भोपाल,(प्रेस सूचना केन्द्र)।औद्योगिक विकास की राह चलते मध्यप्रदेश में सत्ता बदलने के साथ साथ उद्योपतियों से संवाद का तरीका भी बदल गया है। भाजपा की शिवराज सिंह चौहान की सरकार जहां कर्ज आधारित अर्थव्यवस्था से उन्हें पैसा बनाने के अवसर उपलब्ध करा रही थी वहीं कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने उद्योपतियों की वसूली बैठक शुरु कर दी है। भाजपा को जो उद्योगपति स्वेच्छा से चंदा मुहैया करा रहे थे उन्हें कमलनाथ जी ने कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के छिंदवाड़ा माडल के नाम पर भारी भरकम जवाबदारियां थमा दीं हैं।हाल की मुंबई यात्रा में मुख्यमंत्री ने सामाजिक विकास के नाम पर उ्दयोपतियो को जो जवाबदारियां थमाई हैं उससे उद्योगपतियों के बीच कोहराम मच गया है।उद्योगपतियों ने व्यापारियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन फंड जब्त कर लिए हैं जिससे पूरे बाजार में भूचाल आ गया है।
कांग्रेस का विकास माडल हमेशा से अमीरों को लूटकर गरीबों को बांटने के कबीलाई फार्मूले पर टिका रहा है। मुक्त बाजार व्यवस्था के पूंजीवादी माडल ने इस नीति को पूरी तरह धराशायी कर दिया था। कमलनाथ दुबारा उसी घिसे पिटे फार्मूले को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। पंद्रह साल के भाजपा शासनकाल में भले ही इस पुराने फार्मूले की विदाई न हो पाई हो लेकिन इंस्पेक्टर राज की चूलें जरूर हिल गईं थीं। यही वजह था कि राज्य का बजट भी बढ़ा और फलने फूलने के एवज में उद्योगपतियों ने भाजपा को भरपूर चंदा भी दिया। अब जबकि कमलनाथ की कांग्रेस को अपनी सरकार बचाने के लिए हर दिन मशक्कत करना पड़ रही है तब उनकी कांग्रेस खुलकर चंदा उगाही के मैदान में कूद पड़ी है।
कांग्रेस की पोल तो केवल उद्योपतियों की उस सूची से ही खुल जाती है जिन्हें वो प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए आमंत्रित करने का दावा कर रही है। इनमें अंबानी, अडानी से लेकर महिंद्रा और हीरो जैसी कंपनियां प्रमुख हैं जिनका कारोबार मध्यप्रदेश में पहले से फैला हुआ है। राज्य मंत्रालय का भवन बनाने वाले शापोरजी पालोनजी समूह को ही इतनी बड़ी जवाबदारी थमाई गई है जिससे विधायकों को भी मालामाल कर दिया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्यमियों से साफ कह दिया है कि यदि उन्हें प्रदेश में अपना कारोबार करना है तो अपनी आय का पंद्रह फीसदी हिस्सा पार्टी के अघोषित फंड में देना होगा। इधर कांग्रेस और भाजपा के भाग निकलने को बेकरार विधायकों को आश्वासन दिया जा रहा है कि उनका भरपूर सम्मान किया जाएगा इसलिए वे सरकार गिराने के अभियान से दूर ही रहें।
कमल नाथ ने मुंबई में रिलायंस ग्रुप के चेयरमेन मुकेश अंबानी, बिरला ग्रुप के कुमार मंगलम, टाटा ग्रुप के चंद्रशेखर, महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के पवन गोयनका, टाटा पावर के प्रवीर सिन्हा, ग्रेसिम के दिलीप गौर, आर.पी.जी. ग्रुप के हर्ष गोयनका, एसीसी सीमेंट के दिलीप अखूरी, अहिल्या हेरीटेज होटल्स के यशवंत होलकर एवं नरसी मुंजी के अमरीश पटेल से वन-टू-वन चर्चा की इन सभी के कारोबार पहले से ही मध्यप्रदेश में संचालित हैं।
