा के जनक प्रोफेसर स्वर्गीय एम.एल. सराफ के चित्र पर दीप जलाकर सभी अतिथियों ने पुष्प अर्पित किए । सरस्वती पूजन के बाद उद्घाटन सत्र का शुभारंभ हुआ।
मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मध्यप्रदेश फार्मेसी काऊंसिल के अध्यक्ष संजय जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए नई शिक्षा नीति को लागू करवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अब वे उज्जैन के नजदीक विकसित किए जा रहे सर्जिकल उपकरणों के विशेष औद्योगिक क्षेत्र के माध्यम से फार्मा सेक्टर को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मोंटू पटेल ने भारत सरकार से फार्मा उद्योग में आ रहीं अड़चनें दूर करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है। आजादी के बाद उद्योग की जरूरतों के मद्देनजर कोई सहयोगी कानून नहीं थे। फार्मेसी एक्ट 1948 का बना हुआ था। अब संसद ने नए फार्मेसी अधिनियम को मंजूरी प्रदान कर दी है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री जन औषधि के माध्यम से आम जनता को सस्ती और गुणवत्ता पूर्ण औषधियां उपलब्ध कराने की पहल की है। मध्यप्रदेश के एक युवा आकाश जी ने सभी जिलों में दवाईयों की सप्लाई की प्रणाली को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया है। पीथमपुरा में बन रहीं दवाईयां विदेशों को सप्लाई की जा रहीं हैं और देश की आय बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। उन्होंने सैम विश्वविद्यालय और फार्मेसी कालेज के शिक्षकों और विद्यार्थियों को एक महत्व पूर्ण अनुष्ठान में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए बधाई और शुभकामनाएं भी दीं।
फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया की शिक्षा समिति के अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने फार्मेसी शिक्षण की सामग्री को इतना सहज बना दिया है कि जो जानकारियां ढूंढ़ने में हमें कई दिन लग जाते थे अब वे जानकारियां चुटकियों में हासिल की जा सकती है। यही वजह है कि दवाईयां बनाने में कम समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का औषधि क्षेत्र पहले बहुत विकसित रहा है। हमारे विद्यार्थी शिक्षा पाने के लिए गुरुकुलों में जाते थे, जहां विद्यार्थी की अभिरुचि और क्षमता के अनुसार उसे काम दिया जाता था। नई शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के बाद एक बार फिर शिक्षा का वही दौर लौटेगा। अब व्यावहारिक शिक्षा के लिए विद्यार्थी को शिक्षक से ज्ञान अर्जित करने में आसानी होगी। यह शैक्षणिक पद्धति विद्यार्थी को अपने विषय चयन करने और बदलने की आजादी देती है। इतने विशाल कैनवास पर अध्यापन होने से शिक्षण का कार्य बहुत चुनौतीपूर्ण भी हो गया है।
उन्होंने कहा कि हमें ऐसे लोगों के लिए दवाईयां बनानी होती हैं जो तनाव और बीमारियों से जूझ रहे हैं। जाहिर है इसके लिए हमें आम लोगों के मनोविज्ञान को भी समझना पड़ता है। हम शरीर के लिए उपयोगी रसायनों के साथ साथ संगीत और खुशबू से जुड़ी चिकित्सा विधियों के लिए भी दवाईयां बनाते हैं। पहले देश में फार्मेसी के चार कालेज हुआ करते थे अब लगभग सात हजार कालेज हैं। ऐसे में विद्यार्थी तो बहुत हैं लेकिन गुणवत्ता पूर्ण फार्मासिस्ट तैयार करना आज के फार्मा सेक्टर के लिए चुनौती बन गया है। श्री सिंह ने कहा कि फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया ने लगभग तीस बड़ी फार्मा कंपनियों से अनुबंध किया है ताकि वे उद्योगों के लिए जरूरी शैक्षणिक सामग्री और योग्य प्रशिक्षक उपलब्ध करवाकर अच्छे फार्मासिस्ट बनाने में अपना योगदान दे सकें।
डॉ.सर हरिसिंह गौर विवि के फार्मेसी विभाग के प्रोफेसर एस.के.जैन ने कहा कि हम फार्मा सेक्टर के अनुसंधान कर्ताओं और सफल फार्मासिस्टों के माध्यम से बेहतर फार्मासिस्ट तैयार कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति ने जिस व्यापकता के साथ पाठ्यक्रमों को लचीला बनाया है उससे विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुरूप काम चुनने की आजादी मिलने लगी है। सैम यूनिवर्सिटी जैसे कई विश्वविद्यालय फार्मेसी के शिक्षण को गुणवत्ता प्रदान कर रहे हैं उससे आने वाले समय में हमारा देश फार्मा सेक्टर का पुरोधा बन जाएगा।
सैम विश्वविद्यालय की चांसलर इंजी.प्रीति सलूजा ने कहा कि पीसीआई ने सैम फार्मेसी कालेज को देश के फार्मेसी शिक्षण के लिए पाठ्यक्रम अनुसंधान का अवसर दिया है इसके लिए हम उनके प्रति आभारी हैं। श्री सिंह के साथ पीसीआई के सदस्य संजय जैन की पारखी निगाहों ने सैम कालेज को इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के लिए अनुकूल पाया तभी हम देश के शैक्षणिक विकास में अपना योगदान दे पा रहे हैं। गौर विश्वविद्यालय सागर के प्रोफेसर एस.के.जैन के अनुभवी मार्गदर्शन से हम फार्मेसी शिक्षण के लिए महत्वपूर्ण साफ्टवेयर बनाने जा रहे हैं। भारत सरकार ने जिस खुलेपन की नीति पर अमल शुरु किया है उससे हमारे गांवों के प्रतिभाशाली बच्चे भी आगे आकर विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार हो रहे हैं। जल्दी ही हमारे देश में पूरी दुनिया की जरूरतें पूरी करने वाली जेनरिक दवाईयां बनने लगेंगी। इससे हम मानवता के प्रमुख प्रहरी के रूप में सामने होंगे। हमारे फार्मासिस्ट नैतिक भी हैं और तकनीक से सुसज्जित उद्यमी के रूप में भी सामने आ रहे हैं।
कार्यक्रम के पहले सत्र में सैम विवि की चांसलर इंजी. प्रीति सलूजा ने फार्मेसी काऊंसिल आफ इंडिया केशिक्षा समिति के अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह को स्मृति चिन्ह और शाल श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। मध्यप्रदेश फार्मेसी काऊंसिल के अध्यक्ष संजय जैन को कुलगुरु आर.के.रघुवंशी ने शाल श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। प्रोफेसर एस.के.जैन को सैम कालेज के प्राचार्य शैलेश जैन ने स्मृति चिन्ह, शाल और श्रीफल भेंटकर उनका अभिनंदन किया। दूसरे सत्र में सभी विशेषज्ञों और आमंत्रितों ने फार्मेसी के शिक्षण में आ रहीं चुनौतियों को दूर करने में अपने समाधान प्रस्तुत किए। इनमें पाठ्यक्रम की व्यापकता और व्यावहारिकता दोनों पर विमर्श किया गया।

Print Friendly, PDF & Email

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*