भोपाल,19 जुलाई(प्रेस सूचना केन्द्र)। पूर्व संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के तीखे तेवरों ने पिछले दो दिनों में सरकार को बैकफुट पर आने को मजबूर कर दिया है। हालात ये हैं कि उनके तीखे सवालों के सामने सदन भी नतमस्तक होता नजर आया। इस तरह की संसदीय बहस प्रदेश की राजनीति में लंबे समय बाद देखने मिल रही है जिससे सहमत विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदन को अगले दिन तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। उनके फैसले की सभी वर्गों के बीच प्रशंसा की जा रही है।
कल जब गृह विभाग पर बजट चर्चा का जवाब गृहमंत्री बाला बच्चन देने जा रहे थे तभी पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने व्यवस्था के प्रश्न के हवाले से अधिकारी दीर्घा की ओर सदन का ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि माननीय अध्यक्ष जी ने ही ये निर्देश दिए थे कि जब किसी विभाग के संबंध में चर्चा चल रही हो तब उस विभाग के प्रमुख अधिकारी दीर्घा में अवश्य मौजूद रहें। इसके बावजूद पुलिस महानिदेशक वीपी सिंह और डीजी जेल संजय चौधरी आज दीर्घा में उपस्थित नहीं हैं। क्या उन्होंने अपनी गैरहाजिरी के लिए किसी से अनुमति ली है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री इतने निरीह हैं कि अधिकारी उनकी सुनते तक नहीं हैं।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री डाक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर ये बहुत गंभीर बात है। मालूम चला है कि वे किसी बैठक में हैं। सदन की बैठक से ज्यादा महत्वपूर्ण और कौन सी बैठक हो सकती है। अधिकारियों को दीर्घा में उपस्थित रहना चाहिए। ये बहुत गंभीर बात है।मुख्यमंत्री और गृह सचिव को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। विपक्ष ने जिस ओर ध्यान आकर्षित कराया है उस पर सदन को संज्ञान लेना चाहिए। इस दौरान गृह सचिव एस.एन.मिश्रा भी दीर्घा में मौजूद थे।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि माननीय अध्यक्ष जी आपने ही व्यवस्था दी थी कि जनरल बजट पर चर्चा के दौरान विभाग प्रमुख और सचिव भी दीर्घा में उपस्थित रहें। उन्होंने कहा कि माननीय मंत्री जी आज अपने विभाग की चर्चा का उत्तर न दें। जब डीजी महोदय और जेल डीजी उपस्थित रहें तब कल या किसी और समय चर्चा का उत्तर दिया जाए।
इस पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि माननीय गृहमंत्री जी सक्षम हैं और वे आज भी जवाब दे सकते हैं। यदि वे आज अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण जवाब नहीं देते हैं तो ये भविष्य के लिए नजीर बन जाएगी। इस पर अध्यक्ष जी कोई व्यवस्था दे दें तो उचित होगा।
जवाब में अध्यक्ष एन.पी.प्रजापति ने कहा कि सदन के निर्देशों का पालन नहीं होगा तो मुझे भी किताबें पलटकर नियमों का पालन कराना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मैं जब बिजली मंत्री था और तब ओ एंड एम मेंबर मिस्टर भोंडे उपस्थित नहीं थे तो मैंने उन्हें नोटिस दिया था और धारा 11 ए के तहत कार्रवाई की थी। हमारा सदन लोकतंत्र का मंदिर है, गफलत बाजी की जाएगी तो ये सदन की अवमानना के दायरे में आएगा। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान अधिकारियों को सदन में रहना चाहिए। यदि कोई नया विधायक अपनी बात सदन में उठा रहा है तो वह बात अधिकारियों तक प्रेषित होनी ही चाहिए। यदि नहीं जा रही है तो फिर क्या मतलब। इसके साथ ही उन्होंने सदन को शुक्रवार 11 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
अध्यक्ष एन.पी.प्रजापति के इस फैसले पर पूरे सदन की ओर से उनकी सराहना की गई। इस तरह का माहौल बरसों बाद सदन में देखा गया।
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