बेअसर रही पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक छीनने की राजनीति


अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण करने वाली कांग्रेस पार्टी इन दिनों मध्यप्रदेश में इसी पुरातन फार्मूले का प्रयोग कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ कांग्रेस ने आदिवासियों को बरगलाकर सत्ता पाने में जो सफलता पाई थी उससे उत्साहित होकर उन्होंने इस बार पिछड़ों को निशाना बनाया है। पिछड़ा वर्ग के इस बड़े वोट बैंक की खेती करने की शुरुआत वैसे तो कांग्रेस की अर्जुनसिंह सरकार ने की थी लेकिन उसे परिणाम मूलक बनाने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया । पिछड़ा वर्ग से ही लगातार तीन मुख्यमंत्री देकर भाजपा ने इस बड़े वोट बैंक को संवारने में सफलता पाई है। इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की हसरत पाले कमलनाथ कांग्रेस ने कानूनी दांव पेंच से अपनी पार्टी को जिस तरह पिछड़ों का हितैषी बताने का अभियान चलाया उसने राज्य की राजनीति में भारी भूचाल मचा दिया। कई दिनों तक लगता रहा कि पिछड़ों की ये पैरवी कांग्रेस को बड़ा जनाधार दिलवाएगी। कमलनाथ के इस दांव के सूत्रधार राज्यसभा सांसद विवेक तनखा बने। उन्होंने कमलनाथ के मीडिया प्रभारी सैय्यद जाफर और अन्य की याचिकाओं को लेकर अदालती लड़ाई लड़ी। विशेष विमान से इन योद्धाओं को सुप्रीम कोर्ट भेजा गया और बड़ी धनराशि खर्च करके अदालत में पिछड़ों को आरक्षण की रोटेशन प्रणाली का पालन करवाने की पैरवी की गई। ये दांव उल्टा पड़ा और अदालत ने इसे फेब्रिकेटेड मानते हुए खारिज कर दिया। रिपट पड़े की हर गंगे करने वाले कमलनाथ ने सरकार पर दबाव बनाना शुरु कर दिया कि वह पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए अदालत जाए। विधानसभा में जो स्थगन प्रस्ताव लाया गया उसमें कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाने की कोशिश की थी कि वह पिछड़ों को आरक्षण का लाभ न देकर पंचायतों के जो चुनाव करवा रही है उससे प्रदेश के एक बड़े वर्ग के हितों की अनदेखी होगी। कमलनाथ और उनकी चिल्लर पार्टी ने सदन में जिस तरह इस मुद्दे को उठाया उससे तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए विधायकों मंत्रियों को भी एकबारगी लगा कि सरकार पर किया जा रहा ये वार बहुत घातक साबित होगा। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके सहयोगी गृहमंत्री डाक्टर नरोत्तम मिश्रा और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ठाकुर भूपेन्द्र सिंह ने जिस तरह इस राजनीतिक वार का डटकर सामना किया उससे विपक्ष की धार भौंथरी हो गई। भूपेन्द्र सिंह जो कि स्वयं पिछड़ा वर्ग से आते हैं उन्होंने कहा कि यदि हमारी सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई हुई और मैंने जिन कानूनी प्रक्रियाओं का हवाला दिया है उनमें यदि कोई झूठी साबित हुईं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। पिछड़ा वर्ग के हित के लिए मैं जान देने को भी तैयार हूं। कमलनाथ ने सदन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दबाव बनाया कि वे पिछड़ा वर्ग को लेकर जो दावे कर रहे हैं उसके लिए उनकी सरकार को अदालत जाकर आरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछड़े वर्ग से लगातार तीन मुख्यमंत्री देकर इस वर्ग को जितनी नौकरियां दी हैं या अन्य लाभ दिलाए हैं उन्हें वे सदन के पटल पर रखने को तैयार हैं। हमने पिछड़े वर्ग को सत्ता का लाभ दिलाने का पाखंड नहीं किया बल्कि उसे लाभ दिलाया है। हमने सभी समाजों और वर्गों के विकास की जो राजनीति की है उससे समाज में सामंजस्य बढ़ा है और सभी वर्गों को लाभ मिला है। जिस 27 प्रतिशत आरक्षण न दिलाए जाने के आरोप हम पर लगाए जा रहे हैं, हमने पिछड़े वर्ग के लोगों को उससे भी कई गुना ज्यादा लाभ दिया है। हमें इसके लिए किसी अग्निपरीक्षा देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सदन के नेता के रूप में कहा कि हमने जाति धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर जनहित को सर्वोपरि रखा है। जिस तरह कमलनाथ कांग्रेस की टीम वैमनस्य फैलाने की राजनीति कर रही है हम उसका जवाब देने में सक्षम हैं। सरकार के रुख ने कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के सामने घिरे असमंजस को भी दूर कर दिया है और जनता में फैलाए जा रहे भ्रम को भी हटा दिया है। कांग्रेस के इस वार ने सरकार को समय से पहले सावधान कर दिया है कि वह कांग्रेस की इस वैमनस्य फैलाने वाली राजनीति के लिए भी भविष्य में तैयार रहे।

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