नईदिल्ली,7 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)।14 अप्रैल, 1891 को जन्मे बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय अम्बेडकर ने संविधान के पहले मसौदे को तैयार करने में अहम योगदान दिया था. उन्होंने अछूतों के प्रति सामाजिक भेदभाव के खिलाफ और निचली जातियों के उत्थान के लिए काफी संघर्ष किया था|
डॉ.अंबेडकर लोकतांत्रिक भारत के सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक हैं. बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय, डॉ अम्बेडकर एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे. डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को तत्कालीन मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) के महू नगर छावनी में हुआ था. बेहद गरीब परिवार में जन्मे बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय अम्बेडकर ने संविधान के पहले मसौदे को तैयार करने में अहम योगदान दिया था.
उन्होंने अछूतों के प्रति सामाजिक भेदभाव के खिलाफ और निचली जातियों के उत्थान के लिए काफी संघर्ष किया था. डॉ. अम्बेडकर को मरणोपरांत, वर्ष 1990 में, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया था, जिसे परिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है. उन्होंने अपने कार्यों और विचारों से समाज सुधारकों, शिक्षाविदों और राजनेताओं को बहुत प्रभावित किया था.
डॉ. अम्बेडकर देश के पहले कानून मंत्री थे. वह अपने अनुयायियों से कहा करते थे कि मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें. उनकी 65वीं पु्ण्यतिथि आइए हम उनके कुछ सबसे प्रेरक उद्धरणों और संदेशों पर एक नज़र डालते हैं:
“किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से मापा जाता हैं.”
“जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है.”
“मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सीखाये.”
“मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें.”
“रात-रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्योंकि मेरा समाज सो रहा है.”
“जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास
“जो कौम अपना इतिहास नहीं जानती, वह कौम कभी भी इतिहास नहीं बना सकती.”
“अपने भाग्य के बजाय अपनी मजबूती पर विश्वास करो.”
“मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाइयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ.”
“मनुवाद को जड़ से समाप्त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्य है.”
“जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है.”
“राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्ल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये.”
“मैं तो जीवन भर कार्य कर चुका हूँ अब इसके लिए नौजवान आगे आएं.”
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