अधिक फसल बेचने के चक्कर में सीलिंग एक्ट में फंसे किसान

भोपाल। समर्थन मूल्य पर मुक्त हस्त से फसलों की खरीद करने के मध्यप्रदेश सरकार के फैसले को प्रदेश के बड़े किसानों ने मुनाफा कमाने का साधन बना लिया है। वे अपनी अधिक जोत को फसलों की खरीद के लिए पंजीकृत करा लेते हैं। इससे उनकी फसलों का अधिकतर भाग सरकारी खरीद के दायरे में आ जाता है। इस साल जबकि कोरोना संकट के चलते सरकार की माली हालत खस्ता है तब भी ऐसे किसानों ने अपनी उपज सरकार को बेचने में सफलता पाई है। जबकि छोटे जोत वाले किसानों का खाद्यान्न बहुत कम खरीदा गया है। इस खामी के सामने आने के बाद अब सरकार के कान खड़े हुए हैं और उसने सीलिंग एक्ट के तहत जमीनों के रकबे की जांच भी शुरु कर दी है।

जमीन के रकबे के आधार पर फसल बिक्री के लिए किसानों ने जो पंजीयन कराया है उन आंकड़ों की जांच कराने पर कई बड़े किसानों को अपनी जमीनें बचाना कठिन हो जाएगा। कई जिलों में किसानों के पास जमीन का रकबा इतना ज्यादा है, जो सीलिंग एक्ट के दायरे में आ सकता है।

मप्र कृषि जोत अधिकतम सीमा अधिनियम 1960 (सीलिंग एक्ट)की धारा 7 के तहत प्रदेश के किसानों को खेती के लिए जमीन की अधिकतम जोत रखने का अधिकार है। यह पात्रता परिवार में सदस्यों की संख्या के आधार पर है। पिछले कुछ सालों में किसानों की जमीन की सिंचाई का रकबा बढ़ा है। केसीसी में अधिकतम कर्ज लेने के लिए भी किसानों ने राजस्व अभिलेखों में असिंचित जमीन को सिंचित करवाया है। साथ ही समर्थन मूल्य पर रबी एवं गर्मियों की फसलों की बिक्री के लिए जमीन को दो फसलीय सिंचित दर्ज कराया है। ऐसे में किसानों की सिंचित जमीन का रकबा बढ़ा है। इसका रिकॉर्ड किसान हर साल समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए पंजीयन कराते समय देते हैं। इसी रिकॉर्ड के आधार पर जांच हुई तो कई किसान इसके लपेटे में आ सकते हैं। खास बात यह है कि प्रदेश के किसी भी किसान के पास प्रदेश के किसी भी हिस्से में जमीन ज्यादा होती है तो वह सीलिंग एक्ट में आ सकती है।

तहसील स्तर के मामले की सुनवाई एसडीएम करते हैं। दो अलग-अलग तहसील के मामलों की सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में होती है। दो जिलों के मामले की सुनवाई संभागायुक्त करते हैं। जबकि दो अलग-अलग संभाग में जमीन से जुड़े मामले की सुनवाई आयुक्त, भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त करते हैं।

एक व्यक्ति एक फसलीय सिंचित जमीन 15 एकड़ तक रख सकता है। पांच सदस्यतीय परिवार 27 एकड़ तक रख सकता है। जबकि पांच से ज्यादा सदस्य होने पर हर सदस्य को 4.5 एकड़ रखने का अधिकार है, लेकिन अधिकतम 54 एकड़ तक रखी जा सकती है।

एक व्यक्ति दो फसलीय 10 एकड़ तक जमीन अपने पास रख सकता है। पांच सदस्यीय परिवार पति-पत्नी एवं तीन नाबालिग के लिए अधिकतम 18 एकड़ जमीन रखने का अधिकार है। संयुक्त परिवार जिसमें पति-पत्नी एवं तीन नाबालिगों के लिए यह सीमा अधिकतम 18 एकड़ है, लेकिन इससे ज्यादा सदस्य होने पर पांच से ज्यादा सदस्य होने पर हर सदस्य को 3 एकड़ जमीन रखने का अधिकार है, यह अधिकतम 36 एकड़ तक रखी जा सकती है।

इसी तरह असिंचित जमीन एक व्यक्ति 30 एकड़ तक रख सकता है। पांच सदस्यीय परिवार (दो नाबालिग समेत)54 एकड़ जमीन रख सकता है, पांच से ज्यादा सदस्य होने पर प्रति सदस्य 9 एकड़ असिंचित जमीन रख सकता है। लेकिन यह अधिकतम 108 एकड़ तक रखी जा सकती है। इससे ज्यादा जमीन होने पर सीलिंग एक्ट के तहत सरकार ले सकती है।

सीलिंग एक्ट के प्रकरणों की सुनवाई अलग-अलग स्तर पर होती है। इन सभी मामलों में आपत्ति होने पर इन मामलों का निराकरण शासन स्तर पर किया जाता है।
ज्ञानेश्वर बी पाटिल, आयुक्त, भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त एवं सचिव राजस्व

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