परिवहन माफिया पर चला सुशासन का चाबुक

मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादवः सत्ता माफिया की धमकी सुनने की आदत नहीं.

भोपाल,14अगस्त (प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)मध्यप्रदेश की राजनीति में बरसों से घुसपैठ जमाए सत्ता माफिया के एजेंट को जेल भेजकर डॉ.मोहन यादव की पुलिस ने उसे अपनी हद में रहने की खुली चुनौती दे डाली है। इस घटना से सत्ता के गलियारों में दौड़ भाग करने वाले तमाम नेता और उनके दलाल हतप्रभ हैं। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मोहन यादव सरकार कभी उस लक्ष्मण रेखा की सुरक्षा में इतनी मुस्तैद हो सकती है जिसे कभी उमा भारती के बाद बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान ने अपने दो दशक लंबे कार्यकाल में छूने की हिम्मत भी नहीं दिखाई थी। बीच में आई कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने तो सत्ता माफिया के एक अड्े को मटियामेट करके खुली जंग का ऐलान कर दिया था लेकिन इसी दंभ में भरे कमलनाथ की सरकार समय से पहले धराशायी हो गई और मध्यप्रदेश की रगों में घुसकर खून चूसने वाले सत्ता माफिया के सफाए का अभियान अधूरा रह गया था।
शिवराज सिंह चौहान ने अपने लंबे शासनकाल में जिस तरह कर्ज लेकर विकास करने का जो मार्ग चुना था उसकी वजह से सत्ता के इर्द गिर्द लुटेरों का जमघट लग गया था यही सत्ता के दलाल राज्य के सारे ठेकों में हिस्सेदार बन गए थे। विकास के नाम पर चलने वाली योजनाओं का कोई भी ठेका हो उन सभी में इस गिरोह का उदय हो जाता था। शिवराज सिंह का सचिवालय हो या मंत्रालय के अफसर सभी को ताकीद थी कि इस संगठन के इशारे पर ही ठेके दिए जाएं। जिस ठेके में इस गिरोह का कम से कम एक सदस्य साईलेंट पार्टनर के रूप में शामिल होता था उसी को ठेका दिया जाता था।इस ठेके का इस्टीमेट इसी तरह का बनाया जाता था कि उसमें सबकी हिस्सेदारी सुनिश्चित हो जाए।
सत्ता को धमकाने का जो खून इस सत्ता माफिया के मुंह लग चुका है उसके चलते गुंडागर्दी के सामने पुलिस अक्सर लाचार हो जाती रही है। पिछले दो दशकों में सत्ता माफिया के इन्हीं गुर्गों को प्रदेश का कर्णधार बताने की परंपरा सी पड़ गई है। उद्योगपतियों के नाम पर यही गिरोह सत्ता का लाभ लेता रहा है। इसमें भाजपा तो क्या कांग्रेस के भी तमाम लोग शामिल रहे हैं। कांग्रेस के जिन नेताओं थोड़ी बहुत कमर सीधी की उसे इस सत्ता माफिया ने या तो तोड़ दिया या अपने बीच मिला लिया।
एेसा नहीं था कि शिवराज सिंह चौहान इस परिस्थिति को नहीं समझते थे। तभी तो 13 दिसंबर 2018 को जब कमलनाथ ने शपथ ली तब शिवराज सिंह ने भाजपा की हार के बाद एक सार्वजनिक मंच पर कहा था कि मैं मुक्त हो गया। वे जानते थे कि किस तरह एमपी की सत्ता चलाना एक गंभीर कीमिया गिरी से ज्यादा नहीं है। इसके बावजूद वे इतने कमजोर साबित होते रहे कि प्रदेश की आय बढ़ाने के बजाए वे सत्ता माफिया को पालने में ही जुटे रहे।
पहली बार डाक्टर मोहन यादव ने इस सत्ता माफिया को उसकी सीमाओं में रहने की चुनौती दी है। जबसे उन्होंने सत्ता संभाली है तभी से वे सुशासन के उस फार्मूले पर सरकार चला रहे हैं जो नीति आयोग ने निर्धारित किया है। सुशासन की इसी परंपरा को अटल सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान भोपाल के सीईओ एवं स्टाफ लागू करने का प्रयास कर रहा है। सत्त के इसी तंत्र में घुसपैठ करने के लिए इस माफिया गिरोह ने एमपी भाजपा कार्यसमिति सदस्य हीरेन्द्र बहादुर सिंह की बेटी को संविदा पर नियुक्त करवा दिया था। विदेश से पढ़कर आई उनकी बेटी सरकार के निर्णयों की मुखबिरी करके सत्ता माफिया को एलर्ट भेज रही थी। जब इसकी असलियत खुली तो संस्थान के सीईओ लोकेश शर्मा ने उसे चलता कर दिया। इससे बौखलाए हीरेन्द्र बहादुर सिंह ने मुख्यमंत्री से शिकायत करने के लिए तेज आवाज में तू तू मैं मैं कर डाली। यही नहीं जब संस्थान में एक बैठक चल रही थी तब वहां जाकर उन्होंने सीईओ के कक्ष में गुंडागर्दी मचाई। उन्होंने सीईओ को धमकााया कि वे मध्यप्रदेश में भी नहीं रह पाएंगे।


