स्थापित उद्योगों के सहारे एमपी के सीईओ दिखना चाहते हैं कमलनाथ

अरुण पटेल

बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के अंतिम कुछ सालों में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्सर बढ़चढ़ कर यह दावा करते रहे कि वे मुख्यमंत्री नहीं बल्कि प्रदेश के सीईओ हैं, लेकिन सच्चे अर्थों में प्रदेश के वास्तविक सीईओ के रुप में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी एक ऐसी छवि गढ़ रहे हैं जिसमें राजनेता के साथ ही एक कुशल प्रशासक के भी गुण मौजूद दिखाई पड़ने लगे हैं। कमलनाथ के पास विकास की वैश्‍विक दूरदृष्टि होने के साथ ही विकास का मॉडल स्थानीय जमीनी आवश्यकताओं के अनुसार क्या हो, इन दोनों का समन्वय उनके व्यक्तित्व में है। प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने और ‘वक्त है बदलाव का’ अपना चुनावी वायदा पूरा करने की दिशा में कमलनाथ सरकार आगे बढ़ रही है। दशकों बाद मंत्रालय में मुख्यमंत्री के रुप में एक ऐसा चेहरा विराजमान है जिसकी प्रशासन पर मजबूत पकड़ बन रही है और वे आला अधिकारियों को बताते हैं कि उन्हें क्या करना है और कैसे होगा। कमलनाथ का कहना है कि मेरी सरकार ‘आउटसोर्स’ की नहीं है। अब जब अधिकारी मेरे पास आते हैं और कैसे क्या करना है पूछते हैं तो मैं उन्हें बताता हूं कि कैसे काम करना है और क्या काम करना है एवं सरकार कैसे चलती है।


मेरी सरकार आउटसोर्स की सरकार नहीं है यह कहते हुए कमलनाथ पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर तंज कसते हैं। समझा जाता है कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कार्य संचालन के मामले में उनकी यह पक्की धारणा रही है कि उस समय पांच-छह अधिकारियों को सरकार आउटसोर्स कर दी थी और वे जो चाहते थे वही होता था। जहां तक कमलनाथ का सवाल है चाहें वे मुख्यमंत्री हों, मंत्री रहे हों या सांसद उनकी कार्यशैली स्वाभाविक रुप से सीईओ की ही रही है, जबकि शिवराज पहली बार सीधे मुख्यमंत्री बने थे और उन्होंने अपने ढंग से सरकार चलाई थी। पहले और दूसरे कार्यकाल में शिवराज ने भी सामाजिक सरोकारों से जुड़ी खासकर लाडली लक्ष्मी और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन तथा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना जैसी कुछ ऐसी योजनायें चलाई थीं, जिनके चलते उनका अपना एक आभामंडल बना था और बहनों के भाई एवं भांजे-भांजियों के मामा तथा वृद्धजनों के लिए श्रवण कुमार बन गए थे। लेकिन यह भी सही है कि उनके कार्यकाल के आखिरी दो-तीन सालों में जैसा कमलनाथ कह रहे हैं वैसी ही स्थिति बन गयी थी।


राजनीतिक हल्कों में यह बात मानी जाती थी कि कमलनाथ एक साथ वैश्‍विक सोच एवं जमीनी आवश्यकताओं के साथ पिछड़े से पिछड़े इलाके को कैसे विकसित किया जाए यह भलीभांति जानते हैं। आला प्रशासनिक अधिकारी और मध्यप्रदेश आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष आई.सी.पी. केशरी कहते हैं कि हमारे सी.एम. डायनमिक ग्लोबल हैं और हम सब राज्य की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। आईएएस आफीसर्स एसोसिएशन की सर्विस मीट 2020 के उद्घाटन अवसर पर केशरी ने कहा कि नये आने वाले अफसरों को शायद अपने मुख्यमंत्री के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है, इसकी वजह यह है कि उन्होंने उनके साथ काम नहीं किया है। उन्होंने एक उदाहरण देकर कहा कि जिनेवा में डब्ल्यूटीओ के सम्मेलन में एक बार किसानों के हितों को लेकर 90 देशों के मंत्रियों ने कमलनाथ के नेतृत्व में वाकआउट कर दिया था। एक बार विकासशील देशों के लिए पश्‍चिमी देशों की एक बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश भी आये थे, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परिचय कराते हुए कहा कि ये वाणिज्यिक मंत्री कमलनाथ हैं, इसके पूर्व ही बुश बोल उठे कि मैं इन्हें जानता हूं, इन्होंने हमारे मंत्रियों को परेशान किया हुआ है। इस पर कमलनाथ ने कहा कि ऐसा नहीं है हमारे अच्छे सम्बन्ध हैं, उनकी इस हाजिर जवाबी के कारण सभी उनकी ओर देखने लगे थे।


