गायों को लंपी से बचाने में मिथिलीन ब्लू दवाई कारगर

लंपी के इलाज में जुटे कार्यकर्ता गायों को बचाने के लिए मिथाईलीन ब्लू दवाई दे रहे हैं.

प्रभावी एंटीवायरल ड्रग  मिथिलीन ब्लू भारत सरकार के एल एस डी (लंपी) ट्रीटमेंट गाइडलाइन में शामिल

वर्ष 1907 में  एम बी के सिंथेटिक  स्वरूप के आविष्कारक सर पौल  एलरिच को  एम बी के आविष्कार के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था.

एम बी आय बी , ओरल , टॉपिकल सभी प्रकार से गोवंश के एल एस डी में   प्रभावी

स्वास्थ्य गोवंश  के  एल एस डी से बचाव के लिए प्रोफिलेक्टिक डोज वायरस से बचाव में प्रभावी

एमबी   टीम के ग्रामीण कार्यकर्ताओं ने 50000 गो वंश को 1 लाख लीटर एम बी वितरित की

भारत के नागरिकों से वेटनरी डाक्टरों को एम बी दवाई दान में देने जी अपील की

 एम बी  टीम में राजस्थान यूपी गुजरात महाराष्ट्र हिमाचल के डॉक्टर और गौपालक शामिल

  भोपाल 19 सितंबर (प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)। कुख्यात लंपी रोग से हो रही गौवंश की मौतों के बीच राजधानी की सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री साधना कार्णिक प्रधान ने इन दिनों व्यापक अभियान चलाया है। वे (लंपी रोग)  एल एस डी के लिए एम बी   टीम की राष्ट्रीय संयोजक भी हैं।  एल एस डी के लिए टीम एम बी के डॉक्टर जगदीप काकड़िया डॉक्टर  दीपक गोलवलकर अश्विन पटेल तथा राजस्थान के वेट  डाक्टरों व गौपालकों की टीम के साथ उनके कठिन प्रयास के बाद केंद्र सरकार ने  लंपी वायरस के लिए जारी मेडिकल ट्रीटमेंट गाइडलाइन में  मीथेलीन ब्लू  (एम बी) नामक एंटीवायरल दवा को   शामिल कर लिया है। एम बी  टीम  वेट डाक्टरों के साथ राजस्थान के कुछ जिलों में एम बी ट्रीटमेंट  के एल एस डी पर प्रभाव का अध्ययन कर  डाक्टरों को इलाज हेतु एम बी डोनेट भी करा रही है

राजधानी भोपाल की सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री साधना कार्णिक प्रधान, संयोजक,राष्ट्रीय एम बी टीम,
मोबाइल 9425008021, [email protected], [email protected]

 सुश्री साधना कार्णिक प्रधान ने बताया कि एम बी टीम  ने  केंद्र सरकार मांग की है कि पिछले 2 वर्ष से भारत के अनेक राज्यो में फैली लपी स्किन डिजीज ( एल एस डी) को राष्ट्रीय महामारी घोषित किया जाए। इसके साथ ही भारत भर के अस्पतालो में गौवंश को एल एस डी का फ्री इलाज दिया जाए. उन्होंने बताया कि मिथेलीन ब्लू  एम बी   एक एंटी वायरल एंटी बायोटिक एंटीफंगल एंटी ऑक्सिडेंट एंटी इन्फ्लेमेटरी आदि     बहुउपयोगी दवा है जिसका उपयोग पिछले 40 वर्षी से  विभिन्न प्रकार के वायरस  के इलाज में गुजरात के डॉक्टर दीपक गोलवलकर करते आ रहे है

 एम बी टीम की संयोजक साधना कर्णीक प्रधान ने  बताया कि एल एस डी पर केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ट्रीटमेंट गाइडलाइन में आने के बावजूद आज तक  देश की किसी  भी राज्य सरकार ने एल एस डी  महामारी से  पीड़ित तड़पते गोवंश  के इलाज के लिए एम बी  दवाई या ड्रग अभी तक डाक्टरों को उपलब्ध नहीं कराई है.जबकि एम बी इलाज  के एक  कोर्स से एक गाय का 5 दिन के इलाज खर्च मात्र 25 रुपए मासिक खर्च केवल  150 रुपए है

