भोपाल, (प्रेस इंफार्मेशन सेंटर) भारत सरकार ने देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और अगले पांच वर्षों में देश के कवर न किए गए पंचायत/गांव में नई बहुउद्देशीय पीएसीएस या प्राथमिक डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना करके जमीनी स्तर तक अपनी पहुंच को मबजूब बनाने के लिए योजना को मंजूरी दी है। पंद्रह फरवरी 2023 को लिए गए फैसले के माध्यम से भारत सरकार के मत्स्य विभाग की निम्नलिखित योजनाओं सहित विभिन्न भारत सरकार की योजनाओं का तालमेल करके मत्स्य पालन को बढावा देने की प्रक्रिया शुरु की है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) – पीएमएमएसवाई का उद्देश्य मछली उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और प्रबंधन, आधुनिकीकरण और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने में बड़े अंतर को दूर करना है। इस योजना के तहत, लाभार्थी कुल परियोजना लागत/इकाई लागत के 40% से 60% तक की वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं।
- II. मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना कोष (एफआईडीएफ) – एफआईडीएफ का उद्देश्य समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र दोनों में ढांचागत सुविधाएं बनाना है। इस योजना में बर्फ संयंत्रों का निर्माण, कोल्ड स्टोरेज का विकास, मछली परिवहन और कोल्ड चेन नेटवर्क अवसंरचना, ब्रूड बैंकों की स्थापना, हैचरी का विकास, मछली प्रसंस्करण इकाइयाँ, मछली चारा मिलों/संयंत्रों और आधुनिक मछली बाजारों का विकास शामिल है। एफआईडीएफ के तहत परियोजनाएं उपर्युक्त अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए प्रति वर्ष 3% की ब्याज सब्सिडी के लिए पात्र हैं।
मत्स्य पालन एवं अन्य सहकारी समितियों सहित नई प्राथमिक सहकारी समितियों की स्थापना की यह योजना एनसीडीसी द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), राष्ट्रीय स्तरीय सहकारी संघों और राज्य सरकारों के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है।
इसके अलावा, एनसीडीसी ने भारत के तटीय राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा में मत्स्य कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीपीओ) के रूप में विकास के लिए 910 प्राथमिक मत्स्य सहकारी समितियों का चयन किया है और सहकारी क्षेत्र में 70 नए एफएफपीओ पंजीकृत किए हैं। एनसीडीसी ने 44 गहरे समुद्र में चलने वाले ट्रॉलरों की खरीद के लिए महाराष्ट्र सरकार और गुजरात की सहकारी समिति को वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
उपरोक्त कदम मछली उत्पादन में लगे सीमांत मछुआरों सहित छोटे और सीमांत किसानों को अपेक्षित फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज, कौशल विकास, प्रसंस्करण और कोल्ड चेन अवसंरचना सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभिसरण के लिए पहचानी गई योजनाओं के तहत लाभ उठाकर, सीमांत मछुआरे विभिन्न मत्स्य पालन और जलीय कृषि से संबंधित बुनियादी सुविधाओं का आधुनिकीकरण/उन्नयन और स्थापना करने में सक्षम होंगे, जिससे उन्हें अपनी उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
यह बात सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
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