बदनामशुदा पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया को 3 साल जेल की सजा


भोपाल। मध्यप्रदेश की पत्रकारिता को अनैतिक ठकुरासी के इशारे पर कलंकित करने वाले शलभ भदौरिया को लंबे अंतराल के बाद अदालत ने दंडित किया है। पत्रकार और अदालतें तो बार बार इंगित करती रहीं हैं कि मध्यप्रदेश के चौथे स्तंभ में सुधार की जरूरत है लेकिन सत्ता माफिया के इस प्रतीक पुतुल ने लगभग तीन दशकों तक पत्रकारिता के चेहरे पर कालिख पुतवाने का काम जारी रखा। एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के शलाका पुरुष राधावल्लभ शारदा की जिजीविषा और धैर्य ने पत्रकारों के इस कलंक को अब उसके अंजाम तक पहुंचाने में सफलता पाई है। प्रेस जगत में अदालत के इस फैसले की भूरी भूरी प्रशंसा की जा रही है।

इस अपराधी ने झूठे दस्तावेज पेश कर सरकारी विज्ञापन की राशि हडपी और डाक विभाग को भी धोखे में रखा था। राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल ने इस शिकायत पर 23 फरवरी 2006 को प्रकरण क्रमांक 05/06 दर्ज किया था। जिसमें सुनवाई करते हुए प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश भोपाल ने आरोपी मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया को 3 साल के कारावास और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।प्रकरण धारा 120बी, 420, 467, 468, 471 भादवि में दर्ज हुआ था।

उल्लेखनीय है कि एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने वर्ष 2003 में राज्य आर्थिक अनवेषण ब्यूरो भोपाल में शिकायत दर्ज करवाई थी जिस पर माननीय न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया। इस प्रकरण में फरियादी गुलाब सिंह राजपूत थाना प्रभारी रा.आ.अप. अन्वेषण ब्यूरो भोपाल और संदेही/आरोपियों में शलभ भदौरिया एवं विष्णु वर्मा विद्रोही थे।सुनवाई के दौरान ही विष्णु वर्मा की मौत हो चुकी है। प्रकरण की विवेचना भोपाल इकाई के पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़ ने की।

न्यायालय ने पाया कि आरोपियों ने आंध्र प्रदेश में रजिस्टर्ड तेलगू समाचार पत्र के आरएनआई प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेज लगाकर सरकारी विज्ञापन प्राप्त किए। इसी प्रकार आरोपी शलभ भदौरिया ने फर्जी दस्तावेज लगाकर डाक पंजीयन भी करवाया और अवैध रूप से आर्थिक लाभ भी प्राप्त किया। ये प्रकरण काफी समय पहले सरकारों की निगाह में आ चुका था इसके बावजूद ये व्यक्ति कई फर्जी नामों से सरकारी सुविधाओं का हितग्राही बना रहा।

इस व्यक्ति के विरुद्ध प्रदेश और राजधानी के पत्रकार लगभग तीन दशकों से ही अपनी खबरें प्रकाशित करते रहे हैं। इसके बावजूद सरकारों में घुसपैठ बनाने वाला सत्ता माफिया इसे संरक्षण देकर जिंदा बनाए रखता था। अब जबकि सोशल मीडिया की मजबूत उपस्थिति दर्ज हो चुकी है तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मीडिया को उपदेश जारी करने की परंपरा शुरु कर दी है। जाहिर है कि इस फैसले से मुख्यमंत्री को भी मीडिया के बीच पलते रहे ठगों को पहचानने में आसानी हो जाएगी।

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