दरअसल हीरेन्द्र बहादुर सिंह की चेतक ट्रेवल्स नाम की टैक्सी सेवा पिछले बीस सालों से मध्यप्रदेश की प्रमुख परिवहन कंपनी बन गई है। इस कंपनी ने सरकार से कई सौ करोड़ रुपयों का भुगतान प्राप्त किया है। इस कंपनी के नाम भुगतान की जो बिलिंग की गई है उससे भी कई गुना अधिक बिलों का भुगतान इसी गिरोह की अन्य नाम की परिवहन एजेंसियों को किया गया है।कुल मिलाकर सरकार के परिवहन पर सत्ता माफिया के प्रतिनिधि के तौर पर हीरेन्द्र बहादुर ही काबिज हैं। वे खुद को विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के भतीजे बताते हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमनसिंह की रिश्तेदारी की वजह से उन्होंने वहां भी अपना ठेकेदारी का नेटवर्क फैला रखा है।यही ट्रेवल्स चुनावी सभाओं के लिए हेलीकाप्टर और विमानों की सेवाओं की बिलिंग करता है। यही वजह है कि वे अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रैलियों में भी हेलीकाप्टर से साथ यात्रा करते देखे जाते थे।


जब हीरेन्द्र बहादुर सुशासन संस्थान में गदर मचा रहे थे तो संस्थान ने अपने बचाव में पुलिस को सूचना दे दी। संस्थान के ओएसडी(नायब तहसीलदार) निमेश पांडेय ने कमलानगर पुलिस को दिए अपने आवेदन में कहा कि जब 10 अगस्त को संस्थान में बैठक चल रही थी तब कुर्ता पजामा पहने हीरेन्द्र सिंह कक्ष में घुस आए और सीईओ लोकेश शर्मा के बारे में पूछने लगे,फिर यहां से वे सीईओ के कक्ष में गए और उन्हें धमकाने के बाद बाहर निकलते हुए भी गालियां दे रहे थे। कमलानगर पुलिस ने इस सूचना पर हीरेन्द्र सिंह को थाने बुलाया पर वे नहीं आए तो रविवार को उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया जहां से वे सोमवार को बाहर आ सके। मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव को करीब से समझने वालों का कहना है कि माफिया ने यदि सत्ता को धमकाने की आदत नहीं छोड़ी तो फिर एमपी में सुशासन लागू होकर ही रहेगा।

1 Comment

  1. सत्ता माफिया का पर्दाफाश करने के लिए धन्यवाद एवं माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी जी को भी बहुत-बहुत धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*