खेती चली मुनाफे की ओर

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भोपाल(पीआईसीएमपीडॉटकॉम)। भारतीय खेती को बढ़ावा देने की दिशा में केन्द्र सरकार के सुधारों के साथ कदमताल करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने भी बटाई पर खेती देना आसान बनाने की तैयारी कर ली है। बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्रीय सरकार ने खेती की ज़मीन को लीज़ पर देने और लेने वाले लोगों का जीवन आसान करने के लिए एक नया अध्यादेश बनाया है। मध्यप्रदेश में इसके लागू होने के बाद देश में खेती की ज़मीन बटाईदारी पर या लीज़ पर देना कानूनन अपराध नहीं बचेगा। दावा है कि नए नियमों से ग्रामीण भारत में गरीबी मिटाने, उत्पादकता बढ़ाने व विकास दर को तेज़ करने में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार की थिंक टैंक संस्था नीति आयोग ने कुछ समय पहले एक कमेटी गठित की थी, जिसका उद्देश्य खेतिहर भूमि को लीज़ पर देने से जुड़ी समस्याओं को समझने और सुलझाने के सुझाव देना था। कमेटी ने विभिन्न राज्यों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ‘खेतिहर भूमि लीजिंग एक्ट 2016’ तैयार कर हाल ही में सरकार को सौंपा है। राज्यों द्वारा इस एक्ट को अपनाए जाते ही पुराने सारे नियम समाप्त हो जाएंगे।इसी पर अमल करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने भी ये फैसला लिया है कि वो खेती को मुनाफे का धंधा बनाने की दिशा में सभी बदलाव स्वीकार करेगी।

जानकारों का कहना है कि नया एक्ट ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि इससे गांव का एक खेती जानने वाला किसान ज़मीन के आभाव में मजदूरी नहीं करेगा। अब बिना डर के जब भूस्वामी उसे अपना खेत लीज़ पर देगा तो वो खेती कर सकेगा।कृषि अर्थशास्त्री टी. हक़ की अध्यक्षता वाली कमेटी ने ही नीति आयोग के तहत ये नया एक्ट तैयार किया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 14 करोड़ किसान हैं। पुराने नियमों के हिसाब से बटाईदारों की गिनती किसानों में नहीं होती थी जिसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं से लेकर खेती की सामग्रियों पर मिलने वाली आर्थिक मदद भी नहीं मिल पाती थी। वे फसलों का मुआवजा भी नहीं ले पाते थे।

डॉ हक ने बताया कि ज़मीन बटाई पर देने वाला और बटाईदार के बीच कोई लिखित समझौता नहीं होता था। ऐसे में बटाईदार फसल बीमा नहीं करवा पाते थे, न ही किसी आपदा में फसल गंवाने पर सरकारी राहत के हकदार होते थे। अब नए एक्ट के लागू होते ही बटाईदार किसान भी इन सभी योजनाओं व सहायताओं में अपना हक पा सकेंगे, भूस्वामी उनका हक नहीं छीन पाएगा।

नए नियम के बाद अब कोई भू-मालिक भी दोतरफा कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करके एक नियत समय के लिए बिना किसी डर अपनी ज़मीन बटाईदार या खेती के लिए लीज़ पर दे सकेगा। देश में बहुत सी खेती की ज़मीन का सही इस्तेमाल केवल इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि ज़मीन मालिक गाँव में नहीं रहता या खेती छोड़ चुका है। लेकिन वह किसी अन्य किसान को अपनी खेती बटाई या ठेके पर भी सिर्फ इस डर से नहीं देता था कि कहीं उसकी ज़मीन न चली जाए।

नियमत: यदि कोई बटाईदार एक नियत समय से ज्यादा किसी खेत पर बटाई पर खेती करता रहा है तो वह उस खेत को अपने नाम कराने का हकदार है।

डॉ हक के अनुसार, “भूस्वामियों को बढ़ावा मिलेगा कि वो अपनी ज़मीन गंवाने का डर पाले बिना उसे लीज़ पर देकर मिलने वाले धन को खेती के बाहर किसी इकाई में लगाएं। इससे देश में व्यावसायिक विविधता आएगी, जो ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है।”

कमेटी ने यह पाया था कि देश में खेतिहर भूमि का पूरा प्रयोग इसलिए भी नहीं हो पा रहा क्योंकि अलग-अलग राज्यों में खेती की ज़मीन को लीज़ पर देने को लेकर अलग-अलग नियम हैं। ज्यादातर खेतिहर भूमि की लीज़ को बढ़ावा नहीं देते जो कि देश की खाद्य उत्पादकता और कृषि विकास के लिए एक समस्या है।

देश के उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में खेत लीज़ पर देना प्रतिबंधित रहा है, केवल विधवा, अवयस्क, शारीरिक अक्षमता वाले व सैनिक किसानों को छूट दी गई है। केरल में भी बटाईदारी प्रतिबंधित रही है, लेकिन हाल ही में सरकार ने स्वयं सहायता समूहों को कुछ छूट दी है।

इसी तरह पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में ज़मीन लीज़ पर देना तो गैरकानूनी नहीं है लेकिन बटाईदारों को यह अधिकार है कि निर्धारित समय तक बटाई पर खेती करने के बाद वे भूस्वामी से ज़मीन खरीदने के हकदार हो जाते हैं।

केवल आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, और पश्चिम बंगाल में ही बटाईदारी के सरल कानून हैं।

खेती की ज़मीन गैर-कृषि कार्यों के लिए भी लीज़ पर देना बने आसान

नए अध्यादेश का प्रारूप तैयार करने वाले नीति आयोग के वाइस चेयरमेन अरविंद पनगढ़िया ने एक्ट का ज़िक्र करते हुए अपने आधिकारिक ब्लॉग पर लिखा, “मेरा मानना है कि इस एक्ट में खेती की ज़मीन को खेती के उपयोगों में ही लीज़ पर दिए जाने के नियम को और विस्तार दिया जाना चाहिए, ताकि खेती की ज़मीन को उद्योगों या गैर-कृषि कार्यों के लिए भी लीज़ पर देना आसान हो सके”।

जानकारों की राय

नया एक्ट ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि इससे गांव का एक खेती जानने वाला किसान ज़मीन के आभाव में मजदूरी नहीं करेगा। अब बिना डर के जब भूस्वामि उसे खेत लीज़ पर देगा तो वो खेती करेगा और गौरव के साथ जिंदगी काटेगा।

– डॉ टी. हक, अध्यक्ष, खेतिहर भूमि लीज़िंग एक्ट कमेटी, नीति आयोग

यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। बटाईदार किसानों की हालत बुरी है देश में, इससे सुधार में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं अनाज उत्पादन भी सुधरेगा क्योंकि जो छोटा किसान खेती बढ़ाना चाहता है वो अब असानी से लीज़ पर खेत लेगा।

– राकेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन

यह सही दिशा में उठाया गया कदम है उम्मीद है कि आगे चलकर यह कॉर्पोरेट सेक्टर के खेती में उतरने का रास्ता बन सकता है। नए एक्ट में अभी तो छोटे किसान द्वारा बड़े किसान को ज़मीन लीज़ पर देने का प्रावधान नहीं है पर आगे एक्ट में यह परिवर्तन होते ही, कॉर्पोरेट सेक्टर छोटे किसानों की ज़मीन लीज़ पर ले लेंगे। इससे इकोनोमी में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

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