रेत की रायल्टी चोरी पर कांग्रेस में मचा कोहराम

भोपाल,28 अगस्त(प्रेस सूचना केन्द्र)। भ्रष्टाचार और अराजकता के चलते राज्य की मासिक आय में गिरावट ने कांग्रेस सरकार में सिरफुटौव्वल के हालात निर्मित कर दिए हैं। रेत की रायल्टी चोरी के मसले पर सामान्य प्रशासन मंत्री डाक्टर गोविंद सिंह ने जैसे ही सवाल खड़े किए पार्टी के भीतर से उनके खिलाफ बयानबाजी शुरु हो गई है। हालात पर काबू पाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ मंत्रियों को संभलकर बोलने की नसीहत दी है।

कांग्रेस की अंतर्कलह तब उजागर हुई जब लहार से कांग्रेस के विधायक और सामान्य प्रशासन मंत्री डाक्टर गोविंद सिंह ने रेत के अवैध उत्खनन के लिए जनता से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि मैं अपने समर्थकों के साथ भाजपा शासनकाल में रेत के अवैध उत्खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा हूं। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के नेतागण जिस तरह से रेत का अवैध उत्खनन करके मंहगी रेत बेच रहे हैं इसके कारण मैं जनता से माफी मांगता हूं।उन्होंने कहा कि रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे मेरे जैसे वरिष्ठ मंत्री तक की परवाह नहीं करते हैं।

खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने कहा कि डाक्टर गोविंद सिंह वरिष्ठ राजनेता हैं। वे दतिया के प्रभारी मंत्री भी हैं वे अपने क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन रोकने के लिए स्वतंत्र हैं। प्रशासन को उनके निर्देशों का पालन अवश्य करना पड़ेगा।

जनसंपर्क और विधि विधायी कार्य मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि इस बार नदियों में इतनी अधिक रेत आई है कि पानी उतरते ही रेत का भंडार सामने आ जाएगा। रेत का ये भंडार जनता की आवश्यकता से बहुत अधिक है। आने वाले समय में रेत के खरीददार तक नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर विवाद की कोई जरूरत नहीं है।

पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि डाक्टर गोविंद सिंह वरिष्ठ मंत्री हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनें। यदि मेरे विभाग में ये नौबत आ जाए कि अधिकारी मेरी बात नहीं सुनें तो मैं तो इस्तीफा दे दूंगा।

कंप्यूटर बाबा ने कहा कि रेत के अवैध उत्खनन पर कमलनाथ सरकार ने सख्ती से रोक लगाई है। पिछले दिनों चंबल और सिंध नदी में जैसी बाढ़ आई है उसके चलते रेत का उत्खनन संभव नहीं है। सरकार रेत माफिया के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी और किसी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि पैसों की बंदरबांट के चलते आज कांग्रेस की अंतर्कलह सामने आ गई है। सरकार ने चंदा लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग की हैं। जो लोग भारी रिश्वत देकर मैदानी पोस्टिंग लेकर पहुंचे हैं उन्हें जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व की चिंता नहीं है। वे तो केवल अपनी लागत निकालने के लिए उगाही करने में जुटे हुए हैं।

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर अवैध उत्खनन पर चिंता व्यक्त की है। वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि डाक्टर गोविंद सिंह कह रहे हैं कि चंदा उगाही का खेल ऊपर से नीचे तक चल रहा है। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि ऊपर का आशय श्यामला हिल्स से है या दस जनपथ से।

राज्य की घटती आय को देखते हुए डाक्टर गोविंद सिंह की चिंता वाजिब है। निवृत्तमान शिवराज सिंह चौहान सरकार ने रेत उत्खनन की अनुमति देने का अधिकार पंचायतों को सौंप दिया था। इसके पहले 18 जिलों की 430 खदानों से रेत का उत्खनन खनिज विकास निगम की निगरानी में होता था शेष जिलों में ये काम खनिज विभाग करता था। तब तमाम शिकायतों के बावजूद प्रदेश को लगभग 700 करोड़ रुपयों की आय होती थी। पंचायतों को अधिकार दिए जाने के बाद रेत उत्खनन से होने वाली आय मात्र डेढ़ सौ करोड़ रुपए रह गई है।

राज्य सरकार बारिश के सीजन में रेत उत्खनन पर रोक लगाती है। इस बार भी एक जुलाई से 30 सितंबर तक ये रोक प्रभावी है। इसके बावजूद रेत का उत्खनन और परिवहन जारी है। रेत माफिया पुराने परमिटों पर एकत्रित रेत को एक गोदाम से उठाकर दूसरे स्थान पर ले जाने का तर्क देकर रेत का अवैध कारोबार कर रहा है।

