बच्चों की सुरक्षा में सचेत रहेंः राघवेन्द्र शर्मा

मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग में हुई विस्तृत चर्चा

भोपाल,28 सितंबर(करुणा राजुरकर)। स्कूली बच्चों की सुरक्षा के विषय पर म.प्र. राज्य बाल आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से समन्वय भवन में आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विषय प्रवर्तन करते हुए म.प्र. बाल आयोग के अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा ने कहा कि आयोग का प्रमुख कार्य आर.टी.ई. तथा किशोर न्याय अधिनियम और लैंगिक अपराधों पर कारवाई करना है। उन्होंने नियमों के पालन में व्यवहारिक कठिनाईयों का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों का हनन आपराधिक श्रेणी में आता है। श्रम कानून के हिसाब से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से काम करवाना अपराध है। नये चाइल्ड लेबर एक्ट में 14 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। अत: इन सारे विराधाभासों को दूर करते हुए तथा म.प्र के सभी विभागों में बच्चों को लेकर जो भी नियमावली है, उन्हें एकजाई कर नये नियम बनाये जाने और उनकी मॉनिटरिंग बाल आयोग द्वारा किये जाने की आवश्यकता है।

ए.आई.जी. सायबर क्राइम श्री सुधीर गोयनका ने प्रदेश के विद्यालयों से आये प्राचार्यों और प्रबंधकों को वाट्सएप, इंटरनेट के माध्यम से बच्चों द्वारा जाने-अनजाने में किये जा रहे अपराधों के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें सचेत रहने के लिये कहा। उन्होंने बताया कि 13 वर्ष की उम्र से बच्चा अपना फेसबुक प्रोफाइल और 18 वर्ष के बाद ई-मेल आई डी बना सकता है। उन्होंने डिजीटल फुटप्रिंट को मैनेज करने के लिये विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की सलाह भी दी। एक महत्वपूर्ण बात उन्होंने प्रशिक्षार्णियों को यह भी बताई कि हमें अपने हर खाते का पासवर्ड ऐसे ही अलग रखना चाहिये, जैसे हर कमरे का एक ताला और चाबी रखते हैं।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ श्री रजनीकांत ने तैयार की जा रही नियमावली के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला और सुझाव भी आमंत्रित किए। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा एवं अन्य समस्याओं के समाधान के लिये शिकायत पेटी लगाने के साथ-साथ स्कूल की संरचना, प्रबंधन सेनीटेशन जैसी सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। उनका मानना था कि बच्चों को 5वीं कक्षा के पश्चात् ही कम्प्यूटर शिक्षा दी जानी चाहिये। उन्होंने बस्ते का बोझ घटाने के लिये किये जा रहे नवाचारों की भी चर्चा की।

कार्यशाला के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों ने बच्चों की शिक्षा-सुरक्षा और अन्य मुद्दों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इस अवसर पर बाल आयोग के सदस्य श्री आशीष कपूर, रवीन्द्र मोरे, सचिव श्रीमती शुभा वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी श्री धमेन्द्र शर्मा, राज्य शिक्षा केन्द्र के श्री रमाकांत तिवारी विशेष रूप से उपस्थित थे।

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