अब तक मुखिया नहीं बन पाए मुख्यमंत्री कमलनाथ

वित्तमंत्री को ठेंगा और कमलनाथ के छिंदवाड़ा को विश्वविद्यालय

भोपाल,24जुलाई(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अंधा बांटे रेवड़ी बार बार खुद को दे वाले अंदाज में शासन चला रही है। जब पूरे देश में शिक्षा के निजीकरण का दौर चल रहा है तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने चुनाव क्षेत्र में सरकारी विश्वविद्यालय खोलने की मंजूरी करा ली है जबकि वित्तमंत्री तरुण भनोट के गृह जिले जबलपुर के मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय को दो हजार रुपए का अनुदान देकर ठेंगा दिखा दिया है। हैरत की बात तो ये है कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करके परिवारवादी मानसिकता का ही समर्थन किया है।

मध्यप्रदेश विधानसभा ने कल मंगलवार को छिंदवाड़ा में सरकारी विश्वविद्यालय खोले जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक 2019 के नाम से प्रस्तुत इस प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित करके विश्वविद्यालयों के अधिकार क्षेत्र को नए सिरे से परिभाषित कर दिया है। छिंदवाड़ा के इस नए विश्वविद्यालयका अधिकार क्षेत्र छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट और बैतूल राजस्व जिलों की सीमा रहेगा। विधेयक का औचित्य प्रतिपादित करते हुए कहा गया है कि संबंधित जिलों के युवाओं को उच्च शिक्षा की सहज पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से ये नया विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। जबकि वहां पहले से ही जी.एच.रायसोनी विश्वविद्यालय स्थापित है और बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहा है।

अब तक छिंदवाड़ा के युवा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर और बरकतउल्ला विवि भोपाल से डिग्री प्राप्त कर लेते थे। इस व्यवस्था में कोई परेशानी भी नहीं थी क्योंकि छिंदवाड़ा में कई निजी कालेज इन विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। इसके बावजूद छिंदवाड़ा में सरकारी विश्वविद्यालय तब खोला जा रहा है जब मुख्यमंत्री बात बात पर कहते हैं कि प्रदेश का खजाना खाली है। नए सत्र से विश्वविद्यालय का सत्र आरंभ करने के लिए सरकार ने आनन फानन में तीन करोड़ रुपए मंजूर भी कर दिए हैं। ये राशि तो प्रारंभिक है लेकिन अब भविष्य में इस विश्विद्यालय का बड़ा खर्च भी सरकार के गले पड़ जाएगा।

शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में 34 निजी विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।सरकारी क्षेत्र में पहले से कार्यरत सात विश्वविद्यालयों के साथ साथ अब राज्य सरकार ने ये आठवा विश्वविद्यालय भी खोलने की तैयारी कर ली है।जबकि सरकारी क्षेत्र के विश्वविद्यालय पहले से राज्य सरकार के लिए सरदर्द बने हुए हैं। अपना आर्थिक बोझ घटाने के लिए ही सरकार ने कालेजों को स्वायत्ता देकर उन्हें अपने आर्थिक संसाधन खुद जुटाने की जवाबदारी सौंप रखी है।

रा्ज्य की भाजपा सरकार ने मछुआ समाज की मांग को देखते हुए जबलपुर में मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय खोला था। सरकारी वेटनरी कालेज जबलपुर से संबद्ध ये महाविद्यालय प्रदेश का एकमात्र कालेज है जो मछली पालन की तकनीक पर अनुसंधान भी करता है। इस कॉलेज से निकले विद्यार्थी आज पूरे भारत और दुनिया में अपने कुशलता के झंडे गाड़ रहे हैं। वित्तमंत्री तरुण भनोट खुद जबलपुर के हैं और कालेज का महत्व जानते हैं इसके बावजूद कालेज को मौजूदा सत्र में मात्र दो हजार रुपए का अनुदान स्वीकृत किया गया है। इसमें एक हजार रुपए वेतन और एक हजार रुपए अन्य मदि में दिए गए हैं।

प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विभाग अश्विनी कुमार राय इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ हैं फिर भी सरकार की नीति को देखते हुए उन्होंने चुप्पी साध रखी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय खोले जाने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए सदन में कहा कि हम चाहते हैं कि प्रदेश में और विश्वविद्यालय बनें। इससे प्राईवेट यूनिवर्सिटीज कम बनेंगी।वे नफे के लिए विश्वविद्यालय बनाते हैं। यदि सरकारी विश्वविद्यालय खुलेंगे और उन्हें मुनाफा नहीं होगा तो वे इस बारे में सोचना बंद कर देंगे।

कांग्रेस जिस कमलनाथ को उद्योगपति और नई सोच वाला बताती है उनकी सोच को प्रतिबिंबित करने वाले ये वाक्य एक बार फिर बताते हैं कि विकास का छिंदवाड़ा माडल पूरी तरह आधारहीन है। सरकारी बजट और टैक्स चोरी के लिए राजनैतिक दलों को बड़ा चंदा देने वाले कार्पोरेट घरानों की सीएसआर राशि से दिखावटी विकास के माडल खड़े करने की कलाकारी की पोल अब खुलने लगी है। विकास के नाम पर मुख्यमंत्री के इस हस्तक्षेप से वित्तमंत्री तरुण भनोट खुद अचंभित हैं। छिंदवाड़ा के विश्विद्यालय का प्रस्ताव रखकर क्षेत्रीयता की इस आंधी में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन ने भी अपने हाथ धो लिए। गोपाल भार्गव ने इसके एवज में सागर में सरकारी विश्वविद्यालय खोलने जाने का थोथा आश्वासन लेकर चुप्पी साध ली।

जबलपुर मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय का अनुदान बंद करने से राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद निषाद खासे खफा हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को भरोसा नहीं है कि उनकी सरकार ज्यादा चलेगी इसीलिए उन्होंने अपने क्षेत्र में विश्वविद्यालय खोलने में जल्दबाजी दिखाई। जब प्रदेश का खजाना खाली है तो नया विश्वविद्यालय खोलने की जरूरत क्या थी। प्रदेश में मछली पालन सिखाने वाले जबलपुर के एकमात्र महाविद्यालय को तो वे बजट दे नहीं पा रहे हैं उच्च शिक्षा के लिए संसाधन कहां से जुटा पाएंगे। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार प्रदेश से छलावा कर रही है। सरकार को निषाद समाज के बच्चों के अध्यापन की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए। यही नहीं बच्चों को इन महाविद्यालयो में कोटा आबंटित किया जाए। सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए। निषाद समाज प्रदेश की आर्थिक उन्नति में बड़ा योगदान देता है। ऐसे में सरकारी भेदभाव समाज के बीच आक्रोश की बड़ी वजह बन गया है।

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