कृषि को उद्योग बनाने की तैयारी-भाजपा

सागर। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति बैठक के दूसरे सत्र में संभागशः बैठकें आयोजित की गयी। तृतीय सत्र में कृषि प्रस्ताव पार्टी के प्रदेश महामंत्री श्री बंशीलाल गुर्जर ने प्रस्तुत किया। समर्थन किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री रणवीर सिंह रावत एवं पार्टी के प्रदेश मंत्री श्री बुद्धसेन पटेल ने किया।
चौथे सत्र में नर्मदा सेवा यात्रा को लेकर पार्टी के प्रदेश महामंत्री श्री विष्णुदत्त शर्मा का उदबोधन, प्रशिक्षण वर्ग को लेकर प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री अरविन्द कवठेकर, जन्मशताब्दी विस्तारक वर्ग को लेकर प्रदेश मंत्री श्री पंकज जोशी एवं प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र 52 नगरपालिकाओं को लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष श्री रामेश्वर शर्मा ने विस्तार से प्रकाश डाला।
कृषि प्रस्ताव इस प्रकार है –
कृषि प्रस्ताव
भाईयों और बहनों,
सागर की पावन धरा पर आप सभी का स्वागत, अभिनन्दन। यह भूमि हमारी नैत्री राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जन्म स्थली हैं। आप सभी जानते हैं कि यह दानवीर डॉ. हरिसिहं गौर की जन्म स्थली हैं। उन्होने शिक्षा के लिये अपने आप को समर्पित किया तथा जीवन की सारी कमाई जनता को शिक्षित करने के लिये लगाकर सागर विश्व विद्यालय की स्थापना की। यह लाखा बंजारा की समर्पण स्थली हैं। सागर महान चिन्तक आचार्य रजनीश की चिन्तन स्थली हैं। प्रसिद्ध कवि पदमाकर की नगरी हैं।

भाईयों और बहनों, जब देश 1947 में आजाद हुआ तब देश की जनसंख्या 33 करोड़ के लगभग थी। 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांव में रहती थी। 75 प्रतिशत नागरिक खेती करते थे। देश की जी.डी.पी. में कृषि का योगदान 60 प्रतिशत था। आजादी के बाद किसानों को उम्मीद थी की अब हमारी सरकार बनी हैं। खेती के दिन अच्छे आयेंगे व देश की जी.डी.पी. में खेती का योगदान 75 प्रतिशत हो जायेगा। लेकिन हुआ इसका उल्टा तत्कालीन सरकारों ने देश के 75 प्रतिशत जनसंख्या के धंधे को अपने एजेण्डे में स्थान नहीं दिया,उन्होने खेती व किसानों की उपेक्षा की, परिणाम हमारे समाने हैं। देश की आजादी के 70 साल बाद भी गावों में 70 प्रतिशत जनसंख्या रहती हैं। 62 से 65 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आश्रित हैं। देश की जी.डी.पी. में कृशि का योगदान लगभग 14 प्रतिशत हैं। अब हम कल्पना कर सकते हैं की 65 प्रतिशत जनसंख्या 14 प्रतिशत में गुजारा करती हैं तो उनकी हालत क्या होगी।

भाईयों और बहनों, खेती की दुर्दशा को जिस महापुरूश ने पहली बार पहचाना वो हैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मा. अटल बिहारी वाजपेयी जी। मा. अटल जी ने अपनी सरकार के एजेण्डे में कृशि व किसान को प्रमुख स्थान पर रखा पहली बार खेती में वित्तीय प्रवाह को तेज करते हुये किसान क्रेडिट कार्ड योजना व आपदा प्रबंधन के लिये फसल बीमा योजना प्रारंभ की। हमें खुशी हैं कि मा. अटल जी की इसी परम्परा को आगे बढाने में मा. नरेन्द्र मोदी जी की नेतृत्व वाली केन्द्र की एन.डी.ए. सरकार एवं मा. शिवराजसिंह जी चौहान के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की भा.ज.पा. सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

