कारोबारी लुटेंगे तो कौन करेगा निवेश

जबरिया घर में घुसकर कब्जा जमाने वाले इन लोगों पर कार्रवाई करने से पुलिस भी घबरा रही है,जाहिर है ये भविष्य में बड़े आपराधिक टकराव की वजह भी बन सकती है।

भोपाल,17 फरवरी(प्रेस सूचना केन्द्र)। कांग्रेस के सत्ता में आते ही कई अपराधियों ने अपना पुराना कारोबार शुरु कर दिया है। वे सामाजिक न्याय के नाम पर ऐसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं जिनसे मध्यप्रदेश में कारोबार करना भरोसेमंद नहीं रहा है। कमलनाथ सरकार की पुलिस भी असमंजस में है और वो ऐसे मामलों में हाथ नहीं डाल रही है। जो कारोबारी सौदे, विवादों की वजह से अदालतों में हैं उनमें भी अपराधी तत्वों ने लूटमार शुरु कर दी है।

भोपाल के शाहपुरा थाना क्षेत्र स्थित बावड़िया कला के लक्ष्मी परिसर में भवन क्रमांक 14 पर राहुल रघुवंशी के नेतृत्व में 40-50 लोगों की भीड़ ने जबरिया कब्जा कर लिया। इस परिसर का निर्माण गौरा कंस्ट्रक्शन ने किया है। प्रोप्राईटर विश्वजीत दुबे ने इस संबंध में घटना की दिनांक 4 फरवरी 2019 को शाहपुरा पुलिस थाने को सूचित किया और सुरक्षा की मांग भी की। पुलिस ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया, कहा कि मामला अदालत में है इसलिए आप वही अपनी बात रखें।

पुलिस की बात आधी सही है मकान का दीवानी मामला अदालत में लंबित है, जबकि जबरिया हमला करके कब्जा कर लेने का मामला फौजदारी है। इसके बावजूद पुलिस ने फरियादी को चलता कर दिया। बाद में पुलिस से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि सुरेन्द्र और राहुल रघुवंशी पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के परिवार से जुड़े हैं, और सरकार के प्रभावी लोगों ने कहा है कि पुलिस इसमें हस्तक्षेप न करे।

इस मकान के लिए श्रीमती उर्मिला रघुवंशी की ओर से लक्ष्मी प्रापर्टीज से मार्च 2007 में निर्माण अनुबंध किया गया था। तब इस मकान की कीमत 34 लाख थी। इसकी खरीद के लिए उर्मिला रघुवंशी ने 21 लाख रुपए बिड़ला होम फायनेंस से लोन लेकर चुका दिए। बाद में एक लाख रुपए नकद भी दिए। शेष 12 लाख रुपए का भुगतान शेष था जिसका चैक देकर उन्होंने बिल्डर से रजिस्ट्री भी करवा ली। बाद में चैक बाऊंस हो गया। जब शेष भुगतान नहीं मिला तो विक्रेता ने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन होने पर भवन का आधिपत्य खरीददार को हस्तांतरित नहीं किया। भवन का आधिपत्य समय सीमा में हस्तांतरित हो सकता था लेकिन उर्मिला रघुवंशी की ओर से एक प्रकरण क्रमांक 406 ए 2014 श्रीमान षष्ठम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 2 भोपाल के सामने प्रस्तुत किया गया जिसमें स्थायी निषेधाज्ञा चाही गई थी। अदालत ने उर्मिला रघुवंशी का प्रकरण खारिज कर दिया क्योंकि वे अपना आधिपत्य साबित नहीं कर पाईं। अदालत ने पाया कि चैक बाऊंस करवाकर भवन का पूरा भुगतान नहीं किया गया है।इसलिए न्यायालय ने फैसला दिया कि संपत्ति पर गौरा कंस्ट्रक्शन का ही आधिपत्य है।

चैक बाऊंस के मामले में भी अदालत ने उर्मिला रघुवंशी, पत्नी सुरेन्द्र सिंह रघुवंशी को दोषी पाया।अदालत के इस फैसले के खिलाफ उर्मिला रघुवंशी ने दूसरी अदालत में ये कहते हुए अपील की कि बिल्डर ने चैक बाऊंस होने की सूचना उन्हें समय अवधि में नहीं दी थी,इसलिए अब वे भुगतान देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।गौरा कंस्ट्रक्शन ने आधिपत्य अपने पास ही रखा और इस धोखाधड़ी को हाईकोर्ट में चुनौती दी। तबसे ये प्रकरण विचाराधीन है।

भाजपा की सरकार रहते समय तो राहुल रघुवंशी और उसके परिजनों ने अदालत के प्रकरण पर चुप्पी साधे रखी पर कांग्रेस की सरकार आने के बाद घेराबंदी करके 4 फरवरी को मकान पर कब्जा कर लिया। इस मकान में गौरा कंस्ट्रक्शन के 15 लाख रुपए के टाईल्स रखे थे। सामान लेने पहुंचे विश्वजीत दुबे को उर्मिला और राहुल रघुवंशी ने धमकाया कि मकान पर हमारा कब्जा है और आपसे जो बन सके कर लो। अब हमारी सरकार है। हम शेष रुपए भी नहीं देंगे और इतने लंबे अंतराल के कारण जो कीमत बढ़ चुकी है वो भी नहीं देंगे।

सरेआम संपत्ति की इस लूट की शिकायत पर जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो फरियादी विश्वजीत दुबे ने आईजी इरशाद वली और एसएसपी संजय साहू के सामने भी इस आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई। इसके बावजूद पुलिस ने पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है।

सवाल ये है कि जब किसी खरीददार ने संपत्ति की कीमत ही नहीं चुकाई तो वो उस पर अपना कब्जा कैसे जता सकता है। अनुबंध की शर्तें तो तभी पूरी होती जब रजिस्ट्री के वक्त दिये गए चैक का भुगतान हो जाता। उर्मिला रघुवंशी, सुरेन्द्र रघुवंशी और राहुल रघुवंशी की ओर से जानबूझकर ये धोखाघड़ी की गई है इसके बावजूद पुलिस उनके कब्जे को लूट का आपराधिक कृत्य मानने तैयार नहीं है। सुरेन्द्र रघुवंशी पर कई अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इसके बावजूद पुलिस की चुप्पी बता रही है कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार कारोबारियों को लूटने से बचाने में रुचि नहीं दिखा रही है। जब कारोबारियों पर अपराधी इस तरह हावी होंगे तो ईज आफ डूइंग के लिए साख बना चुके मध्यप्रदेश में जो असुरक्षा का माहौल बनन लगा है उसमें निवेशकों को उनकी सुरक्षा का भरोसा कैसे दिलाया जा सकता है। शांति का टापू कहा जाने वाला मध्यप्रदेश यदि अब लुटेरों का स्वर्ग बन जाएगा तो इसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा क्योंकि असुरक्षा के इस माहौल में कोई भी निवेशक यहां आने की हिम्मत नहीं करेगा।

Print Friendly, PDF & Email

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*