नरेन्द्र मोदी के साथ महाशक्ति की राह पर भारत


- भरतचन्द्र नायक
वीरता और पराक्रम में सदैव से भारत अजेय रहा है। उसकी समृद्धि ने सभी को ललचाया और बाह्य आक्रमण का दंश झेला, लेकिन समय की रफ्तार के साथ कदम से कदम मिलाने में जो चूक हुई उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। जब आक्रमण का प्रचलन हो चुका था और दुश्मन ने तोप बंदूक से लेस होकर आक्रमण किया हम अपना शौर्य भाला तलवार लेकर दिखा रहे थे। आजादी के बाद विकास की ओर ध्यान गया। कदम संभले पं. नेहरू ने बांध जलाशयों, कारखानों को तीर्थधाम बनाया। इंदिरा जी ने परमाणु शक्ति संपन्नता की ओर ध्यान दिया। राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटरीकरण का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय दिया गया। अटलजी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से गांवों तक विकास की रोशनी पहुंचाई। मोदी जी ने देश को बुलेट पर सवार कर दिया। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष की नीतियों कार्यक्रमों का विरोध अनिवार्य है और ऐसा हुआ, लेकिन 2014 में जब सोलहवीं लोकसभा के चुनाव की रणपेटी बजी और गुजरात के सफल मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली उनकी प्रखर आलोचना उनके लिए स्वीकार्यता विस्तार में सहायक सिद्ध हुई। मोदी ने पूर्ववर्ती सरकार के भ्रष्टाचार से मुक्ति, महंगाई पर लगाम, सुरक्षा परिदृश्य में सुखद बदलाव का भरोसे और अच्छे दिन आने का सपने को देश की जनता ने मोदी जी के नेतृत्व में उनकी कटु आलोचना के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के नाम प्रचंड बहुमत के साथ जनादेश दे दिया। मजे की बात यह रही कि जब नरेंद्र मेादी को जनता एक दूर दृष्ठा, कल्पनाशील और कुशल प्रशासक के रूप में देख रही थी। राजनैतिक दल उन्हें मौत का सौदागर बता रहा था। जनता महसूस कर चुकी थी कि विरोध राजनैतिक है। वास्तविकता यह थी कि गुजरात ने मोदी के नेतृत्व में नई करवट ली थी। गुजरात विकास के हर मापदंड पर कसे जाने के बाद देश में अब्बल, प्रगतिशील अमन चैन के मामले अब्बल राज्य था, जो राजनैतिक दल मोदी पर असहिष्णुता का इल्जाम लगा रहे थे उनके द्वारा शासित राज्यों से गुजरात के अल्पसंख्यक तरक्की की ऊंची सीढ़ियां चढ़ चुके थे। जनता देख चुकी थी कि नरेंद्र मोदी समस्या नहीं समाधान पुरूष है।

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूर्ण कर चुके हैं और उन्होंने मंत्रालयवार अपना रिपोर्ट कार्ड जनता को सौंप दिया है। कुछ स्थानेां को अपवाद स्वरूप छोड़कर जहाॅ विधानसभा चुनाव अथवा लोकसभा उपचुनाव हुए जनता ने तमाम मुसीबतें सहते हुए मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी और भाजपानीत एनडीए कोसमर्थन देकर विजय रथ आगे बढ़ाया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने कड़े, कष्टप्रद फैसले लेने में कभी गुरेज नहीं किया जिनका पुरजोर विरोध भी हुआ लेकिन देश की अपढ़ कही जाने वाली जनता ने मुसीबते झेलते हुए माना कि मोदी की दिशा और दशा सही है। नीयत में खोट नहीं है। विपक्ष के सामने सबसे बड़ी हैरानी परेशानी की बात यह रही कि वह बीते तीन वर्षों में एनडीए सरकार पर गड़बड़, घोटाला, भ्रष्टाचार का एक भी इल्जाम नहीं लगा पाई। जब 8 नवम्बर 2016 को एकाएक नोटबंदी का ऐलान हुआ गैरभाजपा दल हक्के-बक्के रह गये। उनका सीधा सपाट आरोप था कि बिना जनता को भरोसे में लिए इतना बड़ा फैसला क्यों ले लिया कि करेंसी कम पड़ गई। बैंकों से खाताधारियों को अपनी रकम निकालने पर पाबंदी लग गई। बैंकों के सामने बंद करेंसी बदलने के लिये गरीबों, अमीरों की लाइने लग गई। नोटंबंदी को कालेधन और उसके सृजन पर प्रहार बताया गया रोजी-रोटी छोड़ कर मजदूर भी बैंक के दरवाजे पर वहीं खड़ा था जहां धन्ना सेठ वारी का इन्तजार कर रहे थे। विपक्ष को मुंहमांगा मुद्दा मिल गया। लेकिन आम आदमी ने माना कि इससे कालेधन की समानान्तर चलने वाली व्यवस्था ध्वस्त हो गई जनता ने विरोध के स्वरों को अनसुना ही नहीं किया उत्तरप्रदेश जेसे राज्य में भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विजय से नवाजा और नोटबंदी के प्रबल विरोधियों को हाशिये पर धकेल दिया। नीति नीयत ने मोदी का हर बार साथ दिया। आलोचना मोदी को संजीवनी साबित हुई। नोटबंदी के पश्चात् उपलब्धि की जो गुलाबी तसवीर रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक की है वह साबित करती है कि आजदी के पश्चात् देश के आर्थिक क्षेत्र में नोटबंदी सबसे बड़ा कं्रातिकारी सुधार है जिसने धनपतियों की तसवीर बैंक के राडार पर ला दी है। अब न तो बेनामी सौंदे हो पा रहे हैं और न कालाधन खपाने की गली शेष बची है। बैंकों में नकदी का अंबार लगा है। कर्ज वितरण आसान हुआ है। टेक्स का वेस बड़ा है और सरकार के खजाने में आने वाले टेक्स में बहुगुवित वृद्धि हुई है।

