कांग्रेस की विदाई में त्रिदेव ने निभाई बड़ी भू्मिका

भोपाल दक्षिण पश्चिम से चुने गए भाजपा नेता भगवानदास सबनानी की जीत ने मध्यप्रदेश की राजनीति के सरकारी कर्मचारियों के दबाव से आजाद होने का संदेश दिया है।


कांग्रेस की विचारधारा और नीतियों को विदाई देकर तीन राज्यों में भाजपा की सरकार बनाकर देश के मतदाताओं ने स्पष्ट संदेश दिया है। भारतीय जनता पार्टी तो इस संदेश को बहुत हद तक समझ रही है लेकिन कांग्रेस के दिग्गज इसे लगातार नकारते दिख रहे हैं। कमलनाथ कांग्रेस के अधिकतर बुद्दिजीवी इसे ईवीएम की गड़बड़ी बताकर अपनी हार पर पर्दा डालने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक हार से सबक लेना तो दूर वे जनता पर ही ओछी तोहमत लगा रहे हैं। कांग्रेसी और उनके पिछलग्गू भाजपाई इन चुनावी नतीजों को कमतर बताने के लिए इसे लाड़ली बहना की देन बता रहे हैं। नतीजों का इस तरह का सरलीकरण करके वे सत्ता की फिसलन भरी सीढ़ियों पर खुद को जमाए रखने का प्रयास ही कर रहे हैं।
भोपाल दक्षिण पश्चिम के नवनिर्वाचित विधायक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी बताते हैं कि जबसे चुनावी महासमर का मंथन शुरु हुआ था तभी से भारतीय जनता पार्टी संगठन ने अपनी भूमिका स्पष्ट रूप से तैयार कर ली थी। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने अमितशाह के दिए मंत्र के अनुसार बूथ अध्यक्ष,महामंत्री और बूथ लेवल एजेंट यानि बीएलए को मैदानी जवाबदारी सौंपी थी।इन्ही त्रिदेवों ने मतदाताओं को ई वी एम तक पहुंचा दिया।पन्ना प्रभारी, पन्ना समिति, और शक्ति केन्द्र टोली इसके साथ खड़ी थी। यही वजह है कि जिन चुनावी क्षेत्रों में षड़यंत्रों की इबारत लिखी गई वहां भी भाजपा का संगठन मजबूती से प्रत्याशी के समर्थन में खड़ा था।
यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी तमाम सर्वेक्षणों से आगे देखकर अपनी जीत पर आश्वस्त था। आज कांग्रेस को ये नतीजे भले ही अचंभित कर रहे हों लेकिन इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी के संगठन की प्रतिबद्धता वह समझ ही नहीं पा रही है। इसकी वजह केवल यही कि कांग्रेस का संगठन तो नदारद था। कमलनाथ बयानबाजी को ही अपनी जीत का आधार मान रहे थे। कांग्रेस के प्रवक्ताओं को भी लगता था कि कमलनाथ कोई चमत्कार कर रहे हैं। लेकिन जब नतीजे सामने आए तो वे बौखला गए। जबसे इन पांच राज्यों की चुनावी बहसें शुरु हुईं थीं तबसे कम से कम मध्यप्रदेश में कहा जा रहा था कि जनता बदलाव चाहती है। राजस्थान में कहा जाता है कि वहां का मतदाता हर बार सत्ता बदल देता है।
मध्यप्रदेश में कहा जा रहा था कि जनता शिवराज सिंह चौहान के चेहरे से ऊब गई है इसलिए वह बदलाव चाहती है। जबकि हकीकत ये है कि जनता को ये नहीं मालूम था कि उसका खलनायक कौन है। मध्यप्रदेश में जनता की बैचेनी की वजह यहां की नौकरशाही रही है। कांग्रेस और फिर उसकी पूंछ पकड़कर चलने वाली शिवराज सिंह चौहान की भारतीय जनता पार्टी ने जिस दरियादिली से सरकारी नौकरियां बांटीं उससे प्रदेश की आय और व्यय में असंतुलन पैदा हो गया है। मध्यप्रदेश में दस लाख से अधिक परिवार ऐसे हैं जिनमें एक न एक सदस्य सरकारी नौकरी कर रहा है। सरकारी नौकरियों में भी वेतनमान इतने अधिक हो गये हैं कि उसकी तुलना में प्रदेश के उत्पादक कार्यों में लगे लगभग आठ करोड़ लोग नेपथ्य में चले गए थे। इन्हीं को भाजपा संगठन ने अपनी हितग्राही मूलक योजनाओं से अपना तारण हार बना लिया। कमलनाथ कांग्रेस ने अपनी हार होते देखकर चुनावी चर्चाओं के बीच वादा कर दिया था कि वह सत्ता में आकर पुरानी पेंशन लागू कर देगी। इसके बावजूद कांग्रेस की डेढ़ साल का अनुभव कर्मचारी भूले नहीं थे। उन्हें मालूम था कि सत्ता में आकर कांग्रेसी तबादले और पोस्टिंग के धंधे में मशगूल हो जाएंगे। यही वजह थी कि पुरानी पेंशन का फार्मूला भी फिसड्डी हो गया। सरकारी कर्मचारियों ने जो मिल रहा है वही स्वीकार करने का मन बना लिया। नतीजा सामने है सरकारी कर्मचारियों ने कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया। हालांकि डाक मतपत्रों के नतीजों को देखकर लग रहा था कि कोई बड़ा फेरबदल होगा।
