पाकिस्तान जैसा मुल्क और नहीं चाहिए बोले गोलोक बिहारी राय

भोपाल,4 जुलाई(प्रेस सूचना केन्द्र)।राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय महामंत्री गोलोक बिहारी राय का कहना है कि पिछले 70 सालों से हमने पाकिस्तान को मजबूत पड़ौसी के तौर पर खड़ा होते देखने की नीति अपनाई थी इसके बावजूद पाकिस्तान ने हर बार प्रतिफल के रूप में हमें घाव ही दिए। वह अपने ही नागरिकों को सुखी जीवन देने में असफल रहा है, इसकी वजह से कई प्रांतों में वहां के स्थानीय लोग अपनी अस्मिता के लिए लड़ रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम अपनी नीति बदलें और अपनी अस्मिता के लिए लड़ रहे स्थानीय लोगों को अपना नैतिक समर्थन दें। ये नीति यूरोपीय देशों की तरह सह अस्तित्व के भाव को मजबूत करेगी और दक्षिण पश्चिम एशिया में शांति और समृद्धि भी बढ़ाएगी।

आज राजधानी के विश्व संवाद केन्द्र में आयोजित एक संगोष्ठी में पाकिस्तान कल आज और कल विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।संगोष्ठी का आयोजन स्पंदन के सहयोग से किया गया था। कार्यक्रम में प्रमुख वक्तव्य राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय महामंत्री गोलोक बिहारी राय ने दिया। अध्यक्षता पूर्व पुलिस महानिदेशक एस.के.राऊत ने की। विषय की प्रस्तावना अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और विदेश नीति के अध्येता डॉ. अरविंद तिवारी ने रखी। प्रसिद्ध विचारक रामेश्वर शुक्ल,कुसुमलता केडिया समेत कई अन्य गणमान्य लोगों ने भी इस संगोष्ठी में भाग लिया। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की नवगठित भोपाल इकाई की भी घोषणा की गई। कार्यक्रम का संचालन देवांजन बोस ने और आभार प्रदर्शन आशुतोष ने किया।