सुरक्षा परिदृश्य में आये बदलाव से दुनिया चकित है। पड़ौसी देश पाकिस्तान और चीन भ्रमित है। सर्जिकल स्ट्राईक ने दुनिया को बता दिया है कि भारत अब साफ्ट इस्टेट नहीं रहा है। इसकी डोकलाम प्रकरण में भारत की दृढ़ता ने मोहर लगा दी है। चीन को डोकलाम मामले में उल्टे पैर लौटना पड़ा है। इसने भारत की प्रतिष्ठा में चारचांद लगा दिये हैं। चीन के पुसैल पाकिस्तान को भारत की सीमा में आतंकवाद फैलाने के लिए उकसाने वाले चीन को ही ब्रिक्स की बैठक में पाकिस्तान की भत्र्सना करने को नरेंद्र मोदी ने विवश कर दिया। यह पहला मौका था जब मोदी ने चीन की धरती पर चीन केा मात दे दी। विश्व शक्तियां दांत तले अंगुली दबाने को विवश हुई। लेकिन इसे कांग्रेस की नादानी ही कहेंगे कि जब चीन भारत के बीच तनाव चरम पर था राहुल गांध्ीा चीन के दूतावास पहुंच गये और खुद संदेह के घेरे में आ गये। देश विदेश खासकर अमेरिका ने भारत में जीएसटी की जी भरकर प्रशंसा की। लेकिन राहुल गांधी ने अमेरिका की धरती पर जीएसटी का विरोध करके न केवल घरेलु मामलों पर विवाद खड़ा कर दिया अपितु अपनी कूटनीतिक निरक्षरता जनता के सामने उजागर कर दी।

हाल के दिनों में जापान के प्रधानमंत्री आबे ने भारत पहुंचकर नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों का खुलेमन से समर्थन किया अपितु भारत को सामरिक, आर्थिक समर्थन देकर पड़ौसी देश चीन का बुलेट और पाकिस्तान को बुलट का अर्थ समझा दिया। आज पाकिस्तान यदि आतंकवादी देश के रूप में अलग-थलग खड़ा है और चीन की विस्तारवादी दुष्प्रवृत्ति के कारण विश्व के अधिकांश देश चीन के विरोधी और भारत के समर्थन में खड़े हैं यह इक्कीसवीं शताब्दी की बड़ी सफलता है जिसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने भारत के इतिहास को नया मोड़ देकर वैश्विक पटल पर भारत का मान और प्रतिष्ठा बढ़ाई है।

नरेंद्र मोदी के प्रयास से अहमदाबाद से मुंबई बुलेट ट्रेन की आधार शिला रखे जाने के पश्चात् जापान के प्रधानमंत्री ने ऐलान किया है कि वे 2022 में बुलेट ट्रेन से भारत के नयनाभिराम स्थलों का दौरा करेंगे। पांच वर्षों में पूर्ण होने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना पर 84 लाख करोड़ रू. का खर्च आयेगा जो कर्ज के रूप में जापान भारत को 0.1 प्रतिशत ब्याज पर देगा। नरेंद्र मोदी का यह कहना कि बुलेट ट्रेन परियोजना भारत को मुफ्त में पड़ेगी अतिरंजना नहीं एक हकीकत है। क्योकि इस कर्ज राशि की वसूली 15 वर्ष बाद लंबी अवधि की किश्तों में होगी। तब तक यह परियोजना भारत के लिए दुधारू गाय साबित हो चुकी होगी। देश के औद्योगिक शहरों में आवागमन सरल, सुलभ पर यातायात का दबाव केन्द्रित होने से सड़क और देश यातायात पर से दबाव घटेगा। इससे पर्यावरण संरक्षण का नया अध्याय आरंभ होगा।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में काम की गति में तीव्रता आई है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत की दुनिया की महाशक्ति की राह पर अजेय बनकर बढ़ रहा है भारतीय फौज ने पाकिस्तान के विरूद्ध सर्जिकल स्ट्राईल लालसेना के साथ साहसिक झड़पे मोल ली हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत ने सीना तानकर इसकी जानकारी सार्वजनिक करने में गुरेज नहीं किया। अब तक यह साहस विश्व का महानशक्तिशाली देश अमेरिका ही करता रहा है। इतिहास में दर्ज है कि पूर्ववर्ती सरकार के दौर में नाथूला पर हुई झड़पों में चीन के 300 सैनिक ढेर हुए थे लेकिन सरकार यह बताने का साहस नहीं कर सकी थी। क्योंकि उसे अंदेशा था कि ऐसा करने से चीन भड़क जायेगा। लेकिन इस बार सेना को जितनी आजादी दी गई। उतने ही खुलेपन के साथ भारतीय फौज के शौर्य का सरकार ने बखान किया और उसे पूरा श्रेय भी दिया। अब तक भारत की विदेश नीति संकोच के अवकुंठन रही है। लेकिन मोदी ने इसमें साहस के साथ पारदर्शिता का रंग भरा है और देश का भाल उन्नत किया है यहीं महाशक्ति के सिर का सेहरा है।

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