भाईयों और बहनों, हम सब जानते हैं की म.प्र. की आय का प्रमुख साधन कृशि हैं। म.प्र. की कृशि एवं किसान वर्श 2003 से पूर्व असहाय थे। म.प्र. की गिनती अति पिछडे़ राज्यों में होती थी। राज्य की कृषि विकास दर राष्ट्रीय कृषि विकास दर से कम होती थी। 2003 में भा.ज.पा. सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मा. शिवराजसिंह जी चौहान ने कृशि व किसान को सरकार के एजेण्डें में प्रमुख स्थान पर लिया। कृषि उत्पादन में सहयोगी तमाम योजनाओं पर सरकार ने तेज गति से काम किया, उसी का परिणाम हैं की आज म.प्र. की कृषि विकास दर 24.99 प्रतिशत तक पहुंची हैं।
मित्रों कभी कृषि के लिये उद्योग के दर्जे की मांग की जाती रही हैं, वजह बहुत साफ हैं उद्योग में वित्तीय प्रवाह की निरंतरता (वित्तीय प्रबंधन) तथा आपदा प्रबंधन की व्यवस्था, विद्युत प्रदाय में प्राथमिकता। वित्तीय प्रवाह में ब्याज अनुदान नवीन उद्योगों को उत्पादन के आरंभिक वर्शो में विभिन्न करो से छुट आदि सुविधाएं दी जाती हैं। इसलिये किसान उद्योगों की सुविधाओं को देखकर कृशि के लिये उद्योग के दर्जे की मांग करते रहे हैं।

भाईयों और बहनों, म.प्र. में मा. शिवराजसिंह जी चैहान के नेतृत्व वाली भा.ज.पा सरकार ने किसानों की खेती को उद्योग के दर्जे वाली भावना को समझते हुये उस पर काम करना आरंभ किया। सरकार ने उन प्राथमिकताओं को कृशि में अपनाया जो उद्योगों के प्रोत्साहन में अपनायी जाती हैं।
वित्तीय प्रबंधन:-म.प्र. सरकार भा.ज.पा. की मा. शिवराजसिंह चैहान के नेतृत्व वाली सरकार ने कृशि में वित्तीय प्रबंधन में अभूतपूर्व काम किया हैं। कृशि में निजी निवेश के साथ-साथ शासकीय स्तर पर सहकारिता के माध्यम से ब्याज दरों को कम करते – करते अब जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर अब किसानों को कर्ज दिये जा रहे हैं। इस वर्श 15000 हजार करोड़ रूपये के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्णय म.प्र. सरकार ने लिया हैं। इससे कृशि में वित्तीय प्रवाह तेज हुआ तथा कृशि विकास का लक्ष्य प्राप्त करते हुये दलहन-तिलहन उत्पादन में देश में हम अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। खाद्यान्न उत्पादन मे हम दुसरे स्थान पर हैं। दुग्ध उत्पादन में राश्ट्रीय वृद्धि दर 6.27 प्रतिशत हैं वही मध्यप्रदेश में वृद्धि दर 12.70 प्रतिशत रही हैं।

निर्बाध विद्युत प्रदाय:-भा.ज.पा. सरकार से पहले कांग्रेस सरकार के समय खेती के लिये बिजली की स्थिति बहुत खराब थी। 4 घण्टे भी बिजली किसानों को नहीं मिल पा रही थी। आज म.प्र. के किसानों को निर्बाध 10 घण्टे बिजली कृशि कार्य के लिये दी जा रही हैं। निर्बाध बिजली मिलने से किसानों के काम करने का उत्साह बढ़ा हैं।

हमारी म.प्र. सरकार ने कृशि विद्युत प्रवाह की निरंतरता के लिये 90 हजार से अधिक अस्थाई कनेक्शनों को स्थाई कनेक्शन करने के लिये 1100 सौ करोड़ से अधिक का अनुदान दिया हैं। कृशि के लिये उपयोग की जानी वाली बिजली बिलों को 2 तिहाई भुगतान म.प्र. सरकार द्वारा किया जा रहा हैं तथा सरकार ने किसानों को बिजली बिलों के भुगतान के लिये 3830 करोड़ रूपये को टेरिफ सब्सिडी के लिये बजट प्रावधान किया हैं। साथ ही 5 एच.पी. के कृशि पम्पों, थ्रेशरों तथा एक बत्ती विद्युत प्रदाय हेतु 2000 हजार करोड रू. का प्रावधान किया हैं। कृशि सिंचाई के लिये जहां आसानी से विद्युत आपूर्ति नहीं की जा सकती वहां सरकार द्वारा किसानों को सौर उर्जा के उपयोग के लिये अनुदान पर सोलर पम्प योजना लागु की जा रही हैं।