टीम के विशेषज्ञों ने  बताया कि एम बी  बॉडी का चार्जर है एवम् वायरस के संक्रमण को समाप्त करती है। मजिक बुलेट्स यानी एम बी बॉडी का चार्जर है. यह शरीर के केवल टैरोरिस्ट ( आतंकवादी) सेल्स को  इलेक्ट्रॉन बंबार्डमेंट  से नष्ट करती है. जबकि शरीर की  स्वस्थ्य कोशिकाओं को एक्स्ट्रा इलेक्ट्रॉन की शक्ति प्रदान करती है. ब्रेन को भी चार्ज करती है.एम बी का कोई मेटाबॉलिज्म नहीं है यह  6 घंटे में शरीर से  पेशाब के द्वारा निकल जाती है.

वर्तमान में लैब में प्रयुक्त किया जाने वाली मिथाईलीन ब्लू से पशुओं का इलाज चल रहा है.

वर्तमान में एम बी  केवल दान दाताओं के माध्यम से डाक्टरों को उपलब्ध हो रही है।  उनकी  एम बी   टीम की ओएम बी की ओर से एम बी केवल  दानदाताओं के माध्यम से कई राज्यों  राजस्थान ,  जम्मू  , हिमाचल ,  महाराष्ट्र छत्तीसगढ़  के वेट डाक्टरों को एल एस डी के इलाज के लिए उपलब्ध कराई  जा रही है. जिसकी मात्रा बहुत कम है.सरकारी खरीद में अब तक इस दवाई को शामिल नहीं किया गया है।

दुनिया भर के रिसर्च परिणाम के अनुसार

एम बी आय बी एवम् ओरल डोज मात्रा

एम बी आय वी डोज मात्रा……

 एम बी आय वी ( 8  से 15 एम जी/ केजी बॉडी वेट)

धीमी आय वी  बोलस ( bolus)1% इंजेक्शन सीधे दिए जा सकते है  या 500 एम एल नॉर्मल सलाइन  के द्वारा ड्रीप के द्वारा

 ऊपरी उच्चतम डोज  ( 12 घंटे में )15 एम जी / केजी बॉडी वेट है

एम बी ओरल डोज मात्रा……

3 एम जी / के जी बॉडी वेट दिन में तीन बार ( प्रति 8 घंटे में)  कम से कम की मात्रा

दुनियाभर की रिसर्च के अनुसार 8 से 15 एम जी /केजी बॉडी वेट

उच्चतम सुरक्षित डोज 4500 एम एल.12 घंटे में

टीम एम बी की द्वारा एल एस डी पर   एम बी ट्रीटमेंट के अध्ययन का प्रभाव……..

साधना कर्णिक ने पत्रकारों से बातचीत में   बताया कि  उनकी एम बी टीम ने राजस्थान में  गंभीर रूप से लंपी पीड़ित जालोर व सचौर में  ग्रामीणों  व वेट डाक्टरों  के साथ  मिलकर करीब  2500 लंपी पीड़ित   पशुओं पर  मिथेलिन ब्लू  के 0.1% घनत्व के घोल  पर प्रयोग किया. जिसमे  से 500 गोवंश   अती गंभीर बीमार गम्भीर बीमार और  कम बीमार कैटेगरी के थे. जबकि  2000 से ज्यादा  स्वास्थ्य गोवंश को सावधानी के तौर  वायरस से बचाव हेतु सुरक्षात्मक डोज दिया गया. विभिन्न कैटेगरी में गोवंश की बीमारी की गंभीरता के आधार पर उनको डोज की मात्रा  दी गई. परिणाम के अनुसार एम बी ट्रीटमेंट से गंभीर रूप से प्रभावित  पीड़ित  पशुओं  पर यह इलाज  75% सफल रहा  कम प्रभावित पशुओं पर एम बी ट्रीटमेंट 85%प्रभावी रहा  अति गंभीर रूप से  बीमार पशुओं पर  एम बी ट्रीटमेंट  50% सफल रहा.  स्वस्थ्य पशु को एम बी ट्रीटमेंट  का डोज सावधानी के त्तौर पर देने के कारण उनका वायरस से  90% बचाव हुआ. वायरस से गौवंश  त्वचा पर होने वाले घावों पर भी एमबी ट्रीटमेंट 80 फीसदी प्रभावी पाया गया है। यह भी पाया गया कि एंटी बैक्टिरियल प्रभाव होने के कारण एम बी का  1% घनत्व का  इंजेक्शन  सबकट एल एस डी पीड़ित गायो के  स्किन  घावों को भरने की भी बहुत प्रभावी है .एम बी 1% से 2% घनत्व का  घोल भी एम बी के घाव भरने में  प्रभावी है.