कांफ्रेंस में बजाज फाइनेंस के एम.डी. संजीव बजाज, जुबिलेंट लाइफ एंड सांइसेस लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट अमरदीप सिंह, महिंद्रा हॉलिडेज एण्ड रिसोर्ट इंडिया लिमि. के चेयरमेन अरुण नंदा, टाटा केपिटल लिमि. के हेड बिजनेस डेव्हलपमेंट कश्मीरा मेवावाला, थाइसनग्रुप-इण्डस्ट्रीज प्रा.लि. के सीईओ विवेक भाटिया, ट्यूबेक्स इंडिया लिमि. के चेयरमेन अजय सम्बरानी, एचडीएफसी बैंक के ग्रुप हेड राकेश सिंह, वेरेटिव एनर्जी लिमि. के एम.डी. सुनील खन्ना, कौंसुलेट जनरल ऑफ जापान के कौंसुलेट जनरल मिशियो हराडा, टाटा पॉवर लिमि. के एमडी प्रवीर सिन्हा, टाटा कंसलटेंसी लिमि. के वाइस प्रेसीटेंड तेज भाटिया, रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमि. के स्टॉफ चेयरमेन निलेश मोदी, रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमि. के बिजनेस यूनिट हेड संजय रॉय, हिन्दुजा के ग्रुप हेड कार्पोरेट आर. केनन, एसीसी सीमेंट के एमडी नीरज अखोरी, इण्डो-स्पेस के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल नायर, टाटा मोटर लिमि. नेशनल हेड सुशांत नायक, ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लि. के ज्वाइंट डायरेक्टर अजय सरदाना, केमोट्रोल्स इण्डस्ट्रीज प्रा.लि. चेयरमेन के. नंदकुमार, हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमि. एक्जीक्यूटिव डेयरेक्टर प्रदीप बेनर्जी, हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमि. लीड साउथ एशिया कनिका पाल, इनोक्स लिमि. डायरेक्टर सिद्धार्थ जैन, प्रॉक्टर एंड गेम्बल चीफ एक्जीक्यूटिव मधुसूधन गोपालन, अहिल्या एक्सप्रिंसेस डायरेक्टर यशवंत होलकर, सिप्ला लिमि. वाइस प्रेसीटेंड निखिल बेसवान, इंटरनेशनल बायोटेक पार्क लिमि. सीईओ प्रशांता के. बिसवाल, टीसीजी रियल एस्टेट चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर प्रताप चटर्जी, एप्टेक लिमि. डायरेक्टर नीनंद करपे, केपिटल फू़ड प्रा.लि. सीईओ नवीन तिवारी, करगोम फूड्स लिमि. एमडी रोहित भाटिया, एरिस एग्रो लिमि. मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल मीरचंदानी, टाटा कन्सलटिंग इंजीनियर्स लिमि. चेयरमेन अशोक सेठी, गोदावरी बायो रिफाइनर्स लिमि. सीईओ समीर सोमिया, एसीजी-एसोसियेटेड केप्सूल चेयरमेन अजीत सिंह से मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधा संपर्क किया गया। इन सभी ने सरकार को सीएसआर की दो फीसदी राशि विकास कार्यों के लिए खर्च करने का आश्वासन तो दिया ही है साथ में चंदे की किस्त भी पहुंचानी शुरु कर दी है। सीएसआर की राशि तो शिवराज सिंह सरकार के कार्यकाल में भी खर्च होती थी लेकिन तब उद्योगपतियों पर कोई दबाव नहीं था।पहली बार सरकार ने उन्हें स्पष्ट टारगेट दिए गए हैं।जिससे उद्योपतियों के साथ साथ व्यापारियों में भी कोहराम मच गया है, क्योंकि उद्योगपतियों ने चंदे के टारगेट पूरे करने के लिए व्यापारियों के इंसेंटिव बंद कर दिए हैं।
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