अर्जुनसिंह की कृपा की आड़ में डॉन बन बैठा था मुख्तयार मलिक


भोपाल,5 जून(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। राजस्थान के झालावाड़ में मारा गया भोपाल का डॉन मुख्तयार मलिक मध्यप्रदेश में इसलिए सुरक्षित रहा क्योंकि यहां के कई राजनेताओं का उसे संरक्षण मिलता रहा। इस सीमा से बाहर कारोबार फैलाने की ख्वाहिश उसकी मौत की वजह बनी। झालावाड़ के असनावर थाना क्षेत्र के कासखेडली गांव के नजदीक स्थित उजाड़ नदी और भीमसागर डैम अपस्ट्रीम में अब्दुल बंटी गेंग से उसकी झड़प हुई थी। पहली गोली मलिक ने चलाई थी लेकिन स्थानीय लोगों ने पथराव और गोलीबारी करके मुख्तयार के सहयोगियों को भागने पर मजबूर कर दिया था। इस घटनाक्रम के दौरान मुख्तयार के साथ 11 शूटर थे लेकिन उसका रसूख कोई काम नहीं आया और पानी के लिए तड़प तड़पकर उसे मरने को मजबूर होना पड़ा।
मुख्तयार पर दर्ज अपराधों की सूची बहुत बड़ी है, उस पर विभिन्न धाराओं के 58 मामले दर्ज हैं। सैकड़ों अन्य मामले ऐसे भी हैं जिनकी जानकारी तो खुली पर वे पुलिस रिकार्ड तक नहीं पहुंचे। कई मामले उसने आपसी रजामंदी से बंद करा दिए। कई मामले उसके राजनैतिक आकाओं की वजह से दर्ज नहीं हो सके। पहली बार 21 साल की उम्र में बलात्कार के अपराध में वह जेल पहुंचा था। उसके बाद उसकी अपराध की दुनिया का साम्राज्य शुरु हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को धमकाने की वजह से 1990 में वह चर्चा में आया था। इसकी वजह थी कि पटवा हमेशा से अर्जुनसिंह के चहेते रहे और बाद में मध्यप्रदेश की राजनीति में दो बार उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका भी मिला। तब भी मध्यप्रदेश पुलिस ने मुख्तयार को नहीं निपटाया क्योंकि राजनेताओं ने उसे पटवा से माफी मंगवा दी थी। फिरौती वसूलने के लिए उसने रायसेन के तीन बच्चों का अपहरण किया था तब पुलिस ने मुठभेड़ में बच्चों को सकुशल बचा लिया लेकिन तब भी मुख्तयार नहीं मारा गया। पुलिस के जांबाज अफसर सलीम ने जब उसे घसीटकर सड़कों से गुजारा तो भय के कारण उसने पेंट गीला कर दिया था। ये सारे घटनाक्रम होते रहे लेकिन मध्यप्रदेश उसकी शरण स्थली बना रहा।एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर उसकी मौजूदगी भी अखबारों की सुर्खियां बनीं लेकिन फिर सीएम आवास में उसका प्रवेश निरुद्ध कर दिया गया।
गैस कांड के मुआवजे की सुनवाई करने वाली अदालतें भी उस पर काफी मेहरबान रहीं। वह जिस व्यक्ति को अदालत में पेश कर देता उसका अवार्ड पारित हो जाता। यह रकम सीधे मुख्तयार के पास पहुंच जाती थी। इस तरह उसने गैस कांड के मुआवजे में से करोड़ों रुपए जुटाए। उसे पनाह देने वाले अंकल जज राजीव भटजीवाले की रकम जब ब्याज पर चलाने वाले एमपीनगर के एक व्यापारी ने गड़प ली तो मुख्तयार ने उसकी दूकान पर जाकर कट्टा तानकर धमकाया था। उस व्यापारी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके मुख्तयार का शूटआऊट कराने की तैयारी कर ली थी। बाद में व्यापारी की गवाही पर राजीव भटजीवाले का भ्रष्टाचार प्रमाणित हो गया और राजीव भटजीवाले को बर्खास्त कर दिया गया,लेकिन मुख्तयार मलिक साफ बच निकला।
