त्रिशला महिला मंडल की कव्वाली ने देव दर्शन सिखाया


अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिचय सम्मेलन भोपाल

भोपाल,3 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर )। अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिचय सम्मेलन के पहले दिन आज शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ने देश विदेश से आए युवाओं में उमंग और उल्लास का संचार कर दिया।आयोजन स्थल और सुदूर देशों में बैठे युवाओं के रिश्तेदारों ने भी इस कार्यक्रम का आनंद लिया।यह प्रस्तुति आयोजन की व्यवस्था संभाल रही त्रिशला महिला मंडल की ओर से दी गई थी।
त्रिशला महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती विजय लक्ष्मी भारिल्ल ने बताया कि लगभग एक महीने से आयोजन की व्यवस्थाओं में जुड़ी महिलाओं और युवतियों ने अपने कार्य के बीच समय निकालकर ये प्रस्तुतियां तैयार की थीं।इन कार्यक्रमों को जिस खूबसूरती के साथ लड़ी में पिरोया गया था उससे परिचय सम्मेलन में आए युवा भी आल्हादित हो उठे।
आयोजन की व्यवस्थाएं संभाल रही गुणाली जैन ने …रेशम की है डोरी.. नृत्य से सभी का मन मोह लिया। एक नृत्य ….बड़े बाबा मेरे आदिनाथ…की प्रस्तुति से सुश्री शिवाली जैन ने पंडाल में मौजूद लोगों को भाव विभोर कर दिया। श्रीमती आरती जैन और नितिका ने जय हो रामेश्वरा नृत्य प्रस्तुत करके ओज भरा माहौल निर्मित कर दिया। मनस्वी जैन ने नमोकार मंत्र है प्यारा से जैन सांस्कृतिक चेतना का उद्घोष किया। इस बीच मंच संचालन में सहयोग दे रहे प्रसन्न जैन ने चुटकुले सुनाकर लोगों को लोटपोट कर दिया।
त्रिशला महिला मंडल की सदस्य महिलाओं के बच्चों ने हम याद करें सती ब्राह्मी भजन पर भावपूर्ण प्रस्तुति दी। श्रीमती सोना विमित जैन ने बुंदेलखंडी विदाई गीत गाकर युवक युवतियों और उनके अभिभावकों की आंखें नम कर दीं। बुंदेलखंडी परिवेश में कन्या के जन्म से लेकर विदाई तक के विभिन्न पहलुओं को उन्होंने ढपली बजाकर बहुत सुंदर अंदाज में प्रस्तुत किया। श्रीमती आरती, नितिका, प्रिया और नेहा जी ने एक समूह नृत्य करके पनघट की संस्कृति को मनोहारी अंदाज में प्रस्तुत किया। नयापुरा जैन मंदिर से जुड़ी त्रिशला महिला मंडल की सदस्यों ने लुक छुप न जाओ जी की प्रस्तुति दी।
त्रिशला महिला मंडल की सदस्यों ने अरे माता बहनों जरा ये तो बता दो कि मंदिर में श्रंगार भला किसलिए है कव्वाली गाकर जैन समाज में नियमित दर्शन जाने की प्रेरणा दी। उन्होंने मंदिर को ध्यान स्थल बताते हुए यहां होने वाली लापरवाहियों को भी रेखांकित किया। महिलाओं ने बताया कि मंदिर में जाकर शास्त्र पढ़े जाते हैं , कुछ लोग जिस तरह मंहगे वस्त्रों, आभूषणों के प्रदर्शन तक स्वयं को सीमित कर लेते हैं वह जैन आगम में भी निषिद्ध है और स्वयं के व्यक्तित्व विकास में भी बाधक होता है। कव्वाली के व्यंगात्मक लहजे के बीच उन्होंने बताया कि जैन धर्म ईश्वर के दर्शन और आराधना से अपनी इंद्रियों पर विजय का मार्ग प्रशस्त करना सिखाता है।
अनुशासन ग्रुप की छात्राओं ने लव जिहाद नाटक की प्रस्तुति देकर जैन युवक युवतियों को जीवन साथी के चयन में सावधानी बरतने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि जो युवक युवतियां जवानी के उल्लास में पथ भ्रष्ट हो जाते हैं और अपने माता पिता का मार्गदर्शन ठुकरा देते हैं उन्हें कई अप्रिय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ये सभी छात्राएं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से अपना जीवन संवारने का प्रयास कर रहीं हैं।
नाटिका की लेखक और निर्देशक सुश्री प्राची जैन ने बताया कि लव जिहाद बनाम चक्रवर्ती विवाह नामक इस लघु नाटिका के माध्यम से हमने दो परिवारों के संस्कारों के अंतर को समझाने का प्रयास किया है। एक जैन परिवार है जिसमें माता पिता की परवरिश और जैन संस्कारों के महत्व को रेखांकित किया गया है। जबकि दूसरे परिवार में एक पथ भ्रष्ट विजातीय परिवार है जिसके सदस्य अपनी चालबाजियों से धार्मिक ग्रंथों की आड़ में अनाचार और धोखाघड़ी करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारत के लोग अल्लाह ईशु सबको मानते हैं। कोई धर्म बुरा नहीं है जरूरत है कि हम अच्छाई और बुराई के मर्म को पहचानें। अनुशासन समूह की छात्राओं का यह संदेश महिला सशक्तिकरण में नई पीढ़ी की भूमिका को संबल प्रदान करता है। छात्राओं ने देश की जैन लड़कियों को नाटिका के माध्यम से संदेश देने का प्रयास किया है कि ….नहीं बचे अब देश में कोई ,लव जिहाद का भोगी। हर बेटे बेटी की शादी ,चक्रवर्ती विवाह से होगी।

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