शिवलिंग के बाद अब छात्राओं की फैशन परेड

प्राचार्या ने पत्रकार का कैमरा छुड़ाया,बोलीं मंत्रियों से करीबी नाता
भोपाल(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)।राजधानी के सरकारी स्कूल में छात्राओं से मिट्टी के शिवलिंग बनवाने वाली प्राचार्या निशा कामरानी का कहना है कि उन्होंने इस आयोजन की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को वाट्सएप पर भेज दी थी। इसके लिए उनकी अनुमति की क्या जरूरत। इसी श्रंखला में अब एक क्रीम कंपनी के सहयोग से मिस इंडिया को स्कूल में बुलाया जा रहा है। छात्राएं उनके साथ फैशन परेड करेंगी और इससे लड़कियों को बाजार की जरूरतें समझाई जाएंगी। छात्राओं ने शिवलिंग के अलावा जो भी शिल्प बनाए हैं उनसे उनके सौंदर्यबोध की झलक मिलती है।उनके इस बयान का मोबाईल वीडियो बनाने वाले पत्रकार का फोन प्राचार्या के निर्देश पर जब्त कर लिया गया। धमकाते हुए कहा कि मेरे कई मंत्रियों से निकट के संबंध हैं और इसीलिए मैंने ज्यादातर अखबारों में खबर नहीं छपने दी है।

सरकारी नौकरी में शामिल होने के बाद लगातार विवादों में रहीं भोपाल के शासकीय कमला नेहरू कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टीटीनगर की प्राचार्या निशा कामरानी ने महीने भर के भीतर सरकार के लिए नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस राजेन्द्र मेनन ने Nisha kamRani Vs. State of Madhya Pradesh & Others के निपटारे के दौरान Writ Petition No : 11004/2012 को यह कहते हुए खारिज किया था कि निशा कामरानी का अपने स्कूल के शिक्षकों पर कोई नियंत्रण नहीं था। उनका तबादला जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद किया गया इसलिए उनका आरोप बेबुनियाद है कि पक्षपात के चलते उनके लगातार तबादले किए जाते हैं। इसके बावजूद अपने राजनीतिक संबंधों के प्रभाव से उन्होंने राजधानी के इस प्रमुख स्कूल में प्राचार्या का पद हथिया लिया। जबकि इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों की शिकायत पर उन्हें तूमड़ा के स्कूल में ट्रांसफर किया गया था।

शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्राचार्या महोदया को जींस और टॉप पहिनकर आने के कारण पूर्व शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने हटाया था। शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी के नाम की दुहाई देने वाली श्रीमती कामरानी कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में भी तरह तरह की डींगें हांकती हैं जिसकी आडियो रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर भी उपलब्ध है। सिक्किम नवोदय विद्यालय से लेकर शिवलिंग बनवाने तक ढेरों किस्से हैं जिन्हें शिक्षा जगत से जुड़े लोग चटखारे लेकर सुनाते हैं। छात्राओं से पैर पड़वाना और गुरु दक्षिणा लेना उनका प्रिय शगल है।अपने संकुल से जुड़े स्कूलों के चंदा जुटाकर वे इस तरह के आयोजन करती हैं। इसी तरह की एक शिकायत की विभागीय जांच लोक शिक्षण संचालनालय में लंबित है जिसे नस्तीबद्ध करवाने के लिए उन्होंने कई राजनेताओं से कमिश्नर को फोन भी करवाए हैं।

सूत्रों का कहना है कि स्कूल में बगैर अनुमति शिवलिंग बनाने का आयोजन करने के मसले पर आज एसडीएम दिशा नागवंशी ने प्राचार्या महोदया से पूछताछ की है। इस जांच में पता चला है कि किसी शिक्षिका के रिटायरमेंट आयोजन के लिए 200 -200 रुपए भंडारे के नाम पर चंदे के रूप में जुटाए गए थे । कई छात्राओं ने भी चंदा दिया, जबकि स्कूल की छात्राओं को अपने टिफिन का भोजन खाकर ही संतोष करना पड़ा।

उनसे जब पूछा गया कि हिंदू तुष्टिकरण के इस आयोजन का ये गैर कानूनी कार्य उन्होंने क्यों किया तो उन्होंने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है। कुछ लोग मेरे खिलाफ षड़यंत्र कर रहे हैं इसलिए वे पत्रकारों को रिश्वत देकर मेरे खिलाफ समाचार प्रकाशित करवा रहे हैं। वे लोग कौन हैं और ऐसा कैसे कर सकते हैं तो इसके बारे में उन्होंने कहा कि मेरे पास सबूत हैं जिन्हें मैं जल्दी ही उजागर करूंगी। हालांकि उन्होंने इस विवाद के उजागर होने के बाद स्कूल की मुस्लिम लड़कियों से पत्र लिखवाए हैं जिनमें लिखवाया गया है कि शिवलिंग बनवाने के फैसले से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने तो इस आयोजन का प्रसाद भी खाया था। प्राचार्या महोदया ने कहा कि जल्दी ही वे ईद मिलन का आयोजन भी करने जा रहीं हैं जिससे लोगों को धार्मिक सौहार्द्र का संदेश दिया जाएगा।

सामान्य घरों से आने वाली नाबालिग छात्राओं को बहकाकर निशा कामरानी जिस तरह उन्हें अपने समर्थन में लामबंद कर रहीं हैं इस पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी कुछ बोलने तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि प्राचार्या महोदया अपने राजनीतिक संबंधों के चलते किसी पर भी कीचड़ उछाल सकती हैं। शिक्षा विभाग के ही कई अधिकारी कर्मचारी आज भी उनकी शिकायतों का खमियाजा भुगत रहे हैं। इसलिए अब सरकार ही कोई उचित फैसला ले सकती है।

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