मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से क्यों हटाए गए संजय बंदोपाध्याय

संजय बंदोपाध्यायः मंहगी पड़ी पोत परिवहन के एजेंटों की यारी.


भोपाल,13 जनवरी (प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। भारतीय प्रशासनिक सेवा में मध्यप्रदेश कैडर से 1988 बैच के अधिकारी संजय बंदोपाध्याय केन्द्र सरकार से दिए गए एक हजार करोड़ के काम शुरू भी नहीं कर पाए और उन्हें अचानक मध्यप्रदेश वापस भेज दिया गया।इससे सत्ता के गलियारों में तरह तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं हैं। केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय से अचानक आदेश जारी होने के बाद ही मध्यप्रदेश के लोगों को पता चल सका कि मुख्य सचिव स्तर का कोई अधिकारी प्रदेश भेजा जा रहा है। कहा जाने लगा कि उनका रिटायरमेंट अगस्त महीने में है जबकि उन्हीं के बैच की अधिकारी वीरा राणा वर्तमान में मुख्य सचिव हैं जिनका रिटायरमेंट मार्च में होना है इसलिए चुनावों को संपन्न कराने के लिए बंदोपाध्याय को मुख्य सचिव बनाया जा सकता है।हालांकि इसके बाद जिस तरह की खबरें सत्ता के गलियारों में फैलीं हैं उनसे लगता है कि डाक्टर मोहन यादव सरकार फिलहाल उन्हें कोई दूसरा काम देने जा रही है।


बताया जाता है कि केन्द्र में सचिव के समकक्ष होने के बावजूद भारत सरकार ने उन्हें सचिव नहीं बनाया है । वे भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण में दिसंबर 2021 से अध्यक्ष थे । यह निगम दरअसल पत्तन पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के ही अधीन आता है। जहाजरानी तथा जलमार्ग मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सबसे प्रिय विभाग रहा है । मोदी सरकार ने जहाजरानी यानी शिपिंग मंत्रालय (Shipping Ministry) का नाम बदलकर मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज (Ministry of Ports, Shipping and Waterways) कर दिया था। तभी से यह मंत्रालय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के नाम से जाना जाने लगा।

मोदी सरकार ने जैसी कार्यप्रणाली अपनाई है उससे ये विभाग देश का कमाऊ सपूत बन गय़ा है। विदेशी कारोबार बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने दुनिया के व्यस्ततम बंदरगाहों पर अपना दखल बढ़ाया है। पिछले दिनों जलमार्गों पर बढ़ते लुटेरों के हमलों के बाद खुफिया सूत्रों को जानकारी मिली थी कि मंत्रालय के ही कुछ अधिकारी जानकारियां लीक करते थे। भारत के पोत परिवहन में अडंगा लगाने में कई विपक्षी राजनेताओं की गतिविधियां भी उजागर हो गईँ हैं। इन राजनेताओं ने कई जहाजरानी कंपनियों में अपना पैसा लगाया हुआ है और नियम कानूनों का पालन होने से उन्हें खासा टैक्स देना पड़ रहा है। इन जहाज कंपनियों के एजेंट लुटेरों के मुखबिरों के रूप में मंत्रालय में सक्रिय पाए गए थे।


मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि जब श्री बंदोपाध्याय राज्य में ऊर्जा सचिव थे तब बिरसिंहपुर में 500 मेगावाट का बिजलीघर तैयार किया गया था। अपने वरिष्ठ अफसर राकेश साहनी के निर्देश पर उन्होंने बिजलीघर निर्माण में प्राप्त एक बडी धनराशि का निवेश दुबई के शेयर बाजार में करवाया था। बताते हैं कि ये राशि शेयर बाजार में डूब गई । तभी से उन्होंने किसी संभावित जांच से बचने के लिए भारत सरकार में पोस्टिंग करवा ली।


पत्तन पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की कमान सौंपने के लिए जब किसी अधिकारी की खोज की जा रही थी तब बताते हैं कि संजय बंदोपाध्याय की कुंडली खुल गई और भारत सरकार ने उन्हें प्रमोशन देने के बजाए वापस भेज दिया। हालांकि उनके करीबी सूत्र बताते हैं कि श्री बंदोपाध्याय की पत्नी इंडियन इंजीनियरिंग सेवा की अधिकारी हैं और वर्तमान में जबलपुर में जनरल मैनेजर के पद पर पदस्थ हैं। श्री बंदोपाध्याय का रिटायरमेंट नजदीक है इसलिए उन्होंने घर वापिसी का फैसला लिया है।

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