मुख्यमंत्री मोहन यादव की दहाड़ पर सदन में छाया सन्नाटा

मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव की दहाड़ ने बरसों बाद मध्यप्रदेश में सख्त नेतृत्व की झलक दिखाई.


भोपाल,01 जुलाई(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में आज मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव ने पहली बार जिस सख्त लहजे में जवाब दिया उससे पूरे सदन में अचानक सन्नाटा फैल गया। कमोबेश दो दशक बाद पहली बार सदन के नेता की दहाड़ ने नेतृत्व की मौजूदगी का अहसास कराया है।


मामला कथित नर्सिंग भर्ती घोटाले का था जिसमें विपक्ष ये कहते हुए आक्रामक था कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा नहीं कराना चाहती क्योंकि इससे उसकी नाकामियां उजागर होने वाली हैं। विपक्ष में बैठे कांग्रेस के कई सदस्य सफेद एप्रिन पहिनकर सदन में आए थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग पर दिए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने के लिए उन्होंने सदन में दबाव बनाना शुरु किया था। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से कहा कि हमारे तीस चालीस सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव देकर इस लोक महत्व के विषय पर चर्चा कराने की मांग की है। ये मामला युवाओं से जुड़ा है और परीक्षाओं व संचार घोटालों की वजह से वे परेशान हैं। इस विषय पर सदन में चर्चा की जानी चाहिए।


इस पर संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मध्यप्रदेश विधानसभा एवं कार्य संचालन संबंधी पुस्तिका के पेज क्रमांक साठ पर साफ लिखा है कि जो मुद्दे किसी न्यायाधिकरण आयोग आदि के सामने विचाराधीन हैं उन विषयों पर चर्चा नहीं की जाती है। इन मामलों में जांच एजेंसी जांच कर रही है। प्रकरण न्यायालय में भी चल रहा है जजों की कमेटी इस मामले पर विचार कर रही है ऐसे में नियमों और परंपराओं के अनुसार इस विषय पर चर्चा नहीं हो सकती।


इस पर उमंग सिंघार ने कहा कि हम तो नर्सिंग परीक्षा के संबंध में बात करना चाह रहे हैं। सीबीआई तो कालेजों की जांच कर रही है। ये मामला न्यायालय में नहीं है। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव में जो मुद्दा उठाया गया है वो न्यायालय में विचाराधीन है। उमंग सिंघार ने कहा कि हम तो नर्सिंग काऊंसिल पर सरकार के बनाए गए नियमों राजपत्र में प्रकाशन आदि के विषय में बात करना चाह रहे हैं। सरकार इस पर बात क्यों नहीं करना चाहती वह बच क्यों रही है।


अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि बजट का सत्र हो या न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण उन पर सदन में चर्चा नहीं कराई जाती है क्योंकि चर्चा के दौरान कई तरह के आक्षेप भी लगा दिये जाते हैं जिनका जवाब न्यायालय के कार्य में हस्तक्षेप करना हो जाता है। इन्हीं सब चर्चाओं में पक्ष और विपक्ष के कई सदस्य तैश में आकर तर्क दे रहे थे ,शोरगुल के बीच अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर एक बजे तक स्थगित कर दी।


एक बार फिर जब सदन समवेत हुआ तो उमंग सिंघार ने एक बार फिर इस विषय पर चर्चा कराए जाने की मांग कर दी। इस पर कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि डाक्टर मोहन यादव की सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। ये कोई तात्कालिक घटना नहीं है तीन चार या पांच सत्र बीत चुके हैं पुराना मामला है इसलिए इस पर बजट चर्चा के दौरान आसानी से बात हो जाएगी।
इस पर कांग्रेस के भंवर सिंह शेखावत ने गुस्से में भरकर कहा कि मामला कांग्रेस और भाजपा का नहीं है,प्रदेश के बच्चों के भविष्य का है। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने उन्हें ये कहकर समझाने का प्रयास किया कि सरकार ने कह दिया है कि वह चर्चा कराने को तैयार है। इस पर श्री शेखावत गुस्से से बोले कि फिर चर्चा कराईए न। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बात को संभालते हुए कहा कि हम किसी विषय पर पीछे नहीं हट रहे हैं। जन हितैषी विषय पर चर्चा कराने को तैयार है। विधानसभा का कामकाज रोककर स्थगन लाने और ध्यानाकर्षण में अंतर होता है इसे अगली बार ले आईए फिर चर्चा करा लेंगे।


इस पर भंवर सिंह शेखावत ने तंज कसते हुए कहा कि आप चर्चा से नहीं घबराते आप बहादुर हैं आपको इसका प्रमाण पत्र दिया जाएगा। जवाब में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हमें आपके प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ये सर्टिफिकेट आप अपने पास रख लें हम पारदर्शी तरीके से सरकार चलाते हैं । सभी मुद्दों पर कार्रवाई हो रही है और हम चर्चा के लिए तैयार हैं। इस पर भी श्री शेखावत शांत नहीं हुए उन्होंने कहा कि आप चर्चा क्यों नहीं कराना चाहते जिन्होंने भ्रष्टाचार किया है उन्हें आप बचाना चाह रहे हैं।


इस मुद्दे पर लगभग शांत बैठे मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव ने कहा कि हमने शुरु से स्वर रखा है कि हम हर विषय पर चर्चा कराने को तैयार हैं। किसी मसले पर हमारी सरकार डरने वाली नहीं है और न ही हम पीछे हटने वाले हैं। आपके स्वर किसी भी स्तर तक जा सकते हैं लेकिन हम संयम के साथ स्पष्टता से अपनी बात रखना चाहते हैं। यदि कोई उत्तेजना से बात करेगा तो ये सुनने की आदत हमारी भी नहीं है।माननीय सदस्य गण सुन लें अपनी बात को संयमित तरीके से रखें। तीखे स्वरों में कही गई उनकी बात पर पूरे सदन में खामोशी छा गई। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बात को संभालते हुए कहा कि हम विवाद के बजाए चर्चा कराना चाहते हैं। इस पर विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि ये चर्चा ग्राह्यता पर नहीं हो रही है। दोनों पक्षों ने इस विषय पर फैसला लेने का अवसर मुझे दिया है इसलिए कल मैं किसी उचित नियम के तहत इस पर चर्चा कराऊंगा।

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