भोपाल (पीआईसीएमपीडॉटकॉम)।
राज्य सरकार ने नगरीय क्षेत्र के विकास की सुनियोजित योजनाएँ बनायी हैं। अधोसंरचना हो या बुनियादी नागरिक सुविधाएँ, नागरिकों को उपलब्ध करवाने के लिये गुणवत्तापूर्ण काम सभी नगरीय क्षेत्र में किये गये हैं। मेट्रो रेल की परिकल्पना हो या लोक परिवहन का मामला, स्वच्छता की बात हो या ई-गवर्नेंस, शहरी गरीबों को आवास सुविधा या उनके लिये पेयजल उपलब्ध करवाना, इन सभी बुनियादी सुविधाओं के लिये नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के जरिये निरंतर काम किया जा रहा है।
प्रदेश की 2 करोड़ 59 हजार की आबादी वाले नगरीय क्षेत्रों में नगरीय सुविधाओ के लिये हुए कामों ने शहरी अधोसंरचना की तस्वीर बदल दी है। इस उद्देश्य के लिये वर्ष 2015-16 में 7812 करोड़ 98 लाख रुपये का बजट था। वर्ष 2002-03 में यह बजट मात्र 738 करोड़ था। वर्ष 2005 से प्रदेश के 4 बड़े शहर- भोपाल, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन में 2679 करोड़ की 28 परियोजना स्वीकृत की गयी हैं। अन्य छोटे तथा मझौले शहरों में 114 निकाय की 181 परियोजना स्वीकृत की गयी हैं। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में 1500 करोड़ में से 288 नगरीय निकाय को 1403 करोड़ 15 लाख रुपये के कामों के लिये स्वीकृति दे दी गयी है।
भोपाल एवं इंदौर के लिये देश का प्रथम लाइट मेट्रो सिस्टम प्रक्रिया में है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में स्थित हेरीटेज स्मारकों/स्थलों/भवनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये वर्ष 2013-14 में शहरी विरासत संरक्षण एवं संवर्धन योजना शुरू की गयी है। स्वर्ण जयंती शहरी स्व-रोजगार योजना में वर्ष 2013-14 तक 2 लाख 14 हजार 76 हितग्राही तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम में 4 लाख 18 हजार 411 हितग्राही को प्रशिक्षण दिया गया। अक्टूबर, 2013 में इस योजना के स्थान पर राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शुरू किया गया है।
मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेन्ट कम्पनी
नगरीय निकायों की वर्तमान क्षमता तथा मानव प्रबंधन में कमी के कारण परियोजनाओं को समय से पूरा करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने और अधोसंरचना के काम समय-सीमा में क्रियान्वित करने के लिये मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कम्पनी बनायी गयी है। कम्पनी द्वारा निकायों को तकनीकी तथा वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के साथ निकाय-स्तर पर स्वीकृत परियोजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जायेगा।
स्मार्ट-सिटी
भारत सरकार की स्मार्ट-सिटी योजना में पहले चरण में प्रदेश के 3 शहर भोपाल, इंदौर और जबलपुर का चयन किया गया है। स्मार्ट-सिटी योजना में प्रदेश के नागरिकों को मुख्य बुनियादी सुविधाएँ, स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण, जीने के लिए उच्च-स्तरीय गुणवत्ता और स्मार्ट समाधान प्राप्त होगा। राज्य शासन स्तर पर अन्य शहरों को स्मार्ट-सिटी बनाने की कार्य-योजना भी तैयार की जा रही है।
शहरी गरीबों को आवास
शहरों में गरीबों के लिये आवास उपलब्ध करवाने के लिये ‘सबके लिए आवास” योजना बनाई गयी है। प्रधानमंत्री आवास योजना में भारत सरकार द्वारा ग्वालियर शहर के एक्शन प्लान को देश के सभी राज्य में मॉडल के रूप में मान्य किया गया है। वर्ष 2018 तक शहरी गरीबों के लिये 5 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। एक हजार करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार शहरी गरीब आवासों का निर्माण किया जायेगा।
अटल मिशन फॉर रिज्युवेनेशन एण्ड अर्बन ट्रान्सफार्मेशन
मध्यप्रदेश ने भारत सरकार की अटल मिशन फॉर रिज्युवेनेशन एण्ड अर्बन ट्रान्सफार्मेशन योजना में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। योजना में स्वच्छ पेयजल, सीवरेज कनेक्शन, वर्षा जल के निकासी, हरित क्षेत्रों में विकसित एवं शहरी परिवहन को सुनिश्चित किये जाने के उद्देश्य से एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के 34 शहर का चयन किया गया है।
प्रदेश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में केन्द्र शासन से 33 प्रतिशत, राज्य शासन से 50 प्रतिशत एवं नगरीय निकायों द्वारा 17 प्रतिशत अंशदान के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है एवं प्रदेश के 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में केन्द्र शासन से 50 प्रतिशत, राज्य शासन से 40 एवं नगरीय निकायों के 10 प्रतिशत अंशदान के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन एवं स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत मिशन में आगामी 5 वर्ष के लिये 5209 करोड़ 14 लाख रुपये की स्वच्छता कार्य-योजना में व्यक्तिगत शौचालय, सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय का निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे काम करवाये जा रहे हैं। दिसम्बर-2015 तक 50 लाख घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध करवायी जा चुकी है। सभी 52 हजार गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य है। अभी 1500 से अधिक गाँव को खुले में शौच से मुक्त किया जा चुका है।
राज्य सरकार ने शहरों की स्वच्छता के लिये मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन प्रारंभ किया था जिसे भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता के स्वच्छ भारत मिशन में शामिल किया गया है। संपूर्ण राज्य में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण तेजी से चल रहा है। चार लाख से अधिक शौचालयों को स्वीकृत कर डेढ़ लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण कर मध्यप्रदेश पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। सामुदायिक शौचालयों में 5068 से अधिक सीट्स का निर्माण करवाया जा चुका है।
सार्वजनिक क्षेत्रों में स्वच्छता बनाये रखने के लिये 637 से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों की स्वीकृति दी गई है। इसमें से 208 से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाया जा चुका है।
नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये सफाई उपकरण जैसे- छोटा कचरा वाहन, बेलिंग मशीन, काम्पेक्टर एवं मड पम्प आदि के लिये नगरीