सरकार अफसरों को बदल सकती है दलालों को नहीं- श्रवण गर्ग

भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान माला में चुनाव,समाज और मीडिया पर विचारोत्तेजक चर्चा



मीडिया का बेअसर हो जाना चिंताजनक बोले जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा


भोपाल, 3 मार्च।बढ़ते बाजार वाद ने समाज और मीडिया के बीच की दूरियां कुछ इस तरह बढ़ा दी हैं कि चुनावी राजनीति मौलिक सामाजिक मुद्दों से भटक गई है। सत्ता के इर्द गिर्द ऐसे लोग जमा हो गए हैं जो सत्ता का दुरुपयोग करने में सिद्धहस्त हैं। सरकारें तबादले करके अफसरों को तो बदल सकती हैं लेकिन दलालों और बिचौलियों को बदलना संभव नहीं होता है। वे हर सरकार को घेर लेते हैं और सरकार की जड़ें काट देते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी बेहतरीन कार्य किया जा रहा है लेकिन सत्ता को घेरने वाले लोग असली पत्रकारों का हक छीन लेते हैं। ये विचार वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने आज राजधानी में आयोजित भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किए।इसी विषय पर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कुछ मामलों में मीडिया का दुरुपयोग किए जाने से उसकी साख प्रभावित हुई है जो चिंताजनक है।


डॉ.सर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग अध्यक्ष रहे एवं वरिष्ठ पत्रकार भुवन भूषण देवलिया की जयंती आज राजधानी में गरिमामयी के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में स्वर्गीय देवलिया की पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। विदिशा के पत्रकार गोविंद सक्सेना को इस अवसर पर राज्य स्तरीय भुवन भूषण देवलिया पत्रकारिता सम्मान से विभूषित किया गया। इसमें उन्हें 11 हजार रूपये का चेक,शाल श्रीफल एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया। चुनाव, समाज और मीडिया विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि के तौर पर मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा,प्रमुख वक्ताओं के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग और पटना से आए वरिष्ठ पत्रकार शशिधर खां, विशिष्ट अतिथि के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि भोपाल के कुलपति दीपक तिवारी, ने विषय के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार और सप्रे संग्रहालय के स्थापक विजयदत्त श्रीधर ने की। कार्यक्रम का संचालन लब्ध प्रतिष्ठित उद्घोषक विनय उपाध्याय ने किया। आभार प्रदर्शन जनसंपर्क अधिकारी अशोक मनवानी ने किया।


मुख्य अतिथि और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पहले अखबारों में यदि सत्ता प्रतिष्ठानों के खिलाफ दो लाईनें भी छप जाती थीं तो सरकारें कार्रवाई के लिए मजबूर हो जाती थीं,आज स्थिति ये हो गई है कि अखबारों में छपी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। हम भी प्रदेश की राजनीति करते हैं लेकिन पिछले पंद्रह सालों तक जब सरकार में नहीं थे तब हमारी गतिविधियां अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाती थीं। हमें कह दिया जाता था कि विज्ञापन आ जाने के कारण आपकी खबर नहीं छप पाई है। आज कांग्रेस की सरकार सभी को समान अवसर उपलब्ध करा रही है। यही वजह है कि गोविंद सक्सेना जैसे मेधावी पत्रकार आगे आ रहे हैं। ऐसे पत्रकारों का सम्मान समाज में पत्रकारिता की साख बढ़ाने में सहयोगी साबित होगा। राजनीति और पत्रकारिता का चोली दामन का साथ है। हम लोग अपने मददगार पत्रकारों और निंदा करने वाले पत्रकारों सभी से सीखते हैं और राजनीति को कारगर बनाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्वर्गीय देवलिया जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में किए गए मंथन का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलेगा।


प्रमुख वक्ता के रूप में व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने कहा कि देश में बहुत सारे पत्रकार अच्छा कार्य कर रहे हैं। वे जोखिम भी उठाते हैं और समाज के संवाद को सफल भी बनाते हैं।राजनीति पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारें अफसरों के तबादले तो कर देती हैं लेकिन दलालों और बिचौलियों की भूमिका नहीं बदल पातीं। यही वजह है कि सत्ता प्रतिष्ठान को घेरने वाले बिचौलिए जनता की आवाज सरकार तक नहीं पहुंचने देते। उन्होंने कहा कि डाक्टर राम मनोहर लोहिया कहते थे हमारी और सरकार की भूमिका कभी नहीं बदलती। हम हर सरकार के गलत कार्यों का विरोध करते हैं और हर सरकार सत्ता में आकर हमें जेल भेजने में जुट जाती है।


उन्होंने कहा कि वर्ल्ड इकानामिक फोरम ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें उसने भारत के मीडिया को सर्वाधिक भ्रष्ट बताया है। उन्होंने कहा कि कोई बलात्कार पीड़िता जब अपने ऊपर हुए अत्याचार की शिकायत करने थाने जाए और उसके साथ दुबारा बलात्कार हो जाए तो क्या इसे न्याय मिलना कहा जा सकता है। इसी तरह सभी जगह से निराश होकर जब लोग मीडिया के पास जाते हैं तो उन्हें एक नए किस्म के शोषण का सामना करना पड़ता है। जो पत्रकार जमीनी रिपोर्टिंग करते हैं और उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है उनके लिए मीडिया संस्थानों या पत्रकार संगठनों का रक्षा कवच भी नहीं मिल पाता है। इसके बावजूद हमें जमीनी पत्रकारों को संरक्षण देना होगा। हमें सरकार से सवाल पूछने और जानकारी देने की परंपरा जारी रखनी होगी। हमें अपने कर्तव्य के लिए जेल जाने की सीमा तक तैयार रहना होगा तभी हम स्वर्गीय देवलिया जी को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे।


पटना से आए वरिष्ठ पत्रकार शशिधर खान ने कहा कि डिजिटल युग ने मीडिया का कुछ ऐसा कायापलट कर दिया है कि हम पेड और फेक न्यूज के दौर में पहुंच गए हैं। प्रेस की आजादी का लाभ उठाकर कई बार घटनाओं की मीडिया ट्रायल शुरु हो जाती है। मीडिया फोरम उपभोक्ता की पसंद का डाटा पोस्ट कर रहे हैं जिससे आम लोगों की निजता खतरे में पड़ गई है। आज तो कोर्ट में अर्जी की सुनवाई होने से पहले ही मीडिया पर बहसें शुरु हो जाते हैं। इन बहसों में पीड़ित पक्ष तक शामिल नहीं होता है. यही वजह है कि कुछ मनगढ़ंत बातें भी कुछ ही मिनिटों में वायरल होकर पूरी दुनिया में फैल जाती हैं. हमें मीडिया की प्रमाणिकता को बचाने के लिए आगे आना होगा। हम ये साबित करें कि मीडिया की खबरें आम लोगों की बतोलेबाजी से अलग होती हैं, तभी इस पेशे की गरिमा बचाई जा सकती है।


माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी ने कहा कि अखबारों की सुर्खियों के आधार पर लोग समाज का मूड भांपने का प्रयास करते हैं जबकि ये सच नहीं होता। इसी प्रकार सोशल मीडिया पर वे लोग अपना एजेंडा थोप देते हैं जिनके पास धन है और उनके कुछ निहित स्वार्थ हैं। उन्होंने कहा कि जनता बीच से लोग लोग लीडर्स के रूप में उभरते हैं उन्हें लोड लेना होगा। उन्हें समाज विरोधी बातों पर रोक लगाने के लिए आगे आना होगा। आज दुनिया भर के मीडिया जगत में भारत के मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं ये चिंताजनक है। चुनाव के दौर में नेताओं को व्यापक जनहित की बातों को सामने लाना होगा तभी हम सामजिक बदलाव कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय देवलिया सर ने युवाओं को प्रेरणा देकर सामाजिक बदलाव की अलख जगाई थी हम उस मशाल को जलाए रखेंगे और समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे।


अध्यक्षीय उद्बोधन में पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि छोटी जगहों पर आज भी जमीनी पत्रकारिता की जा रही है। कार्पोरेट मीडिया कुछ तयशुदा मु्द्दों को उभारकर सत्ता को साधने का प्रयास कर रहा है। चुनाव के इस दौर में यदि हम अगले दो तीन महीनों तक टीवी और अखबार देखना बंद रखें तो हम देश की सत्ता का चयन ईमानदारी से कर पाएंगे।


कार्यक्रम के आरंभ में भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यानमाला समिति भोपाल की ओर से अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर अभिनंदन किया गया। समिति की ओर से डा . अपर्णा एलिया, अशोक मनवानी, आलोक सिंघई,अरुणा दुबे, पिंकी देवलिया ने अतिथियों का अभिनंदन किया। आशीष देवलिया ने अतिथियों को तुलसी के पौधे देकर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प दुहराया। इस अवसर पर देवलिया जी के क्रतित्व एवं व्यक्तित्व पर केन्द्रित स्मृति ग्रंथ पत्रकारिता के भूषण का विमोचन हुआ । इसका संपादन वरिष्ठ पत्रकार सतीश एलिया ने किया है। कार्यक्रम में समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया, अजय त्रिपाठी तथा अमित कुमार, पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप , शिवकुमार विवेक,वरिष्ठ पत्रकार आनंद पांडे , प्रमोद भारद्वाज,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अरविंद दुबे, अवनीश सोमकुंवर, अजय उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार केएस शाइनी, शिफाली, दीप्ति चौरसिया, राजेन्द्र धनोतिया, प्रभु पटेरिया, गिरीश शर्मा, प्रेम पगारे, शिव हर्ष सुहालका, संजीव शर्मा,अमिताभ श्रीवास्तव, मुकेश मोदी,सुरेन्द्र द्विवेदी, प्रकाश साकल्ले, सुमन त्रिपाठी,शैलजा सिंघई, ममता यादव समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और पत्रकार मौजूद थे।

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