पवन विद्रोही के हत्यारे और शूटर सभी सबूतों के अभाव में बरी

पवन विद्रोही हत्याकांड मामले में अदालत ने सुनाया फैसला

भोपाल,23 अगस्त(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। राजधानी में वर्ष 2007 के दौरान हुए पत्रकार पवन विद्रोही हत्याकांड के मामले में अदालत ने ग्वालियर के तीन शूटरों सहित आरोपी बनाए गए बिजनेस पार्टनर राजेंद्र जैन आम्रपाली, मुकेश जैन राजेश जैन और सुनील भदोरिया को सबूतों के अभाव मैं दोषमुक्त कर दिया है। जिला अदालत में अपर सत्र न्यायाधीश यतेश सिसोदिया ने सोमवार को यह फैसला सुनाया।अपने फैसले में अदालत ने कहा कि मामले में गवाहों के बयानों में विरोधाभास है साथ ही जब्ती की कार्रवाई भी प्रमाणित नहीं है। ऐसे में सभी को दोषमुक्त किया जाता है।


पत्रकार और बिल्डर पवन जैन विद्रोही की 3 जुलाई 2007 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। विद्रोही कार में विदिशा से नेहरू नगर स्थित घर लौट रहे थे। ग्वालियर के शूटर जितेंद्र, मेवालाल और आरिफ ने कार को जेके रोड के पास रोककर विद्रोही की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिस कार में विद्रोही लौट रहे थे उसमें ही आरोपी बनाए गए विद्रोही के साले मुकेश जैन और राजेंद्र जैन आम्रपाली बैठे थे। कार चालक सरदार सिंह की भी गोलीबारी में मौत हो गई थी। मामले में शुरू में राजधानी पुलिस ने विवेचना की थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।

सीबीआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पवन के पार्टनर और साले को ही चिन्हित किया था। जांच अधिकारी का कहना था कि चूंकि गोलियां सीट के पीछे से मारी गईं हैं इसलिए शूटरों और गवाहों का बयान झूठा है। ड्राईवर और पवन दोनों के मृत शरीरों में गोलियां पीछे से घुसकर आगे की ओर निकलीं थीं। जबकि पकडे गए कथित शूटरों का कहना था कि उन्होंने आगे से गोलियां चलाईं थीं। सीबीआई के बाद के अफसरों ने इस मामले में रुचि नहीं ली और अदालत में आरोपियों को भ्रम की स्थिति निर्मित करने में सफलता मिल गई।

राजेंद्र जैन आम्रपाली के वकील विजय चौधरी ने बताया कि पुलिस की कहानी के अनुसार बिजनेस पार्टनर राजेंद्र जैन आम्रपाली, मुकेश जैन राजेश जैन और सुनील भदोरिया ने कारोबारी रंजिश के चलते साजिश रच कर भाड़े के हत्यारों से विद्रोही की हत्या कराई थी। हालांकि कोर्ट में पुलिस चारों पर लगे आरोप साबित नहीं कर सकी। अदालत में गवाहों ने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया।

ऐसे हुआ था हत्याकांड का खुलासा

जांच के दौरान पिपलानी पुलिस को विद्रोही का मोबाइल मिला था। जांच में पाया गया कि हत्या के पहले विद्रोही की लगातार फोन पर बिजनेस पार्टनरों से बातचीत हो रही थी। जिस नंबर पर ज्यादा बार बातचीत हुई उसकी लोकेशन घटनास्थल के आसपास की थी। जांच में नंबर विदिशा के रहने वाले सुनील भदोरिया का निकला। सुनील भदोरिया ने पुलिस को दिए मेमोरेंडम में बताया कि उसने राजेंद्र जैन आम्रपाली, मुकेश जैन और राजेश जैन के कहने पर गवालियर के शूटरों से हत्या करवाई है। भदोरिया ने बताया था कि हत्या का सौदा 15 लाख में तय हुआ था।

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