भाजपा का जादूगर कौन बनेगा


देश भर में भाजपा के प्रति वोटर की नाराजगी बढ़ती जा रही है।भाजपा का कोर वोटर तक असमंजस में है। इसकी वजह किसी अन्य दल की लोकप्रियता नहीं बल्कि भाजपा की वे नीतियां हैं जिनकी वजह से जनता का जीवन दूभर होता जा रहा है। वैश्विक उथलपुथल ने वैसे भी भारत के बाजार को झकझोर रखा है ऐसे में भाजपा की सरकारें दाता कहलाए जाने के लिए खुद को गोली बिस्कुट बांटने वाली भूमिका से बाहर नहीं निकाल पा रहीं हैं। बढ़ती आबादी पर हायतौबा मचाने वाले देश के बुद्धिजीवियों को जरा भी भान नहीं है कि वे जनता के बीच से नया नेतृत्व न उभरने देकर आम लोगों को कैसे कैसे दलदल में धकेल रहे हैं। भारत आज लगभग एक सौ चालीस करोड़ की आबादी वाला देश है। सबसे ज्यादा युवा आबादी भी भारत के पास है। इसके बावजूद यहां की सरकारें आज भी इनाम बांटकर सलामी बटोरने की सोच से नहीं उबर पाईं हैं। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार अन्य राज्यों में घटते जनाधार से कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही है। यही वजह है कि सरकार ने आदिवासी बहुल सिंग्रामपुर पहुंचकर रानी दुर्गावती के साए में अपना दरबार सजाया। सरकार ये संदेश देने का प्रयास कर रही है कि वह आदिवासियों की अपनी सरकार है । रानी दुर्गावती ने जिस तरह अपने आदिवासियों की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से मुकाबला किया उसी तरह भाजपा की सरकार भी उनकी रक्षक है। संदेश देने का ये उपाय तो ठीक है लेकिन इसकी जड़ में जो तथ्य सामने आए हैं वे जरूर चिंतित करते हैं। गोंडवाना साम्राज्य की यादें लेकर चलने वाले आदिवासियों के बीच भाजपा आज भी पूरी तरह से घुल मिल नहीं पाई है। इसकी वजह ये है कि उसके पास कुशल आदिवासी नेतृत्व नहीं है। सांसद से विधायक और मंत्री बने प्रहलाद पटेल की पहल पर आयोजित इस कैबिनेट बैठक ने एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है। सिंग्रामपुर की भौगौलिक स्थिति जबलपुर और दमोह के लगभग बीच में है।तीसरी ओर नरसिंहपुर का क्षेत्र भी यहीं से जुड़ता है। तीन संसदीय सीटों के बीच का ये इलाका आदिवासी बहुल है। यहां के आदिवासी आज भी कठिन जीवनशैली के बीच गुजर बसर करते हैं। दमोह से जबलपुर को जोड़ने वाला राजमार्ग अब तक केवल इसलिए उखड़ा पड़ा है क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त वित्तीय साधन नहीं है। सरकार ने इस राजमार्ग के राष्ट्रीयकरण के लिए केन्द्र के पास प्रस्ताव भेज रखा है। प्रहलाद पटेल को उम्मीद है कि केन्द्र से ये राष्ट्रीय राजमार्ग मंजूर हो जाएगा तो जल्दी ही इसकी व्यापक मरम्मत हो जाएगी। पाहुनों से सांप मरवाने की इसी सोच के चलते राज्य की आत्मनिर्भरता आज तक लड़खड़ा रही है। सरकार ने जितने व्यापक प्रबंध करके सिग्रामपुर में कैबिनेट की बैठक आयोजित की लगभग उतने ही वित्तीय संसाधनों से तो इस राजमार्ग की मरम्मत भी हो सकती थी। लगभग पूरी सरकार भोपाल से जबलपुर पहुंची वहां होटलों में विश्राम किया और सुबह तैयार होकर कारों बसों से सिग्रामपुर पहुंची। इधर सागर दमोह के मार्ग से भी कई गाड़ियां कैबिनेट स्थल तक पहुंची। यहां आयोजित आमसभा के लिए लगभग एक हजार गाड़ियों का प्रबंध किया गया था। हालांकि लगभग तीन सौ बसों में भरकर पहुंची लाड़ली बहनाओं के आने जाने और खाने का प्रबंध भी किया गया। आयोजन का प्रचार प्रसार ठीक तरह हो सके इसके लिए लगभग सौ गाड़ियों में भरकर पत्रकारों को भी सिग्रामपुर पहुंचाया गया। शानदार पंडाल लगाए गए और भारी