पंच परमेश्वर यशोधरा जी की राय पर गौर कीजिए

प्रिय मंत्री डॉ.पभुराम चौधरी के बहाने यशोधरा राजे ने दिया सुधार का संदेश


तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जाने अनजाने में लोकतंत्र की एक बड़ी कमजोरी की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने सिंधिया खेमें के सहयोगी मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी की आईटीआई खोलने की मांग ठुकराते हुए बड़ी मार्के की बात कही है। वे चाहती तो अपने ही भतीजे के प्रिय सहयोगी की बात मान लेती और वाहवाही बटोर लेतीं, लेकिन उन्होंने जनहित को देखते हुए पंच परमेश्वर बनकर अपनी बात कह डाली। उनकी स्नेहिल फटकार ने पूरे लोकतंत्र और इसके मालिकों को चेतावनी दी है। डॉ.प्रभुराम चौधरी ने ये सोचकर प्रस्ताव रखा था कि राजे तो कृपा बरसाती हैं और वे चुनाव की बेला में एक सफलता की कहानी उन्हें भेंट कर देंगी। वे अपने क्षेत्र में कह सकेंगे कि उन्होंने जनहित में कितने सारे कार्य किए हैं। उनका प्रस्ताव शालीन था उचित था लेकिन विभागीय मंत्री यशोधरा जी ने सच का साथ दिया। वे जानती हैं कि डॉ.प्रभुराम चौधरी तो बदमिजाज डॉ.गौरीशंकर शेजवार की हर चुनौती को सामना कर चुके हैं। उनके बेटे मुदित शेजवार भी जनता की कसौटी पर फिसड्डी साबित हो चुके हैं। इसलिए आईटीआई का शिगूफा गढने की उन्हें कोई जरूरत नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए वे भरपूर जनसेवा कर रहे हैं। आईटीआई के संस्थान आज केवल डिग्री बांटने के लिए उपयोगी रह गए हैं। जिन्हें तकनीकी शिक्षा लेकर मिस्त्री, कारपेंटर, मैकेनिक, आदि बनना होता है वे तो निजी तौर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं और अपना सेवा कार्य चालू कर देते हैं। सैकड़ों यू ट्यूब चैनल बच्चों को तकनीकी ज्ञान घर बैठे प्रदान करने लगे हैं। ऐसे में आईटीआई से ज्यादा जरूरत उत्पादन के अवसरों की है। रोजगार प्रशिक्षण केन्द्रों में लगभग सारे गुर सिखाए जा रहे हैं। आसपास के जिलों में आईटीआई संस्थान पहले से चालू हैं और उनमें से कई तो उन्नत उपकरणों से भी लैस हैं। करीबी जिले भोपाल में ही तकनीकी शिक्षा के ढेरों संस्थान हैं। जिन्हें वाकई काम धंधा सीखना है वे दिखावे की डिग्री बटोरने में अपना समय थोड़ी बर्बाद करेंगे। भुनभुनाते गौरीशंकर शेजवार जब पार्टी संगठन के प्रति नाराजगी दिखाते हुए गुर्रा रहे हैं तब प्रभुराम चौधरी को ये दूर के ढोल वाली कवायद करने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा करते हुए यशोधरा जी ने शिवराज सरकार की चिंतन प्रक्रिया को भी झिंझोड़ दिया है। बरसों से भाजपा सरकार वही घिसी पिटी पुरानी कांग्रेस की नीति को ढो रही है जिसमें वह शैक्षणिक संस्थानों की घोषणा करती रही है,जबकि आज जरूरत शैक्षणिक ढांचे में मूलभूत सुधार करने की है। यशोधरा जी ने ठीक ही कहा कि यदि आईटीआई खोल देते हैं तो फिर वही ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल शुरु हो जाएगा। राजधानी में निवास करने वालों के लिए वह आईटीआई समय काटने का अड्डा बन जाएगा। जहां वे जाना पसंद नहीं करेंगे पर उनका वेतन जरूर खजाने से निकलता रहेगा। दरअसल वक्त कार्पोरेट सेक्टर को अपने पैरों पर खड़ा करने का अवसर देने का है। सरकार की आर्थिक हालत खस्ता है टैक्स और अन्य साधनों से उसकी आय बढ़ी है इसके बावजूद वह सरकारी अमले का वेतन भत्ता अपनी आय से नहीं निकाल पा रही है। वेतन के लिए भी उसे इसकी टोपी उसके सिर वाली कवायद करनी पड़ती है। कर्ज जनता के सिर लदता जा रहा है। आज जब एक शिक्षक पूरे देश के बच्चों को बेहतर शिक्षा टीवी कंप्यूटर मोबाईल के माध्यम से दे सकता है तब दिखावे के संस्थान खड़े करने का कोई औचित्य नहीं है। जरूरी है कि आय के उपक्रम खड़े किए जाएं। केन्द्र सरकार का सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्रालय उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चला रहा है। ऐसे में कांग्रेसी औद्योगिकीकरण की असफल विचारधारा को ढोना फिजूल है। आप डिग्री देंगे और युवा नौकरी पाएंगे इससे बेहतर है कि वे काम सीखें और देश के लिए पूंजी का निर्माण करें। यशोधरा जी का यह संदेश पूरे राजनेताओं को समझना होगा। खासतौर से शिवराज सरकार की पैरवी करने वाले महान चिंतकों को भी इस विषय पर गौर करना चाहिए।

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