संपत्ति से आय बढ़ाएगा किराएदारी कानून

मॉडल टेनेंसी एक्ट चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किराये की संपत्तियों पर कानून बनाने या कानूनों में संशोधन करने के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे जाने वाले मॉडल टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) को मंज़ूरी दे दी।

यह मसौदा अधिनियम वर्ष 2019 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) द्वारा प्रकाशित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
प्रमुख प्रावधान:

लिखित समझौता अनिवार्य है:
इसके लिये संपत्ति के मालिक और किरायेदार के बीच लिखित समझौता होना अनिवार्य है।
स्वतंत्र प्राधिकरण और रेंट कोर्ट की स्थापना:
यह अधिनियम किरायेदारी समझौतों के पंजीकरण के लिये हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक स्वतंत्र प्राधिकरण स्थापित करता है और यहाँ तक कि किरायेदारी संबंधी विवादों को सुलझाने हेतु एक अलग अदालत भी स्थापित करता है।
सिक्यूरिटी डिपॉज़िट के लिये अधिकतम सीमा:
इस अधिनियम में किरायेदार की एडवांस सिक्यूरिटी डिपॉजिट (Advance Security Deposit) को आवासीय उद्देश्यों के लिये अधिकतम दो महीने के किराये और गैर-आवासीय उद्देश्यों हेतु अधिकतम छह महीने तक सीमित किया गया है।
मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों तथा दायित्वों का वर्णन करता है:
मकान मालिक संरचनात्मक मरम्मत (किरायेदार की वजह से हुई क्षति को नहीं) जैसे- दीवारों की सफेदी, दरवाज़ों और खिड़कियों की पेंटिंग आदि जैसी गतिविधियों के लिये ज़िम्मेदार होगा।
किरायेदार नाली की सफाई, स्विच और सॉकेट की मरम्मत, खिड़कियों में काँच के पैनल को बदलने, दरवाज़ों और बगीचों तथा खुले स्थानों के रखरखाव आदि के लिये ज़िम्मेदार होगा।
मकान मालिक द्वारा 24 घंटे पूर्व सूचना:
एक मकान मालिक को मरम्मत या प्रतिस्थापन करने के लिये किराये के परिसर में प्रवेश करने से पहले 24 घंटे पूर्व सूचना देनी होगी।
परिसर खाली करने के लिये तंत्र:
यदि किसी मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट में बताई गई सभी शर्तों को पूरा किया है जैसे- नोटिस देना आदि और किरायेदार किराये की अवधि या समाप्ति पर परिसर को खाली करने में विफल रहता है, तो मकान मालिक मासिक किराये को दोगुना करने का हकदार है।
कवरेज:

यह अधिनियम आवासीय, व्यावसायिक या शैक्षिक उपयोग के लिये किराये पर दिये गए परिसर पर लागू होगा, लेकिन औद्योगिक उपयोग हेतु किराये पर दिये गए परिसर पर लागू नहीं होगा।
इसमें होटल, लॉजिंग हाउस, सराय आदि शामिल नहीं होंगे।
इसे भविष्यलक्षी प्रभाव से लागू किया जाएगा जिससे मौजूदा किराये की दर प्रभावित नहीं होगी।
आवश्यकता:

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 1.1 करोड़ घर खाली पड़े थे और इन घरों को किराये पर उपलब्ध कराकर वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के विज़न को पूरा किया जाएगा।
महत्त्व:

इस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित प्राधिकरण विवादों और अन्य संबंधित मामलों को सुलझाने हेतु एक त्वरित तंत्र प्रदान करेगा।
यह अधिनियम पूरे देश में किराये के आवास के संबंध में कानूनी ढाँचे को कायापलट करने में मदद करेगा।
यह सभी आय समूहों के लिये पर्याप्त किराये के आवास उपलब्ध कराने में सहायता करेगा जिससे बेघरों की समस्या का समाधान होगा।
यह किराये के आवास से संबंधित औपचारिक बाज़ार को संस्थागत करने में मदद करेगा।
इससे आवास की भारी कमी को दूर करने के लिये एक व्यवसाय मॉडल के रूप में किराये के आवास में निजी भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
चुनौतियाँ:

यह अधिनियम राज्यों के लिये बाध्यकारी नहीं है क्योंकि भूमि और शहरी विकास राज्य के विषय हैं।
राज्य सरकारें रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम की तरह ही इस अधिनियम को भी कमज़ोर करके इसके दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने का विकल्प चुन सकती हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.

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