फैशन जगत में बजेगा भारत के हाथकरघा वस्त्रों का डंका

भारतीय हैंडलूम की सांस्कृतिक विरासत अब वैश्विक ब्रांडों के बीच धूम मचाएगी.


गांव में बैठकर फ्रांस के फैशन प्रेमियों के वस्त्र बनाना भी अब संभव,होटल रैडिसन में फैशन डिजाईनरों का जमघट


भोपाल,06 अगस्त(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)।दुनिया के किसी भी मुल्क में रहने वाले फैशन प्रेमी अब अपने नाप जोख के कपड़े भारत के हाथकरघा डिजाईनरों से बनवा सकेंगे। दुनिया भर के फैशन डिजाईनरों का मंच, विश्व डिजाईनिंग फोरम भारत के इन हाथकरघा वस्त्रों को विकसित देशों के लोगों को सरलता से उपलब्ध कराएगा । भारत सरकार के मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल अभियान की सफलता के बाद मंच हाथकरघा वस्त्रों की मार्केटिंग दुनिया के प्रचलित ब्रांडों के साथ करेगा । हाथकरघा कला में निपुण वस्त्र डिजाईनरों के लिए विश्व का बाजार मुहैया कराने वाले इन रचनाधर्मी लोगों ने सोमवार 7 अगस्त को भोपाल के रेडीसन होटल में फैशन शो आयोजित किया है। इसमें वर्ल्ड डिजाइनर फोरम के संस्थापक अंकुश अनामी और उड़ीसा के डिजाइनर सव्यसाची,हरप्रीत, निशा, कपिला जैसे लगभग सौ से अधिक वस्त्र डिजाईनर शामिल होंगे। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और सूक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा के हाथों से सम्मानित डिजाईनरों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। लगभग आठ साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी तबसे देश के वस्त्रों की पूछ परख विश्व बाजार में भी बढ़ी है।


होटल रैडिसन में सोमवार की शाम साढ़े छह बजे से शुरु होने वाला ये फैशन शो लगभग दस बजे तक चलेगा। आज पत्रकारों से चर्चा में उड़ीसा से आए फोरम के संचालकों सव्यसाची और अंकुश अनामी ने बताया कि इस अवसर पर लगाई प्रदर्शनी में हाथकरघा से बने विभिन्न वस्त्र शिल्प रखे गए हैं। पूर्ण रूप से प्राकृतिक रेशों से बने ये वस्त्र सामान्य दिनचर्या में भी पहने जा सकेंगे। इसके साथ ही माहेश्वरी, चंदेरी की साड़ियों बाघ प्रिंट के वस्त्रों, जैसे कपड़ों से बनाए वस्त्र शिल्प भी लोगों को लुभाएंगे। हाथकरघा कारीगरों की विविध धर्मी सोच को ये आयोजन तब सामने ला रहा है जब दुनिया भर में फैक्टरी में बने रेडिमेड कपड़ों की धूम मची हुई है। लोग इन ब्रांडों को अपने स्टेटस का प्रतीक मानते हैं जबकि हाथकरघे से बने खूबसूरत, सुंदर और स्वास्थ्य के लिए लाभ प्रद वस्त्रों के बारे में उन्हें कम जानकारी है।


श्री सव्यसाची ने बताया कि कोणार्क के सूर्यमंदिर या भगवान जगन्नाथ के खूबसूरत वास्तुशिल्प बनाने वाली हमारी संस्कृति वस्त्र निर्माण में भी अनूठी है। हमारी टेक्सटाईल इंडस्ट्री विकसित हो चुकी है और हम ऐसे कीमती धागों से वस्त्र बनाते हैं जो दुनिया के फैशन मापदंडों के बीच अपनी अलग पहचान रखते हैं। उन्होंने कहा कि हाथकरघा वस्त्रों, परंपरा और कारीगरों को संबल प्रदान करने के लिए सरकार और कार्पोरेट जगत को आगे आना चाहिए। वे अपने स्टाफ या विद्यार्थियों के कपड़े भी हाथकरघा कारीगरों से डिजाईन करवा सकते हैं। हमारे वस्त्रों में कपास, गांजे के रेशों, जूट या केले जैसे प्राकृतिक रेशों से बने वस्त्र भी शामिल रहते हैं। जिस तरह हमारे भोजन में आर्गेनिक फूड की डिमांड बढ़ रही है उसी तरह हमारे कपड़े भी आर्गेनिक होते जा रहे हैं।


वर्ल्ड डिजाइनिंग फोरम के फाउंडर और सीईओ अंकुश अनामी ने कहा कि विश्व के प्रसिद्ध ब्रांडों या हाथकरघा वस्त्रों की नकल तो नहीं रोकी जा सकती लेकिन असली कपड़ों को जिस अनुसंधान और तकनीक से बनाया जाता है उसकी नकल संभव नहीं है। उन कपडों को किसी की सिफारिश की भी जरूरत नहीं होती। ये कपड़े पहली ही नजर में मन को भा जाते हैं। हम ज्यादा संख्या वाले उपभोक्ताओं के लिए भी कपड़े बनाते हैं और व्यक्तित्व संवारने वाले बेशकीमती वस्त्र भी डिजाईन करते हैं। हमारा प्रयास है कि राज्य और देश की सरकारें हमें भरपूर अवसर दें ताकि हम लोगों को मनमोहक कपड़ों का संसार उपलब्ध कराते रहें।

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