पुलिस सुरक्षा के प्रबंध भी किए गए। इस वीरांगना रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व का वन अमला भी सेवा में मौजूद था। कैबिनेट के मंत्रियों को यहां पहुंचाकर सरकार ने अपने उन फैसलों की घोषणा की जो शायद वह भोपाल में बैठकर चुटकियों में कर सकती थी। सरकार ने भोपाल में लगभग एक हजार करोड़ रुपयों की लागत से विशाल मंत्रालय बनाया है। जिसमें तमाम सुविधाएं मौजूद हैं लेकिन इसके बावजूद डरी सहमी सरकार इस आदिवासी अंचल में घुटना टेकने जा पहुंची। यहां के जन मानस में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसी अपनी राजनीतिक सोच का वजूद तो है ही लेकिन इसके साथ साथ कांग्रेस के रत्नेश सालोमन की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। रत्नेश सालोमन जिंदादिल तबियत के राजनेता थे। उन्होंने इस टाईगर रिजर्व को चमकाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।यहां उन्होंने फारेस्ट गेस्ट हाऊस बनवाया था जहां वे अक्सर अपनी मंडली के साथ मौजूद रहते थे। आदिवासियों का मेला वहीं जमा रहता था। खुले दिल से आदिवासियों की मदद करने का उनका स्वभाव और घुलमिलकर रहने वाली जीवनशैली की वजह से कांग्रेस इस क्षेत्र में अपने पैर जमाए रहती थी। आज उन्हें गए लंबा अरसा हो गया है लेकिन लोगों के मन में उनकी छवि पहले की तरह मौजूद है। ऐसे में भाजपा के आदिवासी नेता हमेशा घबराए रहते हैं। कुंवर विजय शाह जरूर इस बैठक में पहुंचकर उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें पर्याप्त महत्व मिलेगा लेकिन प्रहलाद पटेल की मंडली ने उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी। नए मुख्य सचिव अनुराग जैन और शासन के सभी आला अधिकारियों ने सरकार की सोच से कदमताल मिलाते हुए जनोन्मुखी प्रशासन देने के तमाम प्रयास किए । दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर तो लगभग दस दिनों से इस आयोजन को सफल बनाने के लिए रात दिन एक किए हुए थे। वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों जयंत मलैया जी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, रामकृष्ण कुसमरिया,धर्मेन्द्र लोधी, लखन पटेल आदि को ले जाकर आयोजन की रूपरेखा बनाते रहे। इतने विशाल आयोजन के लिए कई दिनों से दमोह की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी तनाव बना हुआ था। जाहिर है कि सरकार को अपनी कार्यशैली पर एक बार फिर विचार करना चाहिए ताकि आने वाले समय में एक परिणाम मूलक सरकार मध्यप्रदेश के विकास को नई ऊंचाईयां दे सके। जब छोटे छोटे देश विकास के नए पैमाने गढ़ रहे हैं तब मध्यप्रदेश भाजपा के नेता खुद को कांग्रेस की बी टीम से ज्यादा आगे नहीं देख पा रही है। पिछले बीस सालों में शिवराज सिंह चौहान सरकार तो कांग्रेस बनकर ही कार्य करती रही। यही वजह थी कि एक बार सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा और आज भी वह कांग्रेस का जनाधार समाप्त नहीं कर पाई है। जनता ने कांग्रेस की नीतियों से असहमति जताकर भाजपा को सत्ता में भले भेज दिया हो लेकिन वह उससे कुछ अलग नतीजों की आस लगाए बैठी है। भाजपा के नेताओं को जनमन के झुरमुट से झांकती इस रोशनी को पढ़ने की कला विकसित करनी होगी तभी वह एक सफल सरकार वाला सफल प्रदेश गढ़ पाएगी।ध्यान रहे जनता को नाक रगड़ने वाली भाजपा नहीं अपना भविष्य सुरक्षित करने वाली सरकार की जरूरत है।

1 Comment

  1. भाजपा सरकार को समय पर जागना होगा

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