भोपाल,3 जनवरी(प्रेस सूचना केन्द्र)। कमल नाथ की अगुआई में बनी राज्य सरकार पर प्रदेश की जनता से किए गए वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी पहले दिन से ही रही है। किसानों, आदिवासियों, कर्मचारियों, युवाओं सहित सभी लोग प्रदेश में इस बदलाव को आशा और अपेक्षा की नजर से देख रहे थे। सरकार ने आते ही मिली वित्तीय रिक्तता, आर्थिक मंदी जैसी विषम परिस्थिति और वित्तीय मामलों में केन्द्र सरकार के रवैये से जन अपेक्षाओं पर पूरा उतरना नई सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। नई सरकार के सामने राज्य के सामाजिक, आर्थिक और भौतिक ढांचे को अधिक मजबूत बनाने का मुख्य लक्ष्य था। यह सब सशक्त आर्थिक आधार और बेहतर वित्तीय प्रबंधन के बिना संभव नहीं था। राज्य सरकार ने इस परिस्थिति से निपटने के लिये बेहतर वित्तीय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इससे शासकीय विभागों को अनिवार्य व्ययों के लिए निरंतर राशि उपलब्ध कराना संभव हुआ।
प्रदेश की उन्नति और सबके हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के क्रम में सर्वोच्च प्राथमिकता हमारी अर्थ-व्यवस्था के प्रमुख आधार किसान को दी गई। जय किसान फसल ऋण माफी योजना से संबंधित विभागों से समन्वय कर पात्र किसानों के दो लाख रूपये तक के कालातीत ऋण तथा 50 हजार रूपये तक के चालू ऋण माफ किए गए। योजना में बैंकों द्वारा एक मुश्त समझौता योजना में 1950 करोड़ रूपये का ऋण माफ किया गया। कुल मिलाकर 20 लाख से अधिक किसानों के 7 हजार करोड़ रूपये से अधिक के ऋण माफ किए गए।
प्रदेश की तेज प्रगति के लिये सुचारू और सुगम परिवहन व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है। राज्य सरकार ने परिवहन की आवश्यक अधोसंरचना सुनिश्चित करने के उददे्श्य से सड़कों के निर्माण के लिए एशियन डेव्हलपमेंट बैंक से 3 हजार 400 करोड़ रूपये (490 मिलियन यूएस डालर) प्राप्त करने का निर्णय लिया। इसी प्रकार, इन्दौर मेट्रो रेल परियोजना के लिए न्यू डेव्हलपमेंट बैंक से 1600 करोड़ रूपये (225 मिलियन यूएस डालर) प्राप्त करने का निर्णय लिया।
राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में हमकदम और आपदा प्रबंधन के आधार, शासकीय सेवकों की बेहतरी के प्रयास तुरंत शुरू किये गये। शासकीय सेवकों को सातवें वेतनमान के ऐरियर्स की द्वितीय किस्त का भुगतान किया गया। साथ ही सार्वजनिक निगम/मण्डलों के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के एरियर्स के लिए कार्यवाही की गई। शिक्षक संवर्ग को कोषालयीन व्यवस्था से जोड़ा गया। शासकीय सेवकों की पेंशन स्वीकृति और भुगतान प्रक्रिया को सरल किया। वेतन विसंगतियों और सेवा शर्तों पर विचार के लिए कर्मचारी आयोग गठित किया गया।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के आदिवासी समुदाय के सर्वागींण विकास के लिए भी अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। वित्त विभाग द्वारा प्रदेश के 89 आदिवासी बहुल विकासखण्डों में विशेष अभियान चलाते हुए 7 हजार 331 व्यक्तियों के जन-धन खाते में ओवर ड्रॉफ्ट की सीमा स्वीकृत कर 35 हजार 709 नये खाते खोले गये।
राज्य सरकार की सकारात्मक सोच के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की कोशिश कुशल आर्थिक प्रबंधन के आधार पर ही सफल हो रही है। वित्त विभाग द्वारा जनवरी से नवम्बर 2019 तक पूंजीगत मद में 30 हजार 709 करोड़ रूपये व्यय किये गये। यह इसी अवधि के पिछले वर्ष के व्यय से 1304 करोड़ रूपये अधिक है। पूंजीगत व्यय से संबंधित प्रमुख विभागों को अप्रैल 2018 से नवम्बर 2018 की अवधि की तुलना में अप्रैल 2019 से नवम्बर 2019 की अवधि में अधिक राशि उपलब्ध करायी गई। गृह विभाग को 247 करोड़ 57 लाख की तुलना में 363 करोड़ 58 लाख, वन विभाग को 253 करोड़ 38 लाख की तुलना में 342 करोड़ 12 लाख, शहरी विकास एवं पर्यावरण विभाग को 483 करोड़ 23 लाख की तुलना में 775 करोड़ 91 लाख, लोक निर्माण विभाग को 5454 करोड़ 78 लाख की तुलना में 5562 करोड़ 04 लाख, नर्मदा घाटी/जल संसाधन विभाग को 5709 करोड़ 51 लाख की तुलना में 6280 करोड़ 60 लाख, लोक स्वाथ्य यांत्रिकी विभाग को 1179 करोड़ 49 लाख की तुलना में 1635 करोड़ एक लाख तथा ग्रामीण विकास विभाग को 1743 करोड़ 63 लाख की तुलना में 2343 करोड़ 10 लाख रूपये की धनराशि उपलब्ध करायी गई। प्रदेश में बैंकों द्वारा ऋण में वृद्धि की दर भी राष्ट्रीय स्तर से अधिक रही है।
सबके हितों की रक्षा और प्रदेश की उन्नति सुनिश्चित करने के अपने संकल्प की पूर्ति के लिये आवश्यक वित्तीय आधार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार लगातार सक्रिय है।
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