भारत के स्वाभिमान को जाग्रत करने का सबसे अनुकूल अवसरः आचार्य श्री विद्यासागर जी


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुंडलपुर को पवित्र क्षेत्र घोषित किया

कुंडलपुर 21 फरवरी (प्रेस इँफार्मेशन सेंटर)। दमोह जिले में स्थित जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंहासन चौहान ने धर्मसभा में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सामने कहा कि तीर्थ क्षेत्र के आसपास के 7 किलोमीटर क्षेत्र को पवित्र स्थल के रूप में नोटिफाई किया जाएगा, यहां मांस मदिरा व अन्य अनैतिक गतिविधियों पर सख्ती से रोक रहेगी। चौहान आज सपत्नीक कुंडलपुर महोत्सव में शामिल होने पहुंचे थे।
कुंडलपुर महोत्सव में आज ज्ञान कल्याणक (पूर्व) के धार्मिक अनुष्ठान प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के निर्देशन में किये गये। दोपहर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल सहयोगी गोपाल भार्गव व ओमप्रकाश सकलेचा के साथ महोत्सव स्थल पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नि श्रीमती साधना सिंह भी थीं। पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया और रामकृष्ण कुसमरिया भी इस अवसर पर उपस्थित थे। कुंडलपुर कमेटी ने मुख्यमंत्री और श्रीमती साधना सिंह को चांदी का मुकुट पहनाकर, चांदी का प्रशस्ति पत्र सौंपा। चौहान ने आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में श्रीफल भेंटकर आचार्यश्री का संघ सहित आशीर्वाद लिया।

आचार्यश्री विद्यासागर जी का आशीर्वाद लेने पहुंचे शिवराज सिंह चौहान और उनकी धर्मपत्नी


आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को सामने लाना जरूरी है।ये तभी संभव है जब देश को इंडिया बनाने के बजाए भारत बनाया जाए। भारत की मुद्रा का अवमूल्यन केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि हमने आत्मनिर्भरता की राह छोड़कर आयातित सोच को महत्व देना बंद नहीं किया है। आजादी के बाद संविधान निर्माताओं ने भगवान आदिनाथ का प्रतीक चिन्ह संविधान पर अंकित किया था। भगवान आदिनाथ ने समाज को आत्मनिर्भरता का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी बीमारियों को दूर भगाना चाहते हो तो आयुर्वेद पर जोर देना होगा। आजादी के बाद साढ़े सात दशक बीत चुके हैं अब हमें तेजी से काम करना होगा।
आचार्य श्री ने कहा कि देश की बुलंदी के लिए हमें भाषा की भूमिका की पहचान करनी होगी। संविधान में हमने बहुत सारी बातें शामिल की हैं लेकिन हमारी संस्कृति की सोच को हम अब तक केन्द्र में नहीं ला पाए हैं। हमारे न्यायालय जनता की भाषा में घोषणा नहीं करते हैं इसलिए जनता की आस्था लोकतंत्र में स्थापित नहीं हो पा रही है। अदालत में भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मातृभाषा का असर पूरे समाज पर पड़ता है। पिता की भाषा(अंग्रेजी) देश के व्यक्तित्व का विकास अब तक नहीं कर पाई है। हम विदेशी विचार के प्रभाव में अपनी सहमति भले ही दे दें लेकिन इससे हमारी असफलता की इबारत ही लिखी जाती है। प्राणी की रक्षा तभी संभव है जब हम नकारात्मक भाव को तिलांजलि देंगे और हां की कूबत देखेंगे। सकारात्मकता का असर इतना प्रभावी होता है कि उसके नतीजे देखकर हम दंग रह जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कुंडलपुर के लोगों ने दस दिनों में विशाल पंचकल्याणक की तैयारियां करके साबित किया है कि यदि हम ठान लें तो सब संभव हो सकता है। भारतीयता को लागू करने में सरकारों को कोई शंका नहीं करनी चाहिए। जनता भी सब समझ रही है। आप आगे बढ़ें ,शंका न करें कि कुर्सी हिल जाएगी। जनता आपके सद्प्रयासों को हाथों हाथ लेगी, और आपकी कुस्री भी नहीं हिलेगी।हमें किसी पर अधिकार नहीं करना है,हमारी मंशा साफ है तो जाहिर है कि सबके अधिकार सुरक्षित रहेंगे। हमारी संस्कृति हमारे जीवन का अंग है, यही राष्ट्र के अंग अंग में ऊर्जा भरती है। हमारे देश में रामायण भी पढ़ी जाती है और महाभारत भी। आप इस संस्कृति पर चलेंगे तो देखेंगें कि जिस तरह आधी रात को विभीषण स्वयं चलकर राम की शरण में आया था और रावण राज का अंत हो गया था उसी तरह हम यदि आगे बढ़ेंगे तो सभी परेशानियों का अंत हो जाएगा। आज देश को सबसे उत्तम अवसर मिला है। हम फैसलें लेंगे तो दुनिया में कोई भी भारत को हिला नहीं पाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माध्यम से देश के नेताओं को संदेश दिया कि हम अपनी विचारधारा को मजबूत करेंगे तो उनकी राजनीति को कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।


कुंडलपुर महोत्सव में विशाल जनसमूह के सामने शिवराज सिंह ने 17 जनवरी 2006 की तारीख को याद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का पद संभाले सिर्फ दो महीने हुए थे, तभी आचार्यश्री ने बड़े बाबा को बड़े सिंहासन पर विराजमान करने का भाव किया। कलेक्टर एसपी और सभी कानूनविद चेतावनी दे रहे थे कि ऐसा हुआ तो सरकार जा सकती है। मैंने तय कर लिया सरकार जाए तो चली जाए, लेकिन आचार्यश्री की भावना के अनुसार बड़े बाबा को बड़े सिंहासन पर विराजमान करके रहेंगे। चौहान ने कहा कि पिछले चुनाव में हमारी सरकार चली गई थी। हमने सोचा अब पांच साल तक विपक्ष में बैठना है, लेकिन बडे बाबा आदिनाथ भगवान और छोटे बाबा आचार्यश्री की कृपा से मुझे फिर से मुख्यमंत्री पद मिला। मैं भाग्यशाली हूं कि बड़े बाबा के भव्य व दिव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा मेरे कार्यकाल में हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के संचालन में कभी कभी कुछ अड़चनें आती हैं। कुछ फैसले लेने में परेशानी होती है। ऐसे में मैं आचार्यश्री के चित्र के सामने ध्यान लगाने बैठता हूं और मेरी सारी समस्याओं का हल मुझे मिल जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्यश्री को प्रणाम किये बिना वह घर से नहीं निकलते। चौहान ने पहली बार आचार्यश्री से कहा कि सभी के प्रति करूणा रखने वाले आचार्यश्री अपने शरीर के प्रति इतने निर्मोही क्यों हैं? मानवता के कल्याण के लिये आचार्य भगवन का हमारे बीच रहना बहुत जरूरी है।
आचार्यश्री के प्रवचन से पहले निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी महाराज ने सुझाव दिया कि कुंडलपुर के 100 किलोमीटर क्षेत्र को पशुओं के लिये अभ्यारण्य घोषित किया जाए, जहां पशु निर्भय होकर विचरण कर सकें।
कुंडलपुर महोत्सव में कल मंगलवार को भगवान आदिनाथ का ज्ञान कल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा। सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू होंगे। दोपहर में आचार्यश्री समोशरन में बैठकर प्रवचन देंगे।

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