भोपाल। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दलितों पर अत्याचार और उपेक्षा के मामले में या तो इतिहास का ज्ञान नहीं है, या फिर वे देश की जनता को अज्ञानी समझते हैं। सच तो यह है कि लगभग 6 दशक तक देश में एक छत्र राज्य करने वाली कांग्रेस ने दलितों को कभी सम्मान से खड़े नहीं होने दिया। उसे सिर्फ वोट समझा, इंसान नहीं। इतना ही नहीं दलितों के सम्मान की अत्यंत शालीनता के साथ आवाज उठाने वाले और उन्हें संविधान के तहत अधिकार दिलाने वाले राष्ट्र नायक डॉ. भीमराव अंबेडकर को निरंतर अपमानित और उपेक्षित करने में कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह तक किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान पर कि ‘‘भारतीय जनता पार्टी दलित मुक्त भारत बनाने पर तुली है’’, भाजपा नेता एवं मंत्री श्री लालसिंह आर्य ने गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा है कि श्री सिंधिया के इन बेहुदे बयानों से इतिहास की सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। श्री सिंधिया को यह पता होना चाहिए जबकि श्री अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया। दलित समाज के प्रणेता और मार्गदर्शक डॉ. भीमराव अंबेडकर को नीचा दिखाने के लिए पं. जवाहरलाल नेहरू के समय से ही बिसात बिछा दी गई थी। वे अपनी जानकारी दुरूस्त कर लें कि जब डॉ. अंबेडकर मुंबई से 1952 में चुनाव लड़े, तब पं. नेहरू ने उन्हें चुनाव हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया। डॉ. अंबेडकर को जीवनभर इस बात की टीस रही। कांग्रेस के पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं है कि डॉ. अंबेडकर दिल्ली के जिस किराए के मकान में रहे, उस मकान को उपेक्षित करके रखा गया और जब देश में श्री अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, तब अटल जी ने उस मकान से अपना भावनात्मक संबंध स्थापित करते हुए 16 करोड़ में न सिर्फ उसे खरीदा, बल्कि हाल ही में वर्तमान भाजपा सरकार के मुखिया श्री नरेंद्र मोदी ने 100 करोड़ रू. से 26, अलीपुर रोड स्थित इस मकान को संविधान की शक्ल में एक भव्य स्मारक बनाने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश में लगभग 43 साल कांग्रेस की सरकार रही है, लेकिन जहां भारत के लाल डॉ. अंबेडकर पैदा हुए उस महू कस्बे को उपेक्षित रखा गया और उनके जन्म स्थान को सम्मान देने का कोई जतन नहीं किया गया। हमें इस बात पर गर्व है कि भारतीय जनता पार्टी की श्री शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबा साहब की जन्मभूमि का शत्-शत् नमन करते हुए राष्ट्र को एक स्मारक समर्पित किया है। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शायद यह भी जानकारी नहीं है कि बाबा साहब की दीक्षा भूमि जो नागपुर में है, उसे भाजपा शिवसेना की सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक की सूरत दी। भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री नितिन गडकरी के इस प्रयास को देश सदैव याद रखेगा। श्री सिंधिया को इस बात का भी अध्ययन करना चाहिए कि संविधान के निर्माता का अंतिम संस्कार मुंबई में जिस स्थान पर किया गया था, उस इंदुमिल की जमीन पर श्री गोपीनाथ मुंडे के प्रयास से स्मृतियां संजोई गईं हैं और हाल ही में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इंदुमिल की जमीन बाबा साहब के अंतिम संस्कार स्थल पर स्मारक बनाने और समाज निर्माण के अन्य प्रकल्प चलाने के लिए आवंटित कर दी है। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी छुट्टियां बिताने विदेश तो खूब जाते हैं, शायद वह लंदन भी गये होंगे, लेकिन उन्हें यह जानने की फुरसत नहीं मिली कि लंदन में जिस स्थान पर बाबा साहब अंबेडकर ने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की, उस स्थान को महाराष्ट्र की भाजपा शिवसेना सरकार ने राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया है। सरकार बाबा साहब के नाम पर एक बड़ा शोध केंद्र बनाने पर भी काम कर रही है।
श्री लालसिंह आर्य ने कहा है कि श्री सिंधिया भाजपा पर आरोप लगाने से पहले अपने जमीर में झांक कर देखें कि अंबेडकर जी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा किसने की ? संसद के सेंट्रल हाल में दशकों की प्रतीक्षा के बाद बाबा साहब का तैल चित्र किसके प्रयासों से लग सका? श्री सिंधिया को इस बात का जवाब शायद कभी न सूझ सके कि जिस दिन डॉ. मनमोहन सिंह की घोटालेबाज कांग्रेस सरकार विदा हो रही थी उस दिन भी देश में 80 करोड़ गरीब बचे थे। यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं हैं कि देश में गरीबों की कुल आबादी में दलितों और वंचितों का हिस्सा कितना अधिक है। कांग्रेस को जवाब देना पड़ेगा कि 60 साल तक आप गरीबी हटाओ का नारा देते रहे और निरंतर गरीब और दलित राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर होते रहे, इसके कारण क्या हैं? श्री सिंधिया की मजबूरी हम समझ सकते हैं कि वे आज अपनी ही पार्टी में कुछ ऐसे लोगांे के रहमोकरम पर अपना राजनैतिक अस्तित्व बनाये हुए हैं, जिनकी कार्य प्रणाली इस राष्ट्र के लिए समझ से परे है। अपने आकाओं को खुश करने के लिए जब श्री सिंधिया जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालो को राष्ट्र द्रोही मानने से इंकार कर सकते हैं, वे कश्मीर मामले पर अत्यंत असहनीय बयान दे सकते हैं, तो उनसे यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह समाज के वंचित वर्ग की भावनाओं को आहत नहीं करेंगे। भारतीय जनता पार्टी को श्री सिंधिया जैसे नेताओं से किसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है। वे यदि दलितों और वंचितों का दर्द समझते तो आज देश की तस्वीर कुछ और होती। इन नेताओं की तखलीफ यह है कि देश में पहली बार एक गरीब का बेटा प्रधानमंत्री बना है और उसने समाज के सभी वर्गों के लिए समानता के आधार पर विकास के द्वार खोल दिये हैं। कांग्रेस को यह बात समझ में आ रही है कि जब देश खुशहाल हो जायगा, तो किसी भी वर्ग को वोट के लिए बरगलाया नही जा सकेगा। ऐसे में बेचारी कांग्रेस कभी सत्ता में लौटेगी कैसे? अनुसूचित जाति-जनजाति अब किसी का वोट बैंक बनने को तैयार नहीं हैं। दलित वर्ग को पता है कि कांग्रेस ने सदैव से उसके साथ उत्थान के नाम पर षड़यंत्र किए हैं, लेकिन कांग्रेस के षड़यंत्रों को समापन की ओर ले जाने के लिए आज के जागरूक दलित समाज ने कमर कस ली है।
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