भोपाल,9 मई(प्रेस सूचना केन्द्र)। भगवा आतंकवाद का शोर मचाकर मालेगांव बम धमाके के असली आरोपियों को छुड़ाने और साध्वी प्रज्ञा को आतंकी बताने की साजिश एनआईए की अदालत में धराशायी हो गई। आतंकवाद विरोधी दस्ते(एटीएस) का षड़यंत्र अब केवल सामान्य मुकदमे में बदल गया है जो इतना आधारहीन है कि जल्दी समाप्त हो जाएगा। मुंबई हाईकोर्ट के वकील और साध्वी प्रज्ञा प्रताड़ना कांड की हर कड़ी से वाकिफ रणजीत सांगले ने एक पत्रकार वार्ता में इस षड़यंत्र की सभी बारीकियों का खुलासा किया और इसे सत्ता माफिया का षड़यंत्र बताया।
भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय मंत्री श्री सांगले ने बताया कि एटीएस के प्रमुख स्वर्गीय हेमंत करकरे और उनके सहयोगियों ने अपनी कथित छानबीन के बाद जो कहानी तैयार की थी वो एनआईए की अदालत में हवा हवाई साबित हुई। एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा और उनके सहयोगियों पर लगाया मकोका हटा दिया और केवल सामान्य धाराओं में मुकदमा चलाने की इजाजत दी है। कानूनी प्रक्रियाओं का पालन जरूरी है इसलिए ये मुकदमा चलाया जा रहा है । इस मुकदमे में इतनी खामियां हैं कि वो अदालत में नहीं टिक पाएगा।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के खेमे से साध्वी प्रज्ञा को आतंकवादी कहकर बदनाम किया जाता रहा है। ये कहा जाता है कि वे बीमार थीं इसलिए अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। हकीकत ये है कि न्यायालय को उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया ही बमकांड में शामिल होने के सबूत नहीं मिले। वे स्त्री हैं और साढ़े आठ साल उन्होंने विचाराधीन अवस्था में न्यायिक हिरासत में गुजारे हैं। हिरासत में रहते हुए ही उन्हें कैंसर जैसे रोग ने जकड़ लिया। उन्हें पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा था इसलिए स्वास्थ्य को अतिरिक्त कारण समझकर उनकी जमानत मंजूर की गई।
तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने संसद में झूठा आश्वासन दिया था कि हम गैर कानूनी गतिविधियां प्रतिबंधक कानून और उसके अधीन बनाए गए अधिनियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए न्यायाधीश स्तर का परिवीक्षा अधिकारी नियुक्त करेंगे। उसकी रिपोर्ट पर ही सबूतों की जांच की जाएगी। इसके बावजूद मुकदमे की समीक्षा के लिए कोई स्वतंत्र न्यायिक अधिकारी नियुक्त नहीं किया। विधि विभाग के सरकारी अधिकारी की राय पर साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी की गई थी जिससे सरकार की नियत उजागर होती है।
श्री सांगले ने बताया कि 2008 में घटित मालेगांव बम धमाके में मारे गए और घायल व्यक्तियों की जो रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की उसमें 101 घायलों के इंज्यूरी सर्टिफिकेट फर्जी साबित हुए। छह मृत व्यक्तियों की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के आधार पर डाक्टरों ने अदालत में कहा कि मृतकों के शरीर पर बम धमाके के निशान नहीं मिले थे। कुछ मृत शरीरों में से तो बंदूक की गोलियां तक बरामद हुईं जिससे बम धमाके की कहानी ही काल्पनिक साबित हो रही है। ऐसा लगता है कि वहां कम क्षमता का बम तो फटा लेकिन किन्हीं असामाजिक तत्वों ने बंदूकों से गोलियां भी चलाईं थीं।
उन्होंने कहा कि बम धमाके के बाद साध्वी की मोटरसाईकिल मिलने की कहानी भी कई घुमावदार रास्तों से जोड़ी गई जिससे भगवा आतंकवाद की कहानी एक षड़यंत्र साबित होती है।
गौर तलब है कि भगवा आतंकवाद को हवा देने का काम गृहमंत्री पी चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे के कार्यकाल में हुआ। शिवराज पाटिल और दिग्विजय सिंह ने कई स्थानों पर जिस तरह से इस मुद्दे का हौआ खड़ा किया उससे भी स्पष्ट होता है कि ये एक षड़यंत्र था। बाटला हाऊस एनकाऊंटर में इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की शहादत को जिस तरह से बदनाम करने का षड़यंत्र किया गया उससे तो जांच एजेंसियों से जुड़े लोग साफ समझ गए थे कि हिंदू मुस्लिम वैमनस्य फैलाने के लिए भगवा आतंकवाद की कहानी को बल दिया जा रहा है।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और प्रदेश के जन विद्रोह के बाद हटाए गए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने सहयोगियों के माध्यम से जिस तरह साध्वी प्रज्ञा को आतंकवादी साबित करने का जो प्रयास आज भी कर रहे हैं उससे भी कांग्रेस के षड़यंत्रों का खुलासा हो रहा है। उनकी दूसरी पत्नी और पत्रकार अमृता राय अपने मित्रों के माध्यम से जो कहानियां प्रसारित करने का प्रयास कर रहीं हैं उससे भी भगवा आतंकवाद को लेकर दिग्गी खेमे की सक्रियता उजागर हो रही है। दिग्विजय सिंह हिंदू विरोधी छवि से बचने के लिए कहते रहे हैं कि उन्होंने कभी भगवा आतंकवाद नहीं शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि संघी आतंकवाद कहा था। जबकि हकीकत ये है कि अभिनव भारत जैसे संगठन हिंदुत्व की विचारधारा के तो समर्थक रहे हैं पर आरएसएस से उनका सीधा जुड़ाव नहीं था।
हाल ही में देश के कई अखबारों में कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के लिए बनाई गई एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट का हवाला देकर खबरें छपवाई गईं हैं। जिनमें कथित तौर पर वही कहानी दुहराई गई है जो मालेगांव बम धमाके और समझौता एक्सप्रेस धमाके में एटीएस ने रची थी। ये कहानी एनआईए की सख्त छानबीन में आधारहीन साबित हो चुकी है। इसके बावजूद कांग्रेस का दुष्प्रचार तंत्र इसे लगातार दुष्प्रचारित कर रहा है। भोपाल में साध्वी प्रज्ञा के दावे के बाद जिस तरह कंप्यूटर बाबा के नेतृत्व में बाबाओं की तंत्र साधना और परेड कराई गई उससे भी कांग्रेस का षड़यंत्र जनता के सामने आ गया है। कई बाबाओं ने कैमरे के सामने स्वीकार किया कि उन्हें दक्षिणा देकर बुलाया गया था। जाहिर है कि 12 मई हो होने वाले मतदान में भोपाल की जनता इस मुद्दे पर अपनी राय जरूर देगी।
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