भावनगर में  डॉक्टर काकड़िया द्वारा अध्ययन…..

डॉक्टर काकड़िया ने गुजरात भाव नगर में सामाजिक कार्यकर्ता अश्विन पटेल के साथ मिलकर 35 लंपी पीड़ित गायो पर एम बी के प्रभाव का  ट्रायल किया  जिसमे  एम बी ट्रीटमेंट देने के बाद प्रभावित गोवंश का तपमान 5 दिन मे 106 डिग्री से 101 डिग्री तक काम हुआ

पॉक्स वायरस पर एम बी के प्रभाव का दुनिया भर मै रिसर्च. परिणाम……….

एल एस डी  केप्री पॉक्स वेरायटी का वायरस है

एम बी को  वर्ष 2006 में  पॉक्स वायरस ( लैंपी जैसा वायरस) के लिए पेटेंट भी  किया गया है

अमेरिकी आविष्कारक क्रिस्टोफर वुल्फ और नेगी हेबिक ने 2006 में अपनी कंपनी बायो  एन  वीजन एंकॉर्पोरीशन के माध्यम से अपने एम बी से पॉक्स वायरस के इलाज का  आविष्कार का पेटेंट कराया कि एमबी पॉक्स वायरस पर काम करता है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन  FAO  एफएओ जो संयुक्त राष्ट्र का एक हिस्सा है और पशुपालन पर WHO की तरह काम करता है उसने 1988 से प्रकाशित अपनी वेबसाइट पर बताया  कि  पशुओं को को उनकी आनुवंशिक बीमारी में MB  जीवन भर   IV खुराक में दिया जा सकता है.

सभी  सरकारें पशुओं के इलाज के लिए एमबी दवाई को तत्काल उपलब्ध कराए…….

साधना कार्णिक ने देश के सभी राज्यो से गोवंश को बचाने के लिए एम बी को  इमरजेंसी स्तर पर तत्काल खरीदकर देश के सभी डाक्टरों को उपलब्ध कराने की मांग की है.

 देश  के नागरिकों से  अपने राज्य में एम बी सेंटर बनाकर एम बी देने की अपील…..

 साधना कार्णिक ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा एम बी उपलब्ध कराने  तक देशवासियों से इसे अपने  राज्य व जिलों  में एम बी सेंटर बनाकर वेट डाक्टरों को तड़पती हुई बेजुबान गायो  का प्रभावी इलाज करने के लिए लैब ग्रेड एम बी  पाउडर दन करने की अपील की है.

एम बी का संक्षिप्त इतिहास…….

