नई दिल्ली।वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि नोटबंदी के नतीजे आशा के अनुरूप हैं और मध्यम तथा लंबी अवधि में इससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। आज नई दिल्ली में ‘द इकॉनमिस्ट पत्रिका द्वारा आयोजित इंडिया समिट के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री जेटली ने कहा कि बैंकों में जो नोट जमा किए गए थो उसका मतलब यह नहीं है कि वो सब वैध धन था। वित्तमंत्री ने कहा कि नोटबंदी के समय अनुमान लगाया गया था कि अधिक से अधिक लोग कर प्रणाली के तहत आयेंगे और इससे प्रत्यक्ष कर वसूली में मदद मिलेगी। श्री जेटली ने कहा कि नोटबंदी का राजनीतिक स्तर पर भी व्यापक स्वागत किया गया है और इससे अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।
वस्तु और सेवाकर के बारे में श्री जेटली ने कहा कि इसके लाभों के बारे में अभी से कोई अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी, लेकिन इससे मिलने वाले फायदे निश्चय ही उल्लेखनीय होंगे। श्री जेटली ने कहा कि जीएसटी की एक ही दर लगाना न्यायसंगत नहीं होगा लेकिन सरकार को आशा है कि जीएसटी की दो मानक दरें भविष्य में एक हो सकती हैं। वित्त्मंत्री ने कहा कि अगर जीएसटी को सही ढंग से अपनाया गया तो जीएसटी परिषद अलग अलग कर दरों के आपस में विलय का निर्णय ले सकती है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के बारे में श्री जेटली ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में वह उत्साहवर्धक नहीं रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम को जल्दी ही संसद की स्वीकृति मिल जाएगी। श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी कम्पनियों को आने की इजाजत दे दी है। इससे रक्षा उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
आरबीआई ने बुधवार को कहा था कि साल 2016 के नवंबर में की गई 500 रुपये और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद प्रचलन से बाहर हुए 15.44 लाख करोड़ नोट में से 15.28 लाख करोड़ नोट लौटकर प्रणाली में वापस आ चुके हैं.मंत्री ने हालांकि कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य कुल मिलाकर पूरा हो गया है.
उन्होंने कहा, ‘इससे असंगठित क्षेत्र को संगठित बनाने में मदद मिली. नोटबंदी ने कर आधार बढ़ाने में मदद की, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रहण बढ़ा है.’ उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी ने बेनामी पैसे पर रोक लगाई है और प्रणाली को झकझोरा है.’ जेटली ने कहा, ‘दो तिहाई जीएसटी र्टिन दाखिल होने के साथ ही हमने लक्ष्य से अधिक हासिल कर लिया है. जीएसटी लागू होने के पहले महीने में इससे हुआ कर संग्रहण सरकार की उम्मीदों से अधिक है.’उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दीर्घकालिक असर से सरकारी खर्च को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि राजस्व अधिक इकट्ठा होगा.
देश में एक करोड़ रूपये से अधिक की 14 हजार से ज्यादा संपत्तियां आयकर विभाग के जांच के दायरे में हैं जिनके स्वामियों ने अपने आयकर विवरण में इसकी जानकारी नहीं दी है। ऐसे संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण में बैंकों में नोटबंदी की अवधि में नकद रूपये जमा करने वाले लोगों के बैंक खाता और उनके कर विवरण दाखिलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जिसमें 18 लाख संदिग्ध मामलों की पहचान की गई। ऑपरेशन क्लीन मनी अभियान जनवरी 2017 में शुरू हुआ था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों का कर्ज लेकर उसे नहीं लौटा पाने वाली निजी कंपनियों के मालिकों से कहा है कि वह अपना बकाया चुकायें या फिर कारोबार छोड़कर उसका नियंत्रण किसी दूसरे के हवाले कर दें.
भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत हाल ही में ऐसी 12 बड़ी कर्जदार कंपनियों के खिलाफ दिवाला कारवाई शुरू करने का बैंकों को निर्देश दिया है. इन कंपनियों में दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज फंसा हुआ है. यह राशि बैंकों के कुल फंसे कर्ज का एक चौथाई के करीब है.
बैंकों से कर्ज लेकर उसे नहीं लौटा पा रहे कुछ और कर्जदारों के खिलाफ भी कारवाई को अधिसूचित किया जा रहा है. जेटली ने कहा कि सरकार बैंकों को और पूंजी उपलब्ध कराने के लिये तैयार है लेकिन फंसे कर्ज का समाधान सरकार के लिये बड़ी प्राथमिकता है.
वित्त मंत्री ने इकोनोमिस्ट सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून के जरिये, मैं समझता हूं कि देश में पहली बार फंसे कर्ज के मामले में सक्रिय कारवाई की जा रही है.’’ उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज का समाधान करने में समय लगेगा. ‘‘आप इस मामले में एक झटके में सर्जिकल कारवाई नहीं कर सकते हैं.’’
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने बैंकों को पहले ही 70,000 करोड़ रुपये तक पूंजी उपलब्ध करा दी है और उन्हें और पूंजी देने के लिये भी तैयार है. कुछ बैंक बाजार से भी पूंजी जुटा सकते हैं. ‘‘हम बैंकिंग क्षेत्र में एकीकरण की कारवाई आगे बढ़ाने के लिये भी सक्रियता से काम कर रहे हैं. हमें ज्यादा बैंक नहीं चाहिये, हमें कम लेकिन मजबूत बैंक चाहिये.’’
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही देश के सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों के बीच विलय प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया ताकि इन बैंकों की कार्यक्षमता और उनमें संचालन को बेहतर बनाया जा सके.
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