माफिया के कब्जे में कमलनाथ सरकार

लगभग चौदह साल का शिव राज प्रशासनिक तौर पर प्रदेश का सबसे लचर शासनकाल कहा जा रहा है। जबकि शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश को परिवार की तरह चलाया। सबको काम करने और आगे बढ़ने का अवसर दिया। शिवराज की इस शासनशैली से आम नागरिकों ने तो संतोष महसूस किया लेकिन कांग्रेस का कहना है कि शिव के राज में माफिया ताकतों ने अपना आतंक फैला रखा था । अब मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार ने प्रदेश के लगभग बीस माफिया ताकतों को कथित तौर पर पहचाना है। वह अब माफिया के विरुद्ध संघर्ष का ऐलान कर रही है। इस कड़ी में उसने इंदौर से लोकस्वामी अखबार के संपादक जीतू सोनी को खलनायक की तरह पेश करने का अभियान चलाया है। उसके जीतू सोनी के लगभग छह ठिकाने धराशायी कर दिये गए हैं। होटल से लेकर घर और ऐसे तमाम परिसरों पर तोड़फोड़ की गई जिन पर जीतू सोनी का दावा रहा है। सरकार की इस कार्रवाई से प्रदेश के लोग हैरान हैं। प्रेस जगत के लोग भी खासे खफा हैं। जिन्होंने जीतू सोनी की कार्यशैली देखी है वे उसे एक सदाशयी पत्रकार के रूप में जानते हैं। ऐसा बहादुर जिसने सत्ता के बुलंद बुर्जों की काली करतूतें भी ठप्पे से अपने अखबार में प्रकाशित कीं। जीतू सोनी का साम्राज्य पिछले तीस सालों में तमाम झंझावातों के बीच लगातार बढ़ता चला। कांग्रेस की सरकारें हों या भाजपा की सभी ने उनकी पत्रकारिता को सलाम किया और उनके डांसबार को एक उपयोगी कारोबार माना। उनके होटल माईहोम को शराब पिलाने का लाईसेंस प्राप्त था। वह होटल पुलिस प्रशासन,अफसरों और अपराधियों सभी का लोकप्रिय स्थान रहा है। मुंबई की तर्ज पर न केवल इंदौर बल्कि प्रदेश और देश भर के बिगड़े नवाब इस डांस बार में आते रहे हैं। जीतू सोनी अच्छे व्यवस्थापक रहे और उन्होंने बार बालाओं समेत इस कारोबार से जुड़े लोगों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराया। शराबखोरी के बीच होने वाली गुंडागर्दी को नियंत्रित करने के लिए उनके पास बाऊंसर्स की टीम थी। इसके बावजूद उन्होंने कभी प्रशासन से टकराव नहीं लिया। अब कमलनाथ सरकार खजाना खाली होने का शोर मचाकर समाज के सभी तबकों से वसूली अभियान चला रही है। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की आड़ में व्यापारियों के चंदा और टैक्स वसूली का अभियान चलाया गया। इसके बाद अब सरकार कथित तौर पर माफिया के विरुद्ध अभियान चला रही है। दरअसल सरकार का लक्ष्य प्रदेश से राजस्व संग्रहण की उगाही बढ़ाना तो है ही साथ में कांग्रेस का पार्टी फंड भी जुटाया जा रहा है। यह काम गुंडागर्दी के किया जा रहा है और इसके लिए आड़ जनता की ली गई है। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में जिन्होंने चंदा दिया और टैक्स भरना शुरु कर दिया उनके विरुद्ध तो कोई कार्रवाई नहीं की गई लेकिन जिन्होंने न चंदा दिया और न ही टैक्स भरने का तंत्र विकसित किया उनके विरुद्ध रासुका जैसी कार्रवाईयां की गईं। इस दौरान कई व्यापारियों के तो कारोबार बंद हो गए और उससे जुड़े कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए। जीतू सोनी को पुलिस और प्रशासन गुंडातत्वों पर नियंत्रण पाने के लिए इस्तेमाल करता रहा है। जो काम पुलिस या निगम प्रशासन नहीं कर पाता वह जीतू सोनी के बाऊंसर्स की मदद से पूरे कराए जाते थे।