भोपाल, 08 जनवरी(बबीता मिश्रा) टेक्सटाईल एवं गारमेण्ट सेक्टर में मध्यप्रदेश नये कीर्तिमान रच रहा है। मध्यप्रदेश की समृद्ध प्रिंटिंग कला ने इसे नये आयाम दिये हैं। मध्यप्रदेश की बाघ, नंदना एवं बाटिक प्रिन्ट विश्व प्रसिद्ध हैं। इसमें ट्रेडिशनल के साथ मार्डन एवं फैशनेबल वस्त्र बनाये जा रहे हैं। यह बात औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के पहले दिन टेक्सटाईल एवं गारमेण्ट सत्र में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि महेश्वरी एवं चंदेरी मध्यप्रदेश की विश्व प्रसिद्ध साड़ियाँ हैं। प्रदेश में अनुकूल सरकारी नीति और सहायक प्रशासन के साथ कुशल संसाधनों की उपलब्धता, प्रतिस्पर्धी दरों पर प्रचुर भूमि की उपलब्धता व्यवसायों को राज्य में फलने-फूलने में मदद करेगा। सत्र में उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह भी उपस्थित थे।
मंत्री श्री दत्तीगांव ने कहा कि मध्यप्रदेश अद्वितीय मुद्रण तकनीकों का घर है, जिनमें ज्यादातर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके हाथ से ब्लॉक प्रिंटिंग, बाटिक प्रिंटिंग, बांधने और रंगाई की तकनीक शामिल हैं, जिन्हें बंधिनी के रूप में जाना जाता है। चंदेरी और महेश्वरी, रेशमी और सूती कपड़े मध्य प्रदेश की बुनाई की विशेषताएँ हैं।
श्री दत्तीगांव ने कहा कि मध्यप्रदेश टेक्सटाईल और गारमेंट्स के क्षेत्र में देश के लिए ग्रोथ सेंटर है। कपड़ा और परिधान उद्योग दशकों से प्रदेश में महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यह तेजी से फैलता और बढ़ता बाजार है और इसमें रोजगार की अतुलनीय संभावनाएँ हैं।
मंत्री श्री दत्तीगांव ने बताया कि मध्यप्रदेश में जैविक कपास उत्पादन भारत का 43% और विश्व का 24% हिस्सा है। प्रदेश ने पिछले 3 वर्ष में जैविक कपास उत्पादन में 60% सीएजीआर देखा है। साठ से अधिक बड़ी कपड़ा मिलों, 4 हजार से अधिक करघों और 2.5 मिलियन स्पिंडल की उपस्थिति इस क्षेत्र में प्रदेश की ताकत को प्रदर्शित करती है। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, धार, देवास, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और जबलपुर प्रमुख कपड़ा हब के रूप में उभरे हैं। इंदौर में रेडीमेड गारमेण्ट उद्योग समूह में 1,200 से अधिक इकाइयाँ हैं। इंदौर एसईजेड में एक परिधान डिजाइनिंग केंद्र भी है। सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना में सबसे ज्यादा निवेश मध्यप्रदेश को मिला है।
मंत्री श्री दत्तीगांव ने कहा कि राज्य में टेक्सटाईल और गारमेण्ट फोकस क्षेत्रों में से एक है और ये युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर प्रदान करते हैं। राज्य सरकार, कपड़ा और परिधान क्षेत्र के उद्योगों के लिए पूरी तरह से अनुकूल प्रोत्साहन पैकेज लेकर आई है। उद्योगों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता, संयंत्र और मशीनरी (पी एंड एम) में किए गए निवेश की मात्रा के समानुपाती होती है।
ट्राइडेंट ग्रुप, रेमंड, आदित्य बिड़ला, बेस्ट कॉर्प, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, प्रतिभा सिंटेक्स, एवीजीओएल, इंडोरामा, सागर ग्रुप, भास्कर, नाहर ग्रुप और वर्धमान ग्रुप कुछ ऐसे बड़े नाम हैं, जिन्होंने प्रदेश में निवेश किया है और अपनी इकाई स्थापित की है। राज्य सरकार की अनुकूल नीति, आसानी से उपलब्ध कुशल जनशक्ति और कम मानव-दिवस हानि की वजह से वे राज्य में बार-बार निवेश कर रहे हैं।
अपर मुख्य सचिव कुटीर, ग्रामोद्योग, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार श्री मनु श्रीवास्तव ने कहा कि बहुत कम समय में ही प्रदेश ने तेजी से प्रगति की है। टेक्सटाईल एवं गारमेण्ट सेक्टर नई ऊँचाइयों को छू रहा है। सत्र में अपर मुख्य सचिव श्री अशोक वर्णवाल और प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विकास श्री गुलशन बामरा उपस्थित थे।
एमएसएमई सचिव श्री पी. नरहरि ने टेक्सटाईल एवं गारमेण्ट क्षेत्र में प्रदेश की क्षमताओं एवं औद्योगिक नीति के संबंध में पॉवर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन दिया। टेक्सटाईल एवं गारमेण्ट सेक्टर सत्र के पेनल में प्रतिभा सिन्टेक्स लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री श्रेयस्कर चौधरी, नागल गारमेण्ट इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री प्रदीप अग्रवाल, एम.पी. टेक्सटाईल मिल एसोसिएशन एवं भास्कर इंडस्ट्रीज प्रा.लि. के एमडी श्री अखिलेश राठी, आई टोकरी के को-फाउंडर श्री नितिन पमनानी और उमंग श्रीधर डिजाइन्स की फाउंडर सुश्री उमंग श्रीधर ने अपने-अपने उद्योग की विकास गाथा को साझा किया एवं मध्यप्रदेश की इन्वेस्टर्स फ्रेण्डली नीति एवं क्षमताओं को सराहा। सत्र के अंत में पेनलिस्ट ने प्रवासी भारतीयों के सवालों का जवाब दिया।
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