भोपाल,22 सितंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। किसानों को समृद्ध बनाने के लिए अब भाजपा सरकार विभिन्न एजेंसियों के परिसंघ के माध्यम से निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है । जैविक खेती कर रहे लगभग एक लाख पंजीकृत किसानों के उत्पादों को वैश्विक बाजारों में निर्यात करके सरकार उन्हें ऊंचा मूल्य दिलाएगी।जैविक उत्पादों का बाजार अभी लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए है इसे बढ़ाकर दोगुना किया जाएगा।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने आज भोपाल में जैविक खाद्य उत्पादक और विपणन एजेंसियों के परिसंघ की ओर से आयोजित जैविक और आयुर्वेदिक आहार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पहले ही देश में जैविक उत्पादों के क्षेत्र में नंबर एक स्थान प्राप्त कर चुका है।सरकार का किसान कल्याण विभाग प्रदेश की सभी उपजाऊ जमीनों पर किसानों को जैविक खाद्यान्न उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इससे किसानों का मुनाफा बढ़ा है । उन्होंने यह भी कहा कि राज्य एमपी ऑर्गेनिक ब्रांड विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। इन उत्पादों को वह सबसे अधिक जैविक खाद्यान्न उपयोग करने वाले देशों में लोकप्रिय बनाएगा। उन्होंने कंफेडरेशन आफ आर्गेनिक फूड प्रोड्यूसर एंड मार्केटिंग एजेंसीज को राज्य का विकासशील भागीदार बनने की सलाह दी।
नाबार्ड की महाप्रबंधक निधि शर्मा ने प्रदेश भर में फैले फूड प्रोड्यूसर आर्गेनाईजनों की प्रगति का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ कारोबार बढ़ाने की प्रक्रिया में बैंक जल्दी ही एक जिला एक उत्पाद योजना को प्रोत्साहित करेगा। नाबार्ड की ओर से इस योजना के प्रचार प्रसार में भी मदद की जाएगी।
कंफेडरेशन आफ आर्गेनिक फूड प्रोड्यूसर एंड मार्केटिंग एजेंसीज के अध्यक्ष डॉ डी एस रावत ने कहा कि कन्फेडरेशन और उसके नॉलेज पार्टनर बिलमार्ट फिनटेक एक जिले में कृषि आधारित उद्यम बनाने के लिए और दूसरे जिले में MSMEs बनाने के लिए राज्य के दो जिलों को गोद लेंगे। उन्होंने कहा कि इन जिलों के सफल होने के बाद राज्य सरकार के सहयोग से पायलट प्रोजेक्ट पूरे राज्य में लागू किए जाएंगे।
एपीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार बोरा ने कहा कि उनके संगठन ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल शुरू की हैं। घरेलू बाजार में जैविक उत्पादों की अच्छी कीमत नहीं मिल रही है। सबसे बड़ी समस्या मात्रा और गुणवत्ता की अनुपलब्धता है और इसलिए अनुबंध खेती के माध्यम से बाजार की जरूरतें पूरी करना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में पैदा होने वाले जैविक खाद्यान्नों और फलों के निर्यात के लिए सरकार को मजबूत परिवहन नेटवर्क खड़ा करना होगा। इसका नियंत्रण सरकार की निगरानी में रहे तो बेहतर होगा।
सिडबी के एजीएम आनंद किशोर यादव ने घोषणा की कि बैंक ने सतत विकास और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देने का फैसला किया है। किसान यदि अपने ही गांव में शार्टेक्स प्लांट या विपणन नेटवर्क बनाएंगे तो सिडबी उन्हें सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराएगा। उन्होंने किसानों को अपनी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आने और 15 दिनों के भीतर मंजूरी पाने का आश्वासन दिया।
अन्य वक्ताओं में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान से डॉ मुक्ता सर्ज, खाद्य सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी अरविंद कुमार पथरोल और मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणन एजेंसी के मनोज कुमार ने भी सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। सभी वक्ताओं ने कहा कि खाद्य उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करने के लिए सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
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