बूटकॉम सिस्टम्स के प्रकाश गुप्ता पर देश भर के व्यापारियों ने दर्ज कराए अमानत में खयानत के केस
भोपाल,25 जून(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। यूपी के लालगंज से आकर राजधानी में कंप्यूटर का कारोबार चलाने वाले प्रकाशचंद गुप्ता ने ठगी और लूट के लिए कानून की पेचीदगियों को अपना हथियार बना रखा है। पिछले तीस सालों में उसने हजारों लोगों के साथ धोखाघड़ी और ठगी की है लेकिन हर बार वह कानून की पकड़ से बचता रहा है। लूट के धन को उसने इस्कान फाऊंडेशन और राजधानी के एक बड़े माफिया समूह में निवेश कर दिया है। कई इमारतें और फार्महाऊस खरीदकर उसने अपनी स्थायी आय का इंतजाम किया है। कंप्यूटर की दूकान तो महज आय दिखाने और टर्नओवर बढ़ाने के लिए खोल ऱखी है। अपना बढ़ा कारोबार दिखाने के लिए वह दूसरे व्यापारियों का माल लेकर सस्ते में बेच देता है और उन व्यापारियों का धन गड़प लेता है। राजधानी में ही उसके विरुद्ध ढेरों केस लंबित पड़े हैं। वह हर मुकदमे को अदालत तक पहुंचने की राह सरल करता है फिर दांवपेंच और कुछ जजों से सांठगांठ करके बच निकलता है।
राजधानी की पुलिस बरसों से इस ठग की चालबाजियों के सामने लाचार है। कभी भ्रष्ट पुलिस अफसर उसके लिए ढाल बन जाते हैं तो कभी भ्रष्ट न्यायाधीश उसके अपराधों के अभिभावक बन जाते हैं। शहर के एक नामी गिरामी वकील तो उसके अघोषित पार्टनर बनकर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। उसने एक रखैल रख छोड़ी है जिससे उसके एक बेटी है। एक बेटी पहली शादी से है। इन दोनों परिवारों की शान शौकत के लिए वह करोड़ों रुपए खर्च करता है। सोने के जेवर और विलासिता की वस्तुएं तो वह ऐसे खरीदता है जैसे किसी रियासत का महाराजा हो। जजों और अफसरों को सप्लाई की जाने वाली लड़कियों को वह स्कूटर और कारें गिफ्ट में देता है। अपना धन मांगने वालों को डराने के लिए उसने कई बंदूकें और तलवारें ले रखी हैं। रौब जमाने के लिए वह पुलिस अफसरों के साथ शूटिंग अकादमी में शामिल होता है। जजों और पुलिस अफसरों को रिश्वत देने के लिए उसने उनका पैसा ब्याज पर चलाने के नाम पर खासा निवेश कर रखा है। यही पुलिस अफसर जनता से लूट में उसके सहयोगी बनते रहते हैं।
प्रकाश चंद गुप्ता ने पिछले तीन दशकों में हजारों नागरिकों से ठगी और धोखाघड़ी की है। अपनी दूकान बूट काम सिस्टम पर वह कई बार ग्राहकों को असली कीमत से कम दाम पर कंप्यूटर बेच देता है और कई बार तीस हजार का कंप्यूटर डेढ़ लाख में भी बेच देता है।ग्राहक की अज्ञानता का लाभ लेकर वह लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कारोबार चला रहा है। यदि कोई जांच एजेंसी का अफसर या सिपाही उसकी दूकान पर जाकर छानबीन करने की कोशिश करे तो वह झग़ड़ा करने पर उतारू हो जाता है और अपने टुकड़खोर पुलिस वालों के माध्यम से उसे गालियां पड़वाता है। उसके चंगुल में फंसे व्यापारी यदि उसे माफ कर दें और दुबारा धंधा करने पर राजी हो जाएं तब भी वह उन्हें दुबारा ठगने से नहीं चूकता।
बड़े व्यापारियों और निवेशकों को ठगने के लिए वह उनसे पारिवारिक संबंध बढ़ाता है और घर की महिलाओं को गिफ्ट देकर अपने पक्ष में खड़ा कर लेता है। बाद में जब उनके परिवार से बड़ी रकम लेकर ठगी की बात सामने आती है तो इन्हीं महिलाओं को लालच देकर वह अपना मुखबिर बना लेता है। बड़े धन्नासेठों पर अड़ी बाजी और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराकर ठगने के लिए वह वकीलों और भ्रष्ट जजों का सहारा लेता है। जब किसी मुकदमे की वजह से उसे जेल यात्रा करनी पड़े तो उसकी खबर अखबारों में न छप सके इसके लिए वह मोटी रकम खर्च करता है। उसके गिरोह में कई ऐसे पत्रकार भी शामिल हैं जो सही खबर छापने वाले पत्रकारों के विरुद्ध ही दुष्प्रचार करने में जुट जाते हैं। इसके बावजूद उसकी ठगी और धोखाधड़ी के कई मुकदमे आज भी अदालतों में विचाराधीन है।