हालिया मामले में उसे भीमसागर डैम से करोड़ों रुपए के मुनाफे का लालच दिया गया था। प्रस्ताव लाने वाला विक्की वाहिद उसका बहुत खास था। मुख्तयार उसे बेटे के समान मानता था। घटाक्रम के दौरान मलिक ने वाहिद का ही साथ लिया था लेकिन वाहिद उसे छोड़कर फरार हो गया। झालावाड़ के असनावर थाना क्षेत्र के कासखेडली गांव के नजदीक स्थित उजाड़ नदी और भीमसागर डैम अपस्ट्रीम में ये गैंगवार हुई थी। मंगलवार रात दो बजे कांस खेडली के अब्दुल बंटी गैंग और मुख्तार मलिक गैंग के बीच गोलियां चली। इसमें एक की मौत हुई। मुख्तार मलिक गुट के भोपाल निवासी कमलकिशोर की गैंगवार में मौत हुई थी। जिसका शव पुलिस ने बुधवार रात को ही पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा था। संघर्ष में लापता हुए गैंगस्टर मुख्तार मलिक और विक्की का गुरुवार रात को भी कोई पता नहीं चला। लेकिन विक्की के भोपाल पहुंचने की सूचना लगी। विक्की भी गैंगस्टर बताया जा रहा है। उजाड़ नदी के भीमसागर डैम क्षेत्र में मछली पकडने का ठेका दिल्ली के ईरशाद के पास था। 31 मई को उसने भोपाल के मुख्तार मलिक को ठेका बेच दिया। सौदा दिन में हुआ और घटना रात में नाव लेने को लेकर हो गई।
समाचार पत्रों में छपी कहानी के अनुसार मुख्तार को जब भीम सागर डैम में उसकी बोट नहीं दिखी तो वह अपने गुर्गे विक्की वाहिद के साथ कालीसिंध के भंवरासा डैम से भीम सागर में बोट तलाशने निकला। पता चला कि उसकी नाव को गैंगस्टर बंटी अब्दुल लेकर चला गया। बंटी का पूर्व मछली ठेकेदार इरशाद से लेनदेन को लेकर विवाद था। इसकी जानकारी होने पर मलिक वापस भंवरासा डैम आया। एक मिनी ट्रक में अपनी दूसरी नाव रखी, विक्की की फॉर्च्यूनर और अपनी ब्लैक पजेरो में गुर्गों के साथ वापस भीम सागर आया। बंटी अब्दुल की गैंग से नाव वापस लेने के लिए मुख्तार समेत 11 लोग कांसखेडली गांव के लिए रवाना हुए।
मलिक की नाव में साथ बैठा गुर्गा शकील (निवासी रीछवा, झालावाड़) उसके हर मूवमेंट की जानकारी बंटी गैंग को फोन से देता रहा। इससे बंटी गैंग पूरी तरह अलर्ट हो चुकी थी। बंटी ने अपने चार गुर्गे झालावाड़ से भी बुला लिए थे। विक्की शराब के नशे में था। वह नाव में भी शराब पी रहा था। रात डेढ़ बजे कांसखेडली गांव में डैम के बैकवॉटर के किनारे पहुंचकर विक्की ने बंटी को ललकारा। पहले से हमले की ताक में बैठी बंटी गैंग ने पथराव शुरू कर दिया। यह देख मुख्तार ने 32 बोर की रिवॉल्वर से फायर करने शुरू कर दिए। जवाब में बंटी गैंग ने भी फायरिंग शुरू कर दी। पथराव और गोलीबारी से बचने के लिए मुख्तार के साथ नाव में बैठे उसके गुर्गे पानी में कूदने लगे। डिसबैलेंस होने से नाव पानी में समा गई। इसी दौरान भोपाल निवासी कमल मीणा के नाक के पास गोली लगी। वो पानी में गिर गया और डूबने से उसकी मौत हो गई। शकील के बांह में गोली लगी। आठ गुर्गे जंगल में भाग गए, जो अलग-अलग ग्रुप में सुबह सारोला थाना इलाके की तरफ से जंगल से बाहर निकले। मुख्तार, विक्की, कमल का पता नहीं चला। कमल की लाश बाद में बरामद की गई।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गैंगवार की रात बोट में उसके साथ 11 लोग थे,इनमें खुद मुख्तार मलिक, भोपाल, विक्की वाहिद, शफीक मोहम्मद, रीछवा, थाना बकानी, शकील मोहम्मद, रीछवा, थाना बकानी, सलमान, रीछवा, थाना बकानी, शोएब हुसैन, गागरोन थाना मंडावर, विजय कुमार, रीछवा, थाना बकानी, बृजराज, रीछवा थाना बकानी, अखलाक खां विराट नगर उज्जैन, आरिफ, खिलचीपुर, राजगढ़, कमल किशोर मीणा, भोपाल । राजधानी भोपाल की जिला अदालत में मुन्ने पेंटर गैंग के बीच हुए गैंगवार में मुख्तार को 2006-07 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में वह बरी हो गया था। मामलों में वह समर्पण करके पुलिस से बचता था और अदालतों में दबाव से समझौता करके मामले रफा दफा करवा लेता था।

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