दरअसल में भारतीय जनता पार्टी ने जो हितग्राही मूलक योजनाएं चलाईं उनका लाभ लेने वाला इतना बड़ा वर्ग देश में तैयार हो गया है कि उसकी तुलना में जनधन की मलाई खाने वालों की भीड़ नगण्य रह गई है। भाजपा ने सत्ता का लाभ आम नागरिकों तक पहुंचाने के कई आयाम विकसित कर दिए हैं। चाहे लाड़ली बहना योजना हो, लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, किसान सम्मान निधि हो, जलजीवन मिशन हो या फिर शौचालय निर्माण सभी ने देश के आम जनजीवन को प्रभावित किया है। यही वजह है कि कांग्रेस की फूट डालो राज करो की पूरी विचारधारा ही नेपथ्य में चली गई है।
कांग्रेस की नीतियां समाज के एक वर्ग को खलनायक बनाने और दूसरे वर्ग से उस पर पत्थर फिंकवाने की रही है। जिसे इस बार जनता ने साफ तौर पर नकार दिया है।पहली बार देश से कांग्रेस के सफाए की शुरुआत हुई है। इन चुनावी नतीजों ने कांग्रेस की पूंछ पकड़कर चल रही शिवराज भाजपा से आगे निकलकर एक राजमार्ग दिखा दिया है। आज की भारतीय जनता पार्टी के सामने कांग्रेस की नीतियों को बरकरार रखने की अनिवार्यता नहीं रही है। भाजपा अब अपनी सकारात्मक सोच को बेधड़क लागू कर सकती है।
पिछले दो दशकों में भाजपाईयों को नहीं मालूम था कि वे क्यों सत्ता में भेजे गए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने भी केवल नौकरशाही के भरोसे रहकर सत्ता चलाई जिससे जनता को ये नहीं महसूस हुआ कि प्रदेश की राजनीति किस नई राह पर चल पड़ी है। इस बार जिस तरह नौकरशाही को जमीन दिखाई गई है वह अनोखी कवायद है। पहली बार सरकार नौकरशाही के चंगुल से बाहर निकली है। जाहिर है कि अब आने वाली मध्यप्रदेश की सरकार ब्लैकमेलिंग के जाल से बाहर निकल आई है। अब उसे न सरकारी तंत्र की ब्लैकमेलिंग के सामने मजबूर होकर खड़ा होना है न ही प्रेस के माध्यम से चलाई गई माफिया की मुहिम के सामने लाचार होना है। वह प्रदेश को विकास के राजपथ पर बेधड़क लेकर चल सकती है।
मुख्यमंत्री के चयन में हो रही देरी को देखकर लोगों को लगता है कि भाजपा किसी असमंजस में है।केन्द्र की भाजपा ने अमित शाह ने बच्चों के साथ शतरंज खेलते हुए दिखाकर बता दिया है कि वह शह और मात के खेल में नया अध्याय लिखने जा रही है। आगामी आम चुनावों में देश नतीजों पर अपना फैसला सुनाने वाला है और भाजपा लगातार अपनी सफलताओं के नतीजे जनता के सामने प्रस्तुत कर रही है। तीनों राज्यों में भाजपा ने न केवल अपनी सफलताओं की कहानी लिखी है बल्कि वह नतीजों का अहसास अपनी नीतियों से करवाने में भी सफल रही है। आज ठेठ गांव के निवासी हों या उद्योंगों से जुड़े मजदूर सभी को पता है कि किस तरह से भाजपा की सरकारें उनका जीवन बदलती जा रहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस तो क्या किसी अन्य दल को भी अपना अस्तित्व बचाने का भरोसा नहीं रहा है। कांग्रेस के दिग्गजों को पता है कि कि वे पुरानी राजनीति की अपनी इबारत खो चुके हैं। भाजपा अब एक नई भाजपा बन रही है। भाजपा का ये नया संस्करण भाजपा को विस्थापित करके सत्ता में आने जा रहा है।ऐसे में कांग्रेस हो या सपा,या फिर आप पार्टी किसी की कोई गुंजाईश नहीं बची है। जाहिर है कि आम चुनावों की इबारत साफ है। भाजपा अब देश का चुनाव भी भारी बहुमत से जीतने जा रही है। तीन राज्यों की जीत ने बता दिया है कि जनता की राय में अब और भी तेज इजाफा होने जा रहा है।
भाजपा अब इन तीन राज्यों में सरकार का जो माडल पेश करने जा रही है वह परम्परावादी राजनीति के ऐसे अध्याय के रूप में सामने आ रहा है जो न किसी ने देखा न पढ़ा न सुना है। भारत अब न केवल विश्व गुरु बनने जा रहा है बल्कि वह पूरी दुनिया का अनूठा सेवक भी बनने जा रहा है। दुनिया की तमाम शक्तियों के बीच जो नया सूर्योदय होने जा रहा है उसके पक्ष में अब मध्यप्रदेश की जनता ने भी अपना फैसला सुना दिया है। भाजपा को इसी फैसले का इंतजार था और राष्ट्रवादियों ने भारतमाता के इसी श्रंगार का स्वप्न देखा था जो अब पूरा होने जा रहा है।संशय को बादल लगातार छंटते जा रहे हैं। राष्ट्रवादियों की कई पीढ़ियां इसी का इंतजार कर रहीं थीं।

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