कई बैंकों मैनेजरों से सांठ गांठ करके उसने करोड़ों रुपए हासिल किए हैं। इन बैंकों से मुकदमा जीतने में और मुआवजा पाने में वकीलों और भ्रष्ट जज उसके सलाहकार होते हैं। वे साक्ष्य बनवाते हैं और अदालती प्रक्रिया पूरी करके उसे मोटी रकम दिलवाते हैं। इसी राशि का बड़ा हिस्सा जजों और वकीलों में भी बंटता है। इस विषय पर आरोप लगाने वालों को धमकाने के लिए अवमानना कानून का सहारा लिया जाता है।
उससे पीड़ित लोगों में कलकत्ता , मुंबई , दिल्ली ,इंदौर, भोपाल और कई थोक व्यापारी भी शामिल हैं।अफसरों औंर न्यायाधीशों की तो बड़ी फेरहिस्त है।कई अफसरों और न्यायाधीशों को तो इसके चंगुल में फंसकर अपनी नौकरियां भी गंवानी पड़ी हैं।कुख्यात अपराधी मुख्तयार मलिक ने जब एक जज राजीव भटजीवाले की रकम गड़प जाने की वजह से इसे धमकाया तो इसने पुलिस अफसरों और न्यायाधीशों की मदद से उसके एनकाऊंटर का आदेश तक करवा दिया था।
प्रकाश चंद गुप्ता से पीड़ित व्यापारियों में सवेरा इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के चौबीस मुकदमे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कलकत्ता के समक्ष विचाराधीन हैं। स्काईलाईन सिस्टम्स इंदौर ,बाईट पेरी फेरल्स इंदौर, हस्ती कंप्यूटर्स इंदौर, सेन्ट्रोनिक्स इंदौर, शर्ललाईन सिस्टम्स इंदौर, मित्तल इंफोटेक इंदौर, आई प्लांट इंदौर, एमीट्रान डिजिटेक इंदौर, विनायक इंफोटेक इंदौर, डीबी इंफोटेक इंदौर, लेटेस्ट डिवाईस प्राईवेट लिमिटेड भोपाल, दीप कंप्यूटर्स भोपाल, सेज विश्वविद्यालय भोपाल, शिवांकरी सिंह, रंजना सिंह, छोटी बाई, डब्ल्यूपीजी सीएंडसी कंप्यूटर्स एंड पेरीफेरल्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड दिल्ली, सवेरा डिजिटल इंडिया प्राईवेट लिमिटेड कोलकाता, राज्य सरकार, संदीप जैन माईक्रोलैंड कंप्यूटर्स जबलपुर, विक्रमादित्य सिंह, अभिलाषा राहते, समेत कई अन्य व्यापारियों के मुकदमे भी अदालतों में विचाराधीन हैं। इसके अलावा प्रकाश गुप्ता ने फाईनेंस फर्म भी पंजीकृत करा रखी है जिस पर उसने सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपए ऊंचा ब्याज देने के नाम पर ले रखे हैं। उन्हें उसने ब्याज देना बंद कर रखा है। कई लोगों के तो मूल चैक बापस ले लिए हैं और वे अपनी रकम पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। पक्की लिखा पढी न होने से तो वह सैकड़ों लोगों की रकम गड़प कर चुका है। हुंडी कारोबार के कई अगड़िए इसके गोपनीय अड्डे पर व्यापारियों का करोड़ों रुपया पहुंचाते हैं जिसे गड़प करने के लिए इसने विभिन्न तरीके अपना रखे हैं।लोगों को झांसा देने के लिए उसने कई नोटरियों, वकीलों, पत्रकारों,जजों,पुलिस अफसरों को अपने जाल में फंसा रखा है। अवैध हथियारों की तस्करी हो या फिर नशे का गोरखधंधा सभी कारोबारों में उसकी हिस्सेदारी है। वह कई बार बड़बोले पन में कहता है कि बूचड़खानों से जुड़े अपराधियों की मदद से वह अधिक दबाव डालने वाले लोगों की हत्याएं भी करवा देता है। राजधानी पुलिस के सामने यह सफेद कालर अपराधी अब एक अनसुलझी पहेली बन गया है। हाल ही में एक बालिका पर यौन हमले के आरोप में इस पर पास्को एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। यदि अदालतों, पुलिस और राजनीति में जड़े जमाए अपराधियों का संरक्षण नहीं मिल सका तो इस बार प्रकाश गुप्ता की लंका राख हो सकती है।
सफेदपोश अपराधियों का पर्दाफाश करने के लिए बहुत-बहुत साधुवाद
गजब प्रकाशन साधुवाद जानकारी के लिए
ऐसे इंसान को सबक जरूर मिलना चाहिए सफेद कपड़ों मे एक अपराधी है