घाटा देने वाली मिल खाक,छीने रोजगार


भोपाल,25 फरवरी,(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)।चांदबड़ स्थित न्यू भोपाल टेक्सटाईल मिल की नई यूनिट भीषण आग के चलते राख हो गई है। अपनी स्थापना के साल 1937 से लगातार घाटा दे रही इस मिल को मुनाफे में लाने के लिए जुलाई 2013 में यहां नई यूनिट लगाई गई थी। इसके बावजूद नई और पुरानी दोनों यूनिटें लगातार घाटा देती जा रहीं थीं। सूत्र बताते हैं कि इसी के चलते मिल में कल रात रहस्यमयी आग से पूरी यूनिट स्वाहा हो गई और लगभग एक हजार परिवार बेरोजगार हो गए हैं।

मिल के प्रबंधक अजय दीक्षित ने इस मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया। इसके बावजूद फैक्टरी के सूत्रों ने बताया कि कल रात की पारी में करीबन ढाई बजे जब ब्लो रूम में श्रमिकों ने चिंगारियां देखीं तो उन्होंने उन्हें बुझाने के लिए फव्वारे चालू किए। तब वाटर लाईन में पानी ही नहीं था इसलिए आग मशीन के ऊपर पड़े यार्न के कचरे तक पहुंच गई। घबराए श्रमिकों ने जब फायर उपकरणों का प्रयोग करना चाहा तो वे खाली निकले। श्रमिकों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया था। इसलिए आग भड़कने के बावजूद उन्होंने मशीनें बंद नहीं कीं। आपात कालीन स्थिति से निपटने में पूरी तरह नाकाम प्रबंधन भी वक्त पर मौजूद नहीं था। सुपरवाईजर तय नहीं कर पा रहे थे कि अब क्या किया जाए। मिल का अग्निशमन अमला जब तक घटना स्थल पर पहुंचता तब तक आग पूरी यूनिट तक पहुंच चुकी थी।
घबराए प्रबंधन ने आग की सूचना फायर ब्रिगेड तक दी लेकिन तब तक पूरी नई यूनिट भीषण आग से घिर चुकी थी। आनन फानन में सेना तक को सूचना दी गई। बाद में जेसीबी मशीनों से मिल की दीवारें तोड़ी गईं तब आग पर पानी की बौछारें पहुंच सकीं। सुबह तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। मिल प्रबंधन से श्रमिकों को सुबह की पारी में आने से रोक दिया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी हाजिरी होगी और पारिश्रमिक भी दिया जाएगा।
गौरतलब है कि कपड़ा मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद मिल में 107 करोड़ रुपए का निवेश किया गया था। पहली किस्त में 27 करोड़ और दूसरी किस्त में 81 करोड़ दिए गए थे। इस दौरान केवल यार्न का धागा बनाने की यूनिट लगाई गई थी। तत्कालीन कपड़ा मंत्री संबाशिवा राव ने दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए कहा था कि मिल का उत्पादन दोगुना हो जाएगा और ये मुनाफा कमाने लगेगी।
1937 में स्थापित इस मिल को औद्योगिक और वित्तीय पुननिर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) ने घाटा पहुंचाने वाली मिल करार दिया था। मध्यप्रदेश की सात मिलों में से पांच को अव्यावहारिक इकाईयां बताकर बंद कर दिया गया था। इसके बाद बुरहानपुर की ताप्ती मिल और भोपाल की इस इकाई में सरकार ने और भी निवेश किया था। इसके बावजूद ये इकाईयां आत्मनिर्भर नहीं हो पाईं. नई सरकार ने इन मिलों के प्रबंधन से उनके कामकाज का ब्यौरा मांगा है जिसके चलते प्रबंधन अपनी गलतियां छुपाने का जतन कर रहा है। बताते हैं कि मिल प्रबंधन ने षड़यंत्र पूर्वक ऐसे हालात निर्मित कर दिए कि आग भड़की और उसे समय पर बुझाया भी नहीं गया।

Print Friendly, PDF & Email

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*