पहली बार पुलिस ने अपने ही पाले पोसे इस तंत्र के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। जीतू सोनी पर तेईस मुकदमे लाद दिए गए हैं,तीस हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है,विदेश भागने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। ऐसा करके कमलनाथ सरकार कानून के सहारे अपना आतंक का राज स्थापित करना चाह रही है। जीतू सोनी के अखबार लोकस्वामी ने हनी ट्रेप कांड की किस्तें छापनी शुरु कीं थीं। अफसरों और नेताओं के जिस गठजोड़ ने सरकार में रहकर प्रदेश के कर्ज के दलदल में धकेला और भ्रष्टाचार के माध्यम से भारी धन जुटाया वे अय्याशी में लिप्त हो गए। जीतू सोनी को पुलिस और प्रशासन ने जिस जिम्मेदारी के लिए तैयार किया था उन्होंने वह बखूबी निभाई। अय्याशियों की ये खबर उनके अखबार ने जैसे ही छापना शुरु की सत्ता शीर्ष के इंद्र का सिंहासन डोल गया। मंत्रालय के कई अफसरों को लगा कि यदि वे चुप रहे तो उनकी तो भद पिट जाएगी। नतीजतन उन्होंने पुलिस का इस्तेमाल करके जीतू सोनी को धराशायी करने की मुहिम चला दी। पिछले तीस सालों से जो जीतू सोनी समाज का उपयोगी उपकरण था वो आज कुख्यात माफिया बना दिया गया है। अखबारों के बीच भी आतंक फैल गया है। भारत सरकार के कार्पोरेट कार्य मंत्रालय से अरबों रुपयों का लोन जुटाकर जो कथित बड़े अखबार प्रकाशित हो रहे हैं उनकी तो औकात भी नहीं थी कि वे अपने समान भ्रष्टाचार की गंगा में नहाने वाले सत्ताधीशों पर कीचड़ उछाल सकें। यही वजह है कि वे कथित बड़े अखबार सरकार की कार्रवाई को सही ठहराने में जुट गए। अवसरवादी पत्रकारों के एक समूह ने भी इस अवसर को लपक लिया और वे जीतू सोनी को खलनायक बताने वाली कहानियां छापने दिखाने लगे। इसके बावजूद आज पत्रकारों का बड़ा तबका सरकार की कार्रवाई से खफा है। वह जानता है कि सरकार उन भ्रष्ट और अय्याश अफसरों नेताओं के नेटवर्क को बचाने का काम कर रही है जिन्होंने विकास के नाम पर प्रदेश को बेचने का काम किया है। जीतू सोनी को अपराधी बताने वालों को तय करना होगा कि समाज की वैचारिक गंदगी को साफ करने वाला लोकस्वामी ज्यादा बड़ा अपराधी है या फिर प्रदेश को अरबों रुपयों के कर्ज में डुबाने वाले गद्दार नेता, अफसर या ठेकेदार । आज मध्यप्रदेश विकास के पथ पर दौड़ रहा है। उसे काली अर्थव्यवस्था के पथ पर दौड़ाने वाले नेता, अफसर,ठेकेदार न केवल प्रदेश बल्कि देश की विकास यात्रा को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। जब हिंदुस्तान पांच ट्रिलियन डालर की इकानामी बनने को अग्रसर है तब सत्ता माफिया प्रदेश के आय के संसाधनों पर कब्जा जमाने की जंग लड़ रहा है। कमलनाथ सरकार जाने अनजाने में इस वैश्विक माफिया का औजार बन रही है। सरकार के ये कार्यकलाप अवश्य ही निंदनीय हैं। कमलनाथ सरकार तब समानांतर अर्थव्यवस्था को फूलने फलने का अवसर दे रही है जब नोटबंदी के बाद भारत सरकार ने रुपये की ताकत बढ़ाने का अभियान चलाया था। देश की नीतियों से इस टकराव के बीच प्रदेश की विकास यात्रा क्षतिग्रस्त हो रही है। सरकार को अपने फैसले पर फिरसे चिंतन करना चाहिए। सरकार पर माफिया का शिकंजा इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में ब्राजील या इटली की तरह माफिया सरकार से भी बड़ी ताकत बन जाएगा जो घातक सिद्ध होगा।

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