हर खेत को पानी-हर हाथ को काम:- पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की संकल्पना हर खेत को पानी हर हाथ को काम को साकार करने के लिये भा.ज.पा नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश सरकार ने सिंचाई के लिये 6752 करोड़ रूपय, नर्मदा घाटी विकास के लिये 1212 करोड़ रूपये के बजट प्रावधान कर सिंचाई का रकबा 40 लाख हेक्टर तक पहुंचाकर हर हाथ को काम के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर तेजी से अपने कदम बढायें हैं।
आपदा प्रबंधनः-म.प्र. देश का ऐसा राज्य हैं जहां कृशि में आपदा प्रबंधन में अग्रणीय भूमिका म.प्र. सरकार ने निभाई हैं। गत वर्श अतिवर्शा व अवर्शा के कारण फसलों की बर्बादी की आपदा प्रदेश में आयी। मा. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी चैहान ने आपदा के समय किसानों के बीच जाकर उन्हे भरोसा दिलाया की म.प्र. सरकार किसानों के साथ हैं। इसी भरोसे का परिणाम हैं कि किसान आपदा के समय भी मैदान में डटा रहा।
मा. मुख्यमंत्री ने नुकसानी की परिस्थितियों को देखते हुये किसानों को 4700 करोड़ रूपये से अधिक का मुआवजा तत्काल वितरण कराया, साथ ही उन्हे भरोसा दिलाया की सरकार किसानों को फसल बीमा भी दिलायेंगी। मा. मुख्यमंत्री जी ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से 10 दिसम्बर को फसल बीमा राशि का वितरण किया व पूरे म.प्र. के लाखों किसान परिवारों को 4414 करोड़ रूपये से अधिक की फसल बीमा राशि वितरीत की गई। आज हम कह सकते हैं की म.प्र. आपदा प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभा रहा हैं।

बेहतर विपणन:-म.प्र. की भा.ज.पा सरकार उत्पादन में तो अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। साथ ही किसानों के उत्पाद की बेहतर बिक्री की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा रही हैं। विमुद्रीकरण के बाद पूरे देश की मण्डियों में खरीदी-बिक्री बंद हो गई, उस समय मा. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी चैहान ने आगे आते हुये किसानों की फसलों की खरीदी का भरोसा दिलाया, साथ ही किसानों की उपज धान सर्मथन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की। मण्डियों में अन्य फसलों की बिक्री का भुगतान निर्बाध गति से आर.टी.जी.एस., एन.एफ.टी. व चेक व्यवस्था से सुनिश्चित कर किसानों की कृशि उपज का बेहतर विपणन सुनिश्चित किया गया हैं। हम कह सकते हैं कि म.प्र. देश का पहला ऐसा राज्य हैं जहां विमुद्रीकरण के बाद सर्वप्रथम किसानों की फसलों की बिक्री प्रारंभ हुई व सभी राज्यों ने म.प्र. का अनुसरण किया हैं।

भाईयों और बहनों, मा. नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने कृशि में क्रांतिकारी परिर्वतन लाने के लिये महत्वपूर्ण पहलें की हैं:-
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:-
· किसानों को प्राकृति आपदा किट व्याधि प्रकोप आदि के कारण फसलों में होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के लिये तथा कृषि के क्षैत्र में रिस्क मेनेजमेंट की व्यवस्था बनाने तथा वित्तिय सुदृढ़ता प्रदान करने किसानों को कृशि के माध्यम से सत्त आय प्राप्त हो तथा कृषि क्षैत्र में स्थायीत्व देने के लिये इस योजना को लाया गया हैं। इस वर्ष म.प्र. के लगभग 40 लाख किसानों ने इस योजना में भागीदारी की है।

कृषि के लिये वित्तीय प्रबंधन:-हमारेयशस्वी प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जी ने कृषि व किसानों को खेती के लिये बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिये अब तक का सार्वाधिक ऋण लक्ष्य 9 लाख करोड़ रूपये के बजट प्रावधान किये। साथ ही ब्याज अनुदान के लिये 15 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया हैं।केन्द्र सरकार ने कृशि बजट बढ़ाकर 35984 करोड़ रूपये किया गया हैं। साथ ही पानी को अपनी प्राथमिकता सूची में रखते हुये प्रधानमंत्री कृशि सिंचाई योजना को मिशन मोड पर लाते हुये इसके अधिन 28.5 लाख हेक्टेयर क्षैत्रफल को लाया गया हैं।

