चुनावी रण में फैली भाजपा की राजनैतिक शुचिता की खुशबू

रतलाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई संदेश देने का प्रयास किया है.

भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र और राज्य सरकारों ने अपनी अंत्योदय की विचारधारा पर अमल करते हुए गरीब कल्याण की जो योजनाएं शुरु की हैं उनका असर चुनाव प्रचार अभियान में साफ नजर आने लगा है। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल रतलाम से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन जिन उमंगों से भरे जन समुदाय ने किया उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है। इस चुनाव प्रचार अभियान में भाजपा के नेतागण जन शिक्षण के लिए सिलसिलेवार संवाद कर रहे हैं। इससे चंद दिनों पहले जिन सर्वेक्षणों के अनुमानों में भाजपा पिछड़ी बताई जा रही थी उनके आकलन अब बदलने लगे हैं। रतलाम में प्रधानमंत्री की सभा आयोजित कराने का फैसला भी पार्टी ने केवल इसीलिए लिया क्योंकि पिछले चुनावों से लेकर अब तक भाजपा ने आदिवासी समुदाय तक अपनी ढेरों योजनाओं की सीरीज पहुंचा दी है। पिछले चुनावों में आदिवासी समुदाय कांग्रेस की लफ्फाजियों का कड़वा घूंट भी पी चुकी है। ऐसे में भाजपा की योजनाएं उसे राहत महसूस करा रहीं हैं। चंद दिनों पहले ये हवा बनाई गई कि शिवराज सिंह चौहान और एमपी की भाजपा से जनता ऊब चुकी है। चुनावी सभाओं में भाजपा नेतृत्व को जो समर्थन मिलता दिख रहा है उसे भी ये कथित चुनावी पंडित नहीं देखना चाहते। हकीकत ये है कि कांग्रेस अपने कड़वे और ओछे बर्ताव से लगातार जन समर्थन खोती जा रही है। आज मध्यप्रदेश का बजट तीन लाख चौदह हजार करोड़ रुपए का है। भाजपा ने हर वर्ग और समुदाय के लिए योजना बनाकर उत्पादकता बढ़ाने का अभियान चला रखा है। जबकि प्रदेश की आय मात्र पचासी हजार करोड़ रुपए है। ऐसे में सरकार ने अपनी निर्धारित सीमा में कर्ज लिया है और योजनाओं पर अमल किया है। दरअसल सरकार जिन दस लाख लोगों को नियमित वेतन देती है उसमें सरकार की आय में से पचास फीसदी से अधिक राशि खर्च हो जाती है। ऐसे में वह मात्र तीस -चालीस हजार करोड़ रुपए से योजनाएं चलाकर आय बढ़ाने के साधन विकसित कर रही है। अकेले वेतन-भत्ते को देखें तो वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक पचास हजार करोड़  रुपये से अधिक इस पर व्यय हो रहे हैं। पेंशन और ब्याज भुगतान की सीमाएं भी बढ़ती जा रहीं हैं। सरकार की लाड़ली बहना योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना ,किसान सम्मान निधि,मुफ्त राशन वितरण, उज्जवला योजना, घर घऱ जल पहुंचाने वाले जल जीवन मिशन आदि को लेकर ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि शिवराज सिंह जनता के टैक्स की गाढ़ी कमाई फिजूल लुटा रहे हैं। जबकि हकीकत बिल्कुल विपरीत है। जिस राज्य की आय मात्र पिचासी हजार करोड़ रुपए हो और वह तीन लाख चौदह हजार करोड़ रुपए खर्च करे तो ये उसके कुशल वित्तीय प्रबंधन के बगैर संभव नहीं है। सरकार की इन योजनाओं पर देश विदेश और प्रदेश से जिस तरह धन बरस रहा है वह सरकार की साख के बगैर आना संभव नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने इस कार्य में वित्तीय प्रबंधन में कुशल लोगों की सेवाएं ली हैं। कभी लाचार रहे मध्यप्रदेश को वित्तीय साधन उपलब्ध कराने वाले राघवजी भाई आज भले ही नेपथ्य में हों लेकिन रतलाम में आयोजित जनसभा में मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता और रतलाम विधायक चेतन काश्यप के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा का अक्षय पात्र कभी खाली नहीं हो सकता। पार्टी ने पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया को दमोह से प्रत्याशी बनाया है जो अर्थव्यवस्था के खासे जानकार हैं।जावद से ओमप्रकाश सखलेचा हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र सखलेचा के पुत्र हैं और औद्योगिकीकरण के विशेषज्ञ हैं।लघु और मध्यम उद्योगों के विकास में उन्होंने नए माडल विकसित किए हैं।सागर के शैलेन्द्र जैन प्रसिद्ध बीड़ी घराने से आते हैं।स्थिति ये है कि उनकी साख की काट के रूप में कांग्रेस ने उनके ही छोटे भाई सुनील जैन की धर्मपत्नी को मैदान में उतार दिया है। ये कांग्रेस की हताशा नहीं तो क्या है। शिवपुरी से देवेन्द्र जैन, निवाड़ी से अनिल जैन,जैसे प्रत्याशी उतारकर भाजपा ने अपने उद्यमी समर्थकों का भरोसा जीतने का प्रयास किया है।