एम बी याने नीली दवा मिथेलीन ब्लू
यह एक सैकड़ों साल पुरानी दवा है जो आयुर्वेद में बुखार इंफेक्शन के लिए भारत सहित कई एशिया के कई देशों में इस्तेमाल की जाती थी
यह नील के पौधों के रस से बनाई जाती थी.परन्तु इस खेती से जमीन बंजर हो जाती है इसलिए गांधी जी अंग्रेजो के समय नील।आंदोलन किया. तब अंग्रेजो ने इसका सिथेंटिक रूप एम बी बनाया.
लम्पी वायरस पर एमबी अनुसंधान का विश्वव्यापी शोध
विभिन्न शोध प्रकाशनों से यह पाया गया है उसका संक्षिप्त में शोध परिणाम
एम बी पॉक्स वायरस पर काम करता है
एम बी गायो मवेशियों और कुत्तों पर भी काम करता है
एम बी गायो मवेशियों कुत्तों को जीवन भर दिया जा सकता है
एम बी आय वी सीधे खून में नस द्वारा भी दिया जा सकता है
8 से 15 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर का वजन मवेशियों में एमबी की सुरक्षित मात्रा है
गायो मवेशियों कुत्तों पर एम बी के इलाज का को विवरण गूगल पर मिला
क्या एमबी पॉक्स वायरस पर काम कर सकता है?
इस सवाल का जवाब सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल अमेरिका की रिसर्च हेड सुश्री ललिता प्रियंवदा ने दिया है
उनके शोध के अनुसार। प्रकाशित पत्रिका में उन्होंने कहा है कि एमबी पॉक्स वायरस पर काम करता है
क्या गायों में एमबी का इलाज काम करता है ?
इस प्रश्न का उत्तर आविष्कारक क्रिस्टोफर वुल्फ और नेगी हेबिक ने 2006 में दिया था
2006 में अपनी कंपनी बायो एन वीजन एंकॉर्पोरीशन के माध्यम से इन दो आविष्कारकों ने अपने आविष्कार का पेटेंट कराया कि एमबी पॉक्स वायरस पर काम करता है
तो ये दो अमेरिकी आविष्कारक 16 साल पहले जानते थे कि एमबी पॉक्स वायरस पर काम कर सकता है
क्या एमबी जानवरों पर काम कर सकता है?
47 सेकेंड में गूगल करने पर करीब 30 लाख 30 हजार रिसर्च रेफ पेपर्स और पब्लिकेशन दिखा रहे हैं जो कहते हैं कि एमबी गायो जानवरों कुत्तों में काम कर सकता है ?
क्या जानवरों को गायों को IV MB लंबी अवधि दी जा सकती है?
क्या एम बी गायो मवेशियों में यूरिया खाद के कारण हुई नाइट्रेट पॉयजन में काम करता है
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन FAO एफएओ जो संयुक्त राष्ट्र का एक हिस्सा है और पशुपालन पर WHO की तरह काम करता है
1988 से प्रकाशित अपनी वेबसाइट पर बताया
कि कुत्तों को उनकी आनुवंशिक Mythhemenoglobimia में MB की जीवन भर LIFELONG की IV खुराक दी जा सकती है
जिसके बिना कुत्ते जीवित नहीं रह सकते.
तो यह स्पष्ट करता है कि आवश्यकता पड़ने पर पशुओं या गायों में IV MB जीवनभर दिया जा सकता है
क्या गायों में एमबी दी जा सकती है ?
गूगल पर 1 लाख 59 हजार शोध प्रकाशन हैं कि गायों में नाइट्रेट विषाक्तता जो यूरिया खाद पत्तो घास के द्वारा गायो के पेट में जाने से हो सकता है में एमबी प्रभावी है
एमबी के लिए सुझाई गई सुरक्षित खुराक 8 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन है
क्या मवेशियों को एमबी दी जा सकती है ?
अमेरिका में न्यू मैक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी कृषि विभाग अनुसंधान प्रकाशन का कहना है कि मवेशियों में नाइट्रेट विषाक्तता में
2 से 4% एमबी 4 से 5 मिलीग्राम प्रति किलो मवेशियों के शरीर के वजन के हिसाब से दिया जा सकता है
गायों मवेशियों में एम बी की सुरक्षित मात्रा
सभी शोध कहते हैं कि 8 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम शरीर का वजन सुरक्षित है
मवेशियों के लिए मर्क कंपनी का मानक औषध पशु चिकित्सा मैनुअल (एमएसडी)
गायों और पशुधन की नाइट्रेट विषाक्तता
एमबी नाइट्रेट विषाक्तता को कम करने वाला एजेंट है और मेथेमोग्लोबिन को हीमोग्लोबिन में बदल देता है जिससे गायो के शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल हो जाती है
धीमी गति से IV 1 to2% MB
4 से 15 मिली प्रति किलो बॉडीवेट एमबी डोज की ऊपरी सुरक्षित सीमा है
यह एक पुख्ता सबूत है कि एमबी बड़ी खुराक में गायों और मवेशियों को दिया जा सकता है
एम बी जीवनभर देने के लिए सुरक्षित डोज है
दुनिया भर में विभिन्न शोधों और प्रकाशनों के अनुसार
15 एमएल प्रति किलो शरीर का वजन
एक 300 से 500 किलो गाय में 24 घंटे में 4500 एमएल ऊपरी सुरक्षित सीमा है
वजन के हिसाब से बछड़े को आधा या कम डोज दिया जा सकता है

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