कांग्रेस अक्सर शिवराज सरकार पर भू-माफिया, खनन माफिया को फलने-फूलने का आरोप लगाती रही थी। चुनाव के समय भी कांग्रेस ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उसका आरोप था कि पिछले भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान रेत माफिया, भू-माफिया, बिल्डर माफिया और अनेक प्रकार के माफिया इस कदर तेजी से उभरे थे कि एक प्रकार से प्रदेश माफियाओं के मकड़जाल में फंस गया था। कांग्रेस का कहना है कि इन सभी माफियाओं पर अपने-पराये या राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से परे समान रुप से कड़ी कार्रवाई कमलनाथ कर रहे हैं और इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप को प्रश्रय नहीं मिल पा रहा है। अपने चुनावी वायदों को तेजी से पूरा करने के साथ ही कमलनाथ की प्राथमिकता प्रदेश में नये उद्योग लगाने की रही है और इस मामले में एक यथार्थवादी दृष्टिकोण से वे आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे का दावा है कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश का एक विश्‍वसनीय माहौल बना है और लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रोजेक्ट की बुनियाद बीते एक साल के कार्यकाल में रखी गई है। लगभग 70 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के लिए, उन्हें भूमि आवंटन सम्बन्धी प्रक्रिया भी पूरी कर ली गयी है। उनका कहना है कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश के परिवेश को देखा जाए तो पिछले पन्द्रह साल की तुलना में कमलनाथ सरकार का एक साल का कार्यकाल भाजपाई शासन का पर्दाफाश कर रहा है और भाजपा के पन्द्रह साल की अवधि प्रदेश के औद्योगिक निवेश के लिए अभिशाप साबित हुई है। दुबे का आरोप है कि शिवराज सरकार के समय 2007 से 2016 तक आयोजित अनेकों ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में बड़े पैमाने पर औद्योगिक निवेश में 17 लाख करोड़ के गननचुम्बी निवेश के दावे किए गए थे, किन्तु नतीजा सिफर रहा और केवल 50 हजार करोड़ का ही निवेश आ पाया। दुबे का दावा है कि कमलनाथ सरकार औद्योगिक निवेश का स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रही है और उसने 30 हजार करोड़ रूपये की बुनियाद भी रख दी है जबकि समूचा देश केन्द्र की भाजपा सरकार की अदूरदृष्टि के चलते भयंकर आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है, जबकि मध्यप्रदेश में निवेशकों की कतार लग गयी है। मध्यप्रदेश का पीथमपुर हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा फार्मा हब बन गया है। यहां सिपला फार्मा ने 600 करोड़ रुपये के निवेश की बुनियाद यहां रखी है। जो बड़े निवेशक आये हैं उनमें अजंता फार्मा ने 500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। न्यू जर्सी की कम्पनी पार फार्मा ने 400 करोड़ का निवेश किया है मेक्लाईड नेे भी 400 करोड़ का निवेश किया है। इसके साथ ही उन्होंने आंकड़ों के हवाले से औद्योगीकरण की दिशा में बढ़ते प्रदेश का खाका भी प्रस्तुत किया।

एक तरफ मुख्यमंत्री कमलनाथ जहां प्रदेश का औद्योगिक परिवेश बदलने के लिए भिड़े हुए हैं तो वहीं वे उन पर किए जा रहे किसी भी तंज का जवाब उसी लहजे में देने से नहीं चूक रहे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जबलपुर में सीएए के समर्थन में एक रैली को सम्बोधित करते हुए कमलनाथ पर निशाना साधा और कहा कि वे सोनिया मैडम के दरबार में अपनी सीआर सुधारने में लगे हैं और जोरशोर से बोल रहे हैं कि प्रदेश में सीएए लागू नहीं होगा। उनकी उम्र चिल्लाने की नहीं रही है, स्वास्थ्य बिगड़ जायेगा। इस पर कमलनाथ ने भी पलटवार करते हुए कहा कि मेरी उम्र नहीं काम देख रही है प्रदेश की जनता, 365 दिनों में 365 वायदे पूरे किए हैं हमारी सरकार ने, आप प्रदेश की जनता और जनादेश दोनों का अपमान कर रहे हैं। हमने एक साल में प्रदेश में बदलाव लाकर दिखा दिया है और वायदे पूरे कर जनता का भरोसा कायम रखा है, हम काम में विश्‍वास रखते हैं झूठे वायदों में नहीं। इसी उम्र में जनता ने मुझ पर भरोसा कर भाजपा के कई युवा उम्मीदवारों की उम्मीद पर पानी फेरा है। आप कांग्रेस को नहीं जनता को समझाइए जो इस सच को जानती है कि केन्द्र सरकार अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए सीएए और एनआरसी जैसे कानून थोपने का काम कर रही है। कमलनाथ ने शाह को सलाह दी कि अधिक बेहतर होता आप सीएए के समर्थन में रैली व जनसभा के लिए उन राज्यों में जाते जहां हिंसा हुई है। प्रदेश की शान्त धरती पर कानून के नाम पर गुमराह करने व फिजा खराब करने के लिए आपके यहां आने की आवश्यकता नहीं है। 

यह लेख सुबह सवेरे से आभार सहित लिया गया है। इसका मकसद मुख्यमंत्री कमलनाथ की आकांक्षाओं को अपने पाठकों तक पहुंचाना मात्र है। लेखक को उपलब्ध कराए गए तथ्यों ,वक्तव्यों, राय आदि से प्रेस इंफार्मेशन सेंटर की सहमति होना आवश्यक नहीं है।

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