· नाबार्ड में लगभग 20000 (बीस हजार करोड़) रूपये की प्रारंभिक निधि से एक समर्पित दीर्घावधिक सिंचाई निधि सृजित की गई जिससे सिंचाई योजनाओं का काम सत्त चलता रहे।
· मनरेगा के तहत वर्शापोशित क्षेत्रों में 5 लाख फार्म तालाबों और कुओं तथा जैविक खाद के उत्पादन के लिये 10 लाख कम्पोस्ट गड्ढों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा रहा हैं।
· नीम कोटेड यूरिया वितरण व्यवस्था:- प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जी ने यूरिया की कालाबाजारी रोकने तथा यूरिया का गैर कृषि उपयोग रोकने के लिये नीम कोटेड यूरिया किसानों को वितरण किये जाने का निर्णय किया, जिससे नीम कोटेड यूरिया की उच्च गुणवत्ता से उत्पादन बढ़ा तथा कालाबाजारी रूकी।

राष्ट्रीय कृषि बाजार:- देश के कृषि विपणन को बेहतर बनाने के लिये राष्ट्रीय कृषि बाजार के साथ साझे ई-बाजार की व्यवस्था करने के लिये एकीकृत कृशि विपणन ई-प्लेटफार्म प्रारंभ किया गया। जिससे देश के किसानों को पूरे विश्व बाजार की जानकारी मिल सकेगी साथ ही विश्व बाजार के भाव भी किसान जान सकेंगे। बडे़ खरीददार भी राष्ट्रीय कृषि बाजार से जुड़कर सीधे किसानों की कृषि उपज खरीदने का लाभ ले सकेंगे। बिचोलियों की भूमिका समाप्त होगी। किसान शोषण से छुटकारा पायेगा तथा किसानों को उनकी उपजों का अच्छा मूल्य प्राप्त हो सकेंगा। म.प्र. की 51 मण्डियां ई-नेम से जुड रही हैं। इससे कृशि विपणन और बेहतर होगा।
विमुद्रीकरण एक सशक्त आर्थिक परिर्वतन:- मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 8 नवम्बर 2016 को देश के इतिहास में एक सशक्त आर्थिक कदम उठाते हुये 1000 व 500 के नोट को बंद किया इसके अन्य फायदों के साथ-साथ आर्थिक जगत में भारतीय अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी, उससे विकास तेजी से होगा। इसका लाभ किसानों को सर्वप्रथम देने के लिये मा. प्रधानमंत्री जी ने 31 दिसम्बर 2016 को देश को संबोधित करते हुये किसानों के लिये सशक्त पहलंे की हैं:-
1. किसानों के कृशि ऋण पर 60 दिन का ब्याज भारत सरकार चुकायेगी। इस पहल से किसानों को लगभग 18 हजार करोड़ रूपये का लाभ होने का अनुमान हैं, जो किसानों के लिये बड़ी सौगात हैं।
2. किसानों के 3 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड को रूपी कार्ड में बदला जायेगा।
3. किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से दिये जाने वाले कर्ज को दुगना करने के लिये 20 हजार करोड़ रूपये की अतिरिक्त व्यवस्था नाबार्ड के माध्यम से की जायेगी।
भाईयों और बहनों, हमारी सरकारें सुगम वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से बेहतर जल प्रबंधन करते हुये उत्पादन बढाने के साथ-साथ उत्पादकता बढाने की व्यवस्थाएंकर रही हैं। साथ ही किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ मूल्य संर्वधित मूल्य दिलाने की भी सरकारें पहलें कर रही हैं। हम पूरा विश्वास करते हैं कि हमारी सरकारों की पहलों से 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। इस प्रस्ताव के माध्यम से हम प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जी, मुख्यमंत्री मा. शिवराजसिंह चौहान जी को धन्यवाद देते हैं।
बहुत-बहुत धन्यवाद
’’ जय जवान – जय किसान – जय मध्यप्रदेश – भारत माता की जय ’’

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