वन मेले में फार्मा कंपनियों ने भी थोक में खरीदी जड़ीबूटियां

अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में जो अनुबंध किए गए उनसे एकत्रित जड़ी बूटियां प्रयोग शाला में जांच के बाद गुणत्ता युक्त पैकिंग में विदेशी बाजारों में बेची जाएंगी।
पाँचवें दिन क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में 34.50 करोड रूपये के व्यापार अनुबंध

भोपाल,24 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। राजधानी के लाल परेड मैदान पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में आज शनिवार का अवकाश होने की वजह से लगभग 32 हजार लोग मेला देखने पहुंचे। सुबह से ही वन उत्पादों में रुचि रखने वाले लोग मेला स्थल पर जुटने लगे थे। मेले में जड़ी बूटियों की खरीद बिक्री के साथ नाड़ी वैद्यों और आयुर्वेदिक चिकित्सकों के साथ जंगलों के वनवासियों के पास भी लोगों का जमावड़ा लगा रहा। मेले में ज्योतिष पर आधारित पेड़ पौधों और जड़ी बूटियों के विक्रय में लोगों की खासी रुचि देखी गई। परिसर में एक ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे थे तो दूसरी ओर क्रेता विक्रेता सम्मेलन का आयोजन भी चल रहा था। मेला घूमने आए लोग फूड जोन में खाने पीने के विविध व्यंजनों का भी लुत्फ उठा रहे थे। क्रेता विक्रेता सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ (CGMFP) और मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ (MPMFP) विंध्य हर्बल्स के मध्य 6 करोड़ रुपए का व्यावसायिक अनुबंध हुआ | इस अनुबंध के माध्यम से छत्तीसगढ़ हर्बल एवं विंध्य हर्बल्स एक दूसरे के उत्पादों को बेचने में बढ़ावा देंगे | इस अनुबंध को CGMFP से विशेष प्रबंध संचालक एस. एस. बजाज ने एवं विंध्य हर्बल्स की ओर से डॉ. दिलीप कुमार ( सी. ई. ओ. एमपीएमएफपी पार्क, भोपाल) ने हस्ताक्षर किया एवं दस्तावेजों का हस्तांतरण किया गया | बस्तर फूड , छत्तीसगढ़ से महुआ के एक्सपोर्ट का MOU हस्ताक्षर किया गया जिसके माध्यम से मध्यप्रदेश का फ़ूड ग्रेड २००मीट्रिक टन महुआ लंदन एक्सपोर्ट किया जायेगा इन प्रयासों से वनवासियों का बहुत कम मूल्य में बिकने वाले महुआ उनकी खासी कमाई कराएगा। इसके साथ 28 करोड़ 50 लाख रूपये के अनुबंध एमएफपीपीएआरसी और विभिन्न संस्थाओं के बीच भी किए गए। इससे आने वाले समय में जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में शामिल प्राथमिक संग्राहक और उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि तेजी से बढ़ेगी।

वन मेले में आयोजित क्रेता विक्रेता सम्मेलन में एक वैश्विक मंडी का नजारा देखा गया।विक्रेता अपने माल का सैंपल लेकर आए थे और खरीददारों से मोल भाव कर रहे थे।


क्रेता-विक्रेता सम्मेलन सेवा निवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही.आर. खरे के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इसमें प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों से 140 सहभागी ने प्रत्यक्ष रूप से और 300 प्रतिभागी वीडियो कॉन्फ्रेंस से संवाद किया गया। राज्य लघु वनोपज संघ के सीईओ डॉ. दिलीप कुमार ने बताया कि मध्यप्रदेश के 32 जिलों में 4491 करोड़ रूपये से ज्यादा का लघु वनोपज का व्यापार होता है। इसमें केवल महुआ का व्यापार 981 करोड़ रूपये का है। भूतपूर्व वन बल प्रमुख श्री राम प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के छिन्दवाड़ा और सिवनी की चिरौंजी की सम्पूर्ण विश्व में मांग है। यह सबसे महंगा सूखा मेवा है।


राज्य लघु वनोपज के अपर प्रबंध संचालक भागवत सिंह ने संघ की विभिन गतिविधियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि संघ वन धन केन्द्रों के विकास, लघु वन उपज के व्यापार एवं संग्रहण के साथ प्रतिवर्ष 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण कराता है। छत्तीसगढ़ लघु वन उपज संघ के एस. एस. बजाज ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक संस्था मैसूर के साथ मिल कर महुआ से गुड़ बनाने पर अनुसंधान कर रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में दिन ब दिन भीड़ बढ़ती जा रही है, रविवार को मेले का आकर्षण चरम पर होगा। मेले के 5वें दिन 32 हजार लोगों ने मेले का आनंद लिया। विभिन्न स्टालों पर लोगों की भीड़ देख कर स्टॉल संचालकों का उत्साह भी बढ़ रहा है। कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा बनाए व्यंजनों का स्वाद लोगों का आकर्षण बढ़ा रहा है।
मेले में पिछले 5 दिनों में 1 करोड़ 27 लाख रूपये के वनोपज हर्बल उत्पाद से निर्मित औषधियों की बिक्री हो चुकी है। स्थापित ओपीडी में 760 आगुंतकों ने आयुर्वेद चिकित्सक और अनुभवी वैद्यों से नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श लिया।


मेला प्रांगण में सोलो और ग्रुप नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति में बच्चों ने सभी का मन को मोह लिया। एकल और सामूहिक नृत्य प्रस्तुति में 20 विद्यालयों के 146 छात्र-छात्राओं ने अदभुत कला का प्रदर्शन किया। एम.एम. म्यूजिकल ग्रुप की आर्केस्ट्रा और दुलैया कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी गई।

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