श्री गोलोक बिहारी राय ने कहा कि कुंभ के दौरान 14 फरवरी को जब पुलवामा हमले की सूचना पहुंची तो कुंभ मेला परिसर के तमाम पंडालों में बैचेनी की लहर दौड़ गई थी। लाखों धर्मप्रेमी नागरिकों के बीच किसी राष्ट्रीय विषय पर विषाद की इस घटना को देखकर साफ समझा जा सकता है देश से जुड़े हर भारतीय की संवेदनाएं राष्ट्र के साथ किस गहराई से एकाकार हैं। इसी के बाद 14 मार्च को देश के कुछ चिंतकों ने फैसला किया कि अब वे और पाकिस्तान नहीं चाहेंगे। इसी चिंता ने नो मोर पाकिस्तान आंदोलन को जन्म दिया और अब देश में इस विषय पर जनमत तैयार किया जा रहा है कि हम पाकिस्तान जैसे असफल विचार को और समर्थन नहीं देंगे। जो लोग इस विचार के खिलाफ पाकिस्तान में ही रहकर संघर्ष कर रहे हैं हम उन्हें अपना नैतिक समर्थन देंगे। जिस तरह यूरोप के छोटे छोटे देश एक साथ रहकर विकास की ऊंचाईयां छूने में सफल हुए हैं उसी तरह हम भी दक्षिण एशिया के विकास में, अपने पड़ौसी बलूचों और अन्य नागरिकों को अपना नैतिक समर्थन देंगे। यह कार्य हम अपने अपने शहर में रहकर भी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जिस तरह बंगलादेश के लोगों ने सोचा कि हम बंगला भाषी हैं तो उर्दू भाषियों के अत्याचार क्यों सहें और इसी विचार ने एक नए देश को जन्म दे दिया। बंग्लादेश के लोगों ने मार्च 1971 में खुद को बंगला राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया था और 16 दिसंबर 1971 को बंगलादेश का एक नए देश के रूप में उदय हो गया था। भारत की सेना ने निश्चित रूप से इसमें बड़ी भूमिका निभाई थी लेकिन तब सूचना का तंत्र कमजोर हुआ करता था और मुक्तिवाहिनी के नेतृत्व में संग्राम लड़ रहे बंग्लादेशियों को इस संघर्ष की मंहगी कीमत चुकानी पड़ी थी। आज पूरी दुनिया के देश पाकिस्तान को आतंकवाद का जन्मदाता मानते हैं। पूरी दुनिया में कहीं भी आतंकवादी वारदातें होती हैं तो उनकी जड़ें पाकिस्तान में पाई जाती हैं। इस आपराधिक गतिविधियों में पूरा पाकिस्तान शामिल नहीं है। वहां के लोग इस नीति से असहमत हैं और कई प्रांतों में अपनी अस्मिता अलग स्थापित करने की लड़ाई चल रही है। पाकिस्तान के फौजी हुक्मरान उन्हें बंदूक के बल पर एक राष्ट्र के तले खड़े होने को मजबूर कर रहे हैं।ऐसे में वहां के समुदायों को अपनी पहचान स्थापित करना अधिक कठिन नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शुरु से कई वैश्विक शक्तियों के हाथ का खिलौना बना रहा है। चीन ने सिल्क रूट के जरिए या अन्य अभियानों के माध्यम से पाकिस्तान को मंहगा कर्ज दे रखा है। जिसे चुकाना पाकिस्तान के बस की बात नहीं है। पाकिस्तान में बड़ी संख्या में चीन के निवेशक पहुंच चुके हैं। कई पाकिस्तानियों ने तो अपने मकान केवल इसलिए खाली छोड़ रखे हैं कि वे उन्हें चीन से आने वाले लोगों को किराए पर दे सकेंगे। सिल्क रूट के हर दो तीन सौ किलोमीटर पर चीनी भाषा मंदारिन सिखाने वाले स्कूल खुल गए हैं। बडी़ संख्या में पाकिस्तानी लड़कियां चीनी रेडलाईट एरिया में भेजी गईं हैं। ऐसे में भारत को अपनी नीति बदलनी होगी और पाकिस्तान के उद्यमी समुदायों को उनकी अस्मिता स्थापित करने के अभियानों को अपना नैतिक समर्थन देना होगा।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ही विश्व में ऐसा अनोखा देश है जहां की राष्ट्रीयता इस्लाम है। दुनिया का कोई देश धर्म को राष्ट्रीयता से जोड़कर नहीं देखता। यही वजह है कि धर्म की आड़ में पनपी अनैतिकता ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट कर दी है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी दार्शनिक डॉ. अबरार ने तो इन हालात को देखकर कहा है कि वर्ष 2027 तक पाकिस्तान नाम की चिड़िया विलुप्त हो जाएगी। हमें अपनी वैश्विक यात्रा जारी रखना है इसके लिए पाकिस्तान का अब और न होना जरूरी है। भारत के पडौ़स में छोटे देश होंगे तो वे अपनी विकास यात्रा आसानी से जारी रख सकते हैं। पाकिस्तान जिस विचार पर अलग हुआ था उसकी असफलता छुपाने के लिए वहां के शासक गलतियों पर गलतियां किए जा रहे हैं जिससे समूचे दक्षिण एशिया की विकास यात्रा प्रभावित हो रही है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व पुलिस महानिदेशक एसके राऊत ने कहा कि पहले देश की राष्ट्रीय नीति गोपनीय रखी जाती थी लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच ने जिस तरह देश भर में जनसंवाद का आंदोलन छेड़ा उसके बाद अब देश की विदेश नीति में आम जनता के विचार भी सहयोगी साबित हो रहे हैं। चीन को लेकर सरकार की जो भी विदेश नीति हो पर देश में नागरिकता बोध का केन्द्र राष्ट्र बन जाने के बाद विदेशी माल का बहिष्कार करने का भाव तो जनता के बीच जागया ही जा सकता है। पाकिस्तान में लोग सफल राष्ट्र के रूप में खड़े होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारा नैतिक समर्थन उन्हें भी सुखी बनाएगा और भारत की विकास यात्रा को भी ऊंचाईयों तक ले जाएगा। उन्होंने आव्हान किया कि ज्यादा से ज्यादा लोग राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच से जुड़ें और भारत को विश्व कल्याण के लिए नेतृत्व करने वाला देश बनाने में सहयोगी बनें।

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