कार्पोरेट बैंकिंग में प्रवेश की दहलीज पर सद्गुरु नागरिक सहकारी बैंक

    सद्गुरु नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव में 16 जुलाई को नालंदा स्कूल में लिखेगा नया अध्याय

भोपाल,13 जुलाई,(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)।राजधानी के व्यापारियों की आर्थिक प्रगति में बड़ी भागीदारी निभाने वाला सद्गुरु नागरिक सहकारी बैंक अब आधुनिकता के नए दौर में प्रवेश करने जा रहा है। बैंक ने आगामी 16 जुलाई रविवार को अपने नए संचालक मंडल के चुनाव आयोजित किए हैं। देश की तेज करवट ले रही अर्थव्यवस्था  के साथ कदमताल करने के लिए सद्गुरु वैभव पैनल ने आज पत्रकार वार्ता में अपनी योजनाओं का खाका प्रस्तुत किया।बैंक के संस्थापक स्वर्गीय श्री राजाभाऊ कुलकर्णी के सुपुत्र मिलिंद कुलकर्णी के मैदान में आ जाने से ये चुनाव नई उमंगों से लबरेज बन गया है।

         स्वर्गीय राजाभाऊ कुलकर्णी के प्रयासों से निर्मित इसबैंक को इसके अंशधारी सदस्यों, अमानतदारों, उधार कर्ताओं कर्मचारियों ने अपने अथक परिश्रम से लगातार सफल बनाया और ऊंचाईयों पर पहुंचाया। जब केवल सरकारी बैंकों का जलजला था और बाद में बड़े निजी बैंकों की धमक बढ़ी तब भी सद्गुरु नागरिक सहकारी बैंक अपना कारोबार बढ़ाता रहा है। जब सरकारी मदद से खोले गए सहकारी बैंक धूल धूसरित हो रहे थे तब भी सद्गुरु नागरिक सहकारी बैंक अपना लाभांश अपने हितग्राहियों में बांट रहा था। इस बार स्वर्गीय कुलकर्णी के बेटे ने अपने पिता के अधूरे स्वप्नों को साकार करके बैंक को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का संकल्प व्यक्त किया है।

       आज पत्रकार वार्ता में सद्गुरु वैभव पैनल के सुरेश कानिटकर और मिलिंद कुलकर्णी ने कहा कि आधुनिक बैंकिंग के इस दौर में व्यापारियों और अंशधारकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारी पैनल ने एक व्यापक रोड मैप तैयार किया है। पैनल के अनुभवी सदस्यों ने मोबाईल बैंकिंग और आनलाईन बैंकिंग के माध्यम से अपने ग्राहकों के वित्तीय उन्नयन की तैयारी की है। उन्होंने बताया कि नालंदा स्कूल में होने वाले मतदान बैंक के वे अंशधारी सदस्य ही मतदान कर पाएंगे जिन्होंने अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार बैंक लोन लिया है। निर्वाचन अधिकारी ने मतदान के लिए शासन की ओर से मान्यता प्राप्त पहचान पत्र लाना अनिवार्य कर दिया है।

       उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में बैंक के सदस्य संस्था से अपना जुड़ाव नहीं बना पाए हैं। अंशधारी सदस्यों की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण आम ग्राहक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। संचालक मंडल की नीतियों की वजह से कई योग्य अधिकारी कर्मचारी अपनी नौकरियां छोड़ चुके हैं। इसी वजह से इस बार चुनाव में एक बदलाव की बयार महसूस की जा रही है। बैंक एक सहकारी संस्था है और भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी में सहकारिता कानून के तहत कार्य करती है। पिछले वर्षों में इसे चंद लोगों के इर्द गिर्द चलाने की कोशिशें की गईं। इस चुनाव में हमारी पैनल विजयी हुई तो हम बैंक को कार्पोरेट गवर्नेंस की ओर ले जाएंगे।

     सद्गुरु वैभव पैनल ने समाज के जागरूक डाक्टरों, सीए,वकील, व्यवसायी, पत्रकार आदि सभी वर्गों के लोग शामिल किए गए हैं। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के मतदाता सदस्यों से निवेदन किया है कि वे मतदान अवश्य करें और सद्गगुरु पैनल के सभी सदस्यों को भारी बहुमत से विजयी बनाकर बैंकिंग के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखने की शुरुआत करें।

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