डाक्टर गोविंद सिंह जिन भिंड, मुरैना, ग्वालियर और दतिया जिलों में रेत का अवैध उत्खनन होने की शिकायत कर रहे हैं उन जिलों में खनिज निगम के पास केवल चार खदानें हैं जबकि अन्य खदानें पंचायतों को समर्पित कर दी गईं हैं। पूरे प्रदेश में खनिज विकास निगम 48 खदानों से रेत का उत्खनन कर रहा है। बारिश की वजह से लगी रोक के चलते उन खदानों पर उत्खनन बंद है लेकिन आसपास की अन्य खदानें जिनकी नीलामी नहीं की जाती है उनसे रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। जब रेत उत्खनन के अधिकार खनिज विकास निगम के पास थे तब इन चार जिलों से बीस लाख घनमीटर रेत का उत्खनन किया जाता था। पंचायतों को अधिकार देने के बाद ये उत्खनन क्षमता मात्र आठ लाख घनमीटर बची है।

रेत उत्खनन का अधिकार पंचायतों को दिए जाने के बाद दस्तावेजों पर रेत का उत्खनन भी घटा है और राज्य को होने वाली आय में भी भारी गिरावट आई है। इसके बावजूद आम नागरिकों को पहले से मंहगी रेत खरीदना पड़ रही है। वर्ष 2018-19 में पंचायतों ने अब तक लगभग सवा सौ करोड़ रुपए की रेत रायल्टी जुटाई है जबकि खनिज विकास निगम और खनिज निगम मिलकर इतने ही कार्यकाल में पांच सौ करोड़ रुपए रेत की रायल्टी के रूप में जुटाते थे। शासन ने रेत के दाम 125 रुपए प्रति घनमीटर तय किए हैं। फार्मूले के मुताबिक इसमें से 50 रुपए कलेक्टर फंड में और 50 रुपए पंचायतों को दिए जाते हैं। इसमें से 25 रुपए खनिज विकास निगम को दिया जाता है। इतनी सस्ती रेत खरीदने के बावजूद बाजार में रेत के दाम डेढ़ हजार रुपए से लेकर साढ़े तीन हजार रुपए घनमीटर तक पहुंच गए हैं। खनिज निगम नीलामी में रेत की रायल्टी कई बार 900 रुपए प्रति घनमीटर तक हासिल करता था। इसके बावजूद रेत के दाम खुले बाजार में नियंत्रित रहते थे।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल,सिया और प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण जैसी संस्थाओं के दबाव के चलते शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पत्थर को पीसकर रेत बनाने जैसा काम शुरु किया था लेकिन अब प्रदेश की रेत की जरूरतें केवल नदियों से बहकर आने वाली रेत से ही पूरी हो रहीं हैं।

खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने नई खनिज नीति बनाने की घोषणा की थी। इसके मुताबिक रेत की नीलामी के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए जाने की तैयारी की गई है। अभी तक सरकार का जो ढर्रा है उसे देखते हुए कहा जा सकता कि एक अक्टूबर से जब रेत उत्खनन पर पाबंदी हटेगी तब तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी। लगभग सभी स्थानों पर पुलिस की अवैध वसूली की शिकायतें सामने आ रहीं हैं। रेत उत्खनन से रायल्टी जमा कराने की जवाबदारी खनिज विभाग और खनिज विकास निगम की है जबकि रेत रायल्टी की चोरी पर लगाम लगाने की जवाबदारी पुलिस को सौंपी गई है। पुलिस के अधिकारी कर्मचारी ही रेत की चोरी करवाते हैं और अवैध उत्खनन से खजाने को क्षति पहुंचाते हैं। रेत की रायल्टी जमा कराना उनकी जवाबदारी भी नहीं है इसलिए वे संबंधित पुलिस थानों में पोस्टिंग के लिए मनचाही कीमत देने तैयार रहते हैं।

डाक्टर गोविंद सिंह की चिंता को देखते हुए यदि राज्य सरकार रेत उत्खनन से रायल्टी जुटाने का नया ढांचा तैयार करे तभी प्रदेश का खजाना भरा जा सकता है। रेत की जरूरत आम जनता को है और वह इसके लिए मंहगी कीमत चुका रही है। मकान बनाने के लिए उसे कई स्तर पर शासन को कर चुकाना पड़ता है। इसके बावजूद उसे रेत की जरूरत के लिए माफिया के सामने नाक रगड़नी पड़ती है। जरूरत है कि सरकार रेत रायल्टी जुटाने के लिए कारगर व्यवस्था बनाए और जनता को सस्ती रेत मुहैया कराए।

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