सरकार ने तय किया तो विकास पथ पर बढ़ चला सैडमैप


कांग्रेस में भगदड़ मची है और सभी समझदार देशभक्त पुरानी लीक छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। इसकी वजह विकास की वो इबारत है जो मोदी सरकार ने बुलंद आवाज के रूप में उद्घोषित की है। मुक्त बाजार व्यवस्था का आगाज तो भारत में पूर्व प्रधानमंत्री पी व्ही नरसिंम्हाराव की सरकार ने किया था लेकिन उस पर अमल करने का भगीरथ नरेन्द्र मोदी की भाजपा ही कर पाई है। राहुल कांग्रेस आज भी मानने तैयार नहीं है कि उनके पूर्वज कितनी बड़ी गलती कर रहे थे। वे बार बार कांग्रेस की उसी विचारधारा के सहारे फूट के बीज बोकर गरीबी को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं जो उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए लागू की थी। जातिगत जनगणना हो या सरकारीकरण सभी का फटा ढोल पीटती राहुल कांग्रेस आज भी देश में भ्रमजाल फैलाने में जुटी है। अडानी अंबानी को गालियां देकर राहुल गांधी और उनकी चिलम भरने वाले कांग्रेसी बार बार विकास के पैरों में बेडियां पहनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जनता अब इस भ्रमजाल से बाहर निकल चुकी है। मध्यप्रदेश की भाजपा पर जबसे शिवराज सिंह चौहान की कांग्रेस की पूंछ पकड़कर चलने वाली सरकार का साया हटा है तबसे राज्य की भाजपा देश के मूलभूत विचार पथ पर मजबूती से कदम बढ़ाती नजर आ रही है। सरकार के निगम,मंडलों और संस्थाओं में सरकार की बदली कार्यप्रणाली की छाप स्पष्ट तौर पर दृष्टिगोचर होने लगी है। डॉक्टर मोहन यादव सरकार ने उन फिजूल योजनाओं को बंद कर दिया है जिनके माध्यम से सत्ता माफिया अपना उल्लू सीधा करता था। गरीब कल्याण की बात कहकर माफिया के गुर्गे ठेके, सप्लाई ,निर्माण आदि में खजाने की चोरी करते थे। हालांकि आज भी इन मुफ्तखोरों पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया है इसके बावजूद सरकार के प्रतिष्ठान इन नई राह पर धीरे धीरे बढ़ चले हैं। सरकार को प्रशिक्षित कार्यबल उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया सैडमैप अपने काम को कुशलता पूर्वक अंजाम दे रहा है। सरकार के संरक्षण में यहां ऐसा प्रबंधन अपना कार्य कर रहा है जिससे संस्थान की आय में कई गुना इजाफा हो गया है। सिक्योरिटी एजेंसी, प्रशिक्षण संस्थाओं और नियोक्ताओं की आड़ में मलाई काटने वाले माफिया को खदेड़कर बाहर कर दिए जाने से मुफ्तखोरों का एक बड़ा वर्ग आहत हो गया है। भारत सरकार हो या राज्य सरकार दोनों आगे बढ़ते इस संस्थान को लगातार अपना संरक्षण और संबल प्रदान कर रहे हैं। वे जानते हैं कि विरोध या गड़बड़ियों के आरोप लगाने वाले कौन हैंऔर क्यों तिलमिला रहे हैं। जिन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बंद किया गया है उनके विकल्प के रूप में जो ढांचा खड़ा किया जा रहा है वह युवाओं के लिए ज्यादा उपयोगी और कारगर है। सरकार पर बोझ घटाने में भी ये सुधारात्मक उपाय सहयोगी साबित हो रहे हैं। दरअसल आजादी के बाद से संरक्षण वाद और बेचारगी को सहारा देने का जो भाव सरकारों के बीच पनप गया था उससे इतर कोई भी उपाय लोगों को आक्रामक नजर आता है। लोगों को लगता है कि यदि सरकार ने कृपा नहीं की तो देश भूखों मर जाएगा। जबकि जनता के विकास कार्यों को संरक्षण देने का सबसे उचित तरीका यह है कि उन पर से मुफ्तखोरों का बोझ हटा दिया जाए। यदि माफिया के संरक्षण में पनप रहे ये मुफ्तखोर खदेड़ दिए जाएंगे तो जाहिर है कि सरकार की कार्यक्षमता में जो इजाफा होगा उसका लाभ सीधे आम जन को मिलने लगेगा। सैडमैप अपने आर्थिक संसाधनों को लगातार विकसित कर रहा है और अपनी उपयोगिता स्थापित करता जा रहा है। कमोबेश ऐसे ही सुधार तमाम निगम मंडलों के लिए अपरिहार्य है। सरकार को कारगर और उपयोगी समूहों का नेतृत्व कर्ता बनाना है तो जाहिर है कि गरीबी और बेचारगी के नाम पर फल फूल रहे माफिया की विदाई करना सबसे उचित फैसला होगा। इसका विरोध करने वालों को भी अपनी सोच पर एक बार ठहरकर आत्ममंथन करना चाहिए ताकि वे अपनी गलतियों को सुधार सकें।

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