जेल के 15 करोड़ गबन करने वाली अधीक्षक ऊषा राज बयानों से बचने अस्पताल में भर्ती

अधीक्षक के पद से हटाते ही जेलकर्मियों के परिजनों ने फोड़े पटाखे, मनवारे ने लिया चार्ज

उज्जैन (प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। वजह डीपीएफ घोटाले में जेल अधीक्षक उषाराज को हटाने पर दोपहर में जेलकर्मियों के परिजनों ने पटाखे फोडक़र खुशियां मनाई। वहीं गबन केस में नोटिसों के बाद भी बयान नहीं देने पर शाम को पुलिस उन्हें जबरन भैरवगढ़ थाने ले गई। इस दौरान प्रभारी जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने चार्ज लेकर काम शुरू कर दिया।

भैरवगढ़ जेल के 68कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते से करीब १५ करोड़ रुपए का घोटाले में जांच के बाद डीजी अरविंद कुमार ने जेल अधीक्षक उषाराज को वित्तीय अनियमितता का दोषी मानते हुए पद से हटाने के आदेश दे दिए। पता चलते ही कर्मचारी के परिजनों ने जेल परिसर में पटाखे फोड़े और ढोल बजाते हुए मिठाई बांटकर खुशी मनाई। इसी दौरान नवागत प्रभारी जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे जेल पहुंचीं और उषा राज से चार्ज लिया।

वहीं गबन मामले में लगातार तीन नोटिस के बाद भी बयान नहीं देने पर टीआई प्रवीण पाठक, जितेंद्र भास्कर, एसआई बल्लू मंडलोई जेल पहुंचे। बावजूद शाम तक इंतजार के बाद भी उषा राज सहयोग के लिए तैयार नहीं हुई। नतीजतन जेल पहुंचे सीएसपी अनिल मौर्य ने महिला थाना प्रभारी रेखा वर्मा और उनकी टीम को बुलाया और उषा राज को हिरासत में लेकर थाने ले गए,जहां रात तक एएसपी इंद्रजीत बाकलवाल, मौर्य व टीम उनसे पूछताछ करते रहे।

आदेश आते ही सुविधा छीनी

जेल अधीक्षक उषाराज को तबादला का मुख्यालय में पदस्थ करने का आदेश आते ही सुबह से ही जेलर सुनील शर्मा, डिप्टी जेलर सुरेश गोयल मातहतों के साथ परिसर में जमा हो गए। बताया जाता है कि कर्मचारियों को शक था कि उषा राज गबन से संबंधित दस्तावेज और ऑफिस का सामान ले जा सकती है। इसलिए उन्हें रोकने के लिए वह तैनात हो गए थे।

यहीं नहीं जेल अधीक्षक की स्थिति ऐसी थी कि उनके घंटी बजाने पर भी कोई कर्मचारी सुनने को तैयार नहीं था। इसे लेकर उन्होंने मीडिया के सामने आपत्ति भी जताई कहा गाड़ी छीनकर ड्राईवर व कंप्यूटर ऑपरेटर तक को हटा दिया।

पटाखे फोडक़र बांटी मिठाई

खास बात यह है कि किसी अधिकारी का तबादला होने पर मातहत स मान पूर्वक बिदा करते है, लेकिन जेल पर आज नजारा दूसरा ही था। यहां दोपहर में जेलकर्मियों के परिजन पहुंचे और जमकर पटाखे फोडऩे के बाद ढोल बजाकर मिठाई बांटी। प्रहरी गोर्वधन सिंह रघुवंशी के पुत्र नितिन ने बताया कि डीपीएफ घोटाले से कर्मचारियों के घर में मातम मना हुआ है। मेडम ने घोटाले के साथ ही काफी भ्रष्टाचार किया है इसलिए उन्हें हटाने पर खुशी मना रहे है।

नई जेल अधीक्षक सचेत

प्रभारी जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे फिलहाल देवास में पदस्थ हैं। उन्हें भैरवगढ़ का अस्थाई रुप से अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। मरवारे ने चार्ज लेने के बाद बताया कि उन्हें जेल के वर्तमान हालात की जानकारी है। मुख्यालय ने उन्हें सजग रहने का कहा है। जेल का निरक्षण कर आगे की रुपरेखा बनाएगी।

डीपीएफ कांड : अब तक कब-क्या

  • १० मार्च : दो कर्मचारियों के राशि निकालने के आवेदन में एक ही आईआईएफसी कोड नंबर होने से ट्रैजरी ऑफिसर को शक हुआ। कलेक्टर ने जेल से रिकार्ड तलब किया। प्रथम दृष्टया१० करोड़ रुपए घोटाले का पता चलते ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शासन व जेल डीजी को सूचना दी। रात १० बजे लेखा-जोखा संभालने वाला प्रहरी रिपूदमन घोटाला उजागर होने पर जेल अधीक्षक के सामने रोया और देर रात परिवार सहित फरार हो गया।
  • ११ मार्च : मामले में जिला कोषालय अधिकारी सुरेंद्र भामर ने भैरवगढ़ थाने में रिपूदमन के खिलाफ केस दर्ज कराया।
  • १३ मार्च : जेल डीआईजी मंशाराम पटेल सात सदस्यीय टीम के साथ भैरवगढ़ जेल पहुंचे,जांच शुरू।
  • १४ मार्च : प्रहरी शैलेंद्र सिकरवार व धर्मेद्र लोधी के खाते में १० करोड का ट्रांजेक्शन सामने आते ही फरार हुए,,घोटाले की राशि १४ करोड़ पहुंची।
  • १५ मार्च : जेल अधीक्षक को हटाने की मांग करते हुए कर्मचारी परिवार सहित अनशन पर बैठे। विधायक महेश परमार ने विधानसभा में प्रश्र लगाकर गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
  • १६ मार्च : जांच रिपोर्ट जेल डीजी अरविंदकुमार के पास पहुंची।
  • १७ मार्च : डीजी ने जेल अधीक्षक उषाराज को वित्तीय अनियमितता के आरोप में पद से हटाने और मनवारे का प्रभारी बनाने के आदेश जारी किए।
  • १८ मार्च : जेलकर्मियों के परिजनों ने खुशियां मनाई, नई अधीक्षक ने चार्ज लिया, उषा राज हिरासत में ले ली गईं, पूछताछ के बाद उन्हें दूसरे दिन सुबह आने को कहा गया था लेकिन वे इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गईं।
  • गौरतलब है कि ऊषा राज को अपने एक रिश्तेदार की हत्या करने के आरोप में सागर जेल की सजा काटनी पड़ी थी।लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में वे बरी हो गईं। तत्कालीन जेल अधीक्षक लालजी मिश्र की कृपा से वे जेल की नौकरी में आ गईं और जेल विभाग की नारकीय परिपाटियों ने उन्हें प्रदेश की सबसे बड़ी जेल का अधीक्षक बना दिया। जेल विभाग ने उन्हें सुधरने का जो अवसर दिया था उसका उन्होंने बेजा लाभ उठाया और अरबों रुपयों की दौलत बनाई। रिश्तेदारों से अनबन ने उन्हें अलग थलग कर दिया। इस घटना के बाद जब वे देवास रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में अपने किसी मित्र के साथ पहुंची थीं तो कुछ लोगों ने उनकी वीडियो फिल्म बना ली। इस पर उन्होंने आपत्ति की तो युवकों ने उन्हें पीट दिया। जिसकी शिकायत उन्होंने उज्जैन पुलिस से की है।
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