कांग्रेस बरसों से भाजपा के ऐसे सहयोगियों को काटने का प्रयास करती रही है। इसी फेर में उसने भी कई जैन प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं लेकिन नकली ढोल की पोल चुनावी दौड़ में फटती नजर आ रही है।  ये समुदाय अपनी उद्यम शीलता और दान शीलता के लिए जाना जाता है।केवल रतलाम में चैतन्य काश्यप फाऊंडेशन के माध्यम से लोकसेवा की परिभाषा बदल दी गई है। गरीबी से मुक्ति, सामाजिक उत्थान, धार्मिक सद्भाव,खेल और शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए फाऊंडेशन ने जो कार्य किए हैं वे अदभुत हैं। यहां अहिंसा ग्राम बनाकर लगभग सौ परिवारों को निःशुल्क आवास दिए गए हैं। यहां आजीविका, रोजगार प्रशिक्षण,संस्कार, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्थाएं एक ही परिसर में उपलब्ध हैं। इसी तरह मंदसौर के बिलांत्री गांव में पंडित दीन दयाल शताब्दी ग्राम बसाया गया है। फाऊंडेशन की ओर से कुपोषित बच्चों का जीवन संवारने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। समाजसेवा में संलग्न लोगों के लिए स्थायी भोजनशाला ही बना दी गई है।यहां बनाया जा रहा गोल्ड काम्पलेक्स आने वाले समय में देश की सबसे बड़ी सोने की मंडी साबित होने जा रहा है। भाजपा ये संदेश देने का प्रयास कर रही है कि राजनीति सेवा का माध्यम है न कि सत्ता की लूट का उपाय। आदिवासी अंचल में इन योजनाओं के माध्यम से भाजपा ने तस्वीर ही बदलकर रख दी है। जिस आदिवासी अंचल का माछलिया घाट लूट के लिए जाना जाता था वह आज खेती और विकास के लिए जाना जाता है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की कमलनाथ दिग्विजय सिंह ब्रिगेड ने जयस के माध्यम से आदिवासियों को बरगलाने का प्रयास किया था जो भाजपा के बहुमत से पिछड़ने की बड़ी वजह बना था। इस बार काठ की वो हांडी चढ़ने लायक नहीं बची है। लाड़ली बहना योजना से लगभग एक लाख तीस हजार करोड़ महिलाओं को लाभ दिया जा रहा है। ये परिवार प्रदेश की प्रगति में वर्कफोर्स को बढ़ाने का साधन बन रहे हैं। इन योजनाओं को बदनाम करने वाले आरोप लगाते हैं कि इससे शराबखोरी और मक्कारी बढ़ रही है जबकि वे ये नहीं देखते कि किस तरह उत्पादकता में लगे लोगों को सरकार की योजनाएं संबल प्रदान कर रहीं हैं। किसान सम्मान निधि ने कृषकों को इतना उत्साहित किया है कि आज कृषि उत्पादन सारे पिछले रिकार्ड तोड़ रहा है। सिंचाई की योजनाओं ने खेती का उत्पादन बढ़ाया है। इसके बावजूद सत्ता को चोरी और ठगी का माध्यम बनाने वाले मक्कार लगातार भ्रम फैलाकर सत्ता पर काबिज होने का प्रयास कर रहे हैं जिस कांग्रेस ने देश को भाषा, जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर बांटकर अपनी रोटियां सेंकी वही ये कहती फिर रही है कि सत्ता की रोटी पलटते रहना चाहिए नहीं तो जल जाती है। इसके बावजूद प्रदेश की जनता ने चार बार से भाजपा को सत्ता पर बिठाया और पांचवी बार भी उसका यही इरादा नजर आ रहा है। कई चूक भी हुई हैं। भाजपा ने सत्ता और संगठन के महत्वपूर्ण पद अपने चहेतों से भर दिए , इसके कारण जनसंवाद की निरंतरता बाधित हुई है। अब चुनावी जन शिक्षण के दौरान भाजपा के नेता अलग अलग अंदाज में अपनी बात कह रहे हैं। इससे जनता में फैलाए गए भ्रम का कुहासा छंटने लगा है। भाजपा ने अपना यही जन शिक्षण जारी रखा तो कोई आश्चर्य नहीं कि वह मध्यप्रदेश में  गुजरात से भी ज्यादा बंपर जीत का रिकार्ड बना सकती है। मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा कहते हैं कि हमारे 41 लाख कार्यकर्ता यदि हमारे दो करोड़ 51 लाख हितग्राहियों को वोट डलवाने में सफल हो जाते हैं तो हमारी सरकार ज्यादा मत प्रतिशत से विजयी हो जाएगी। जिन एक करोड़ नागरिकों को हमने प्रदेश में गरीबी के जंजाल से बाहर निकाला है वे भाजपा की सेवा भावी राजनीति के एंबेसेडर बन चुके हैं।कुल पांच करोड़ 61 लाख मतदाताओं में से 56 फीसदी तक भाजपा की हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ पहुंचा है ऐसे में हमारी जीत का आंकड़ा पिछले सभी रिकार्ड तोड़ सकता है। लोकतंत्र और निष्पक्षता की दुहाई देकर कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की पैरवी करने वालों को समझ लेना होगा कि भाजपा का विकल्प अब केवल बेहतर भाजपा ही हो सकती है। भाजपा हाईकमान को भी अपनी जवाबदारी समझना होगी और उसे भ्रष्ट सत्तामाफिया के कठपुतली शासकों को विदा करके खांटी जनसेवकों को कमान थमानी होगी,तभी दीनदयाल उपाध्याय जी का अंत्योदय प्रदेश को नई ऊंचाईयों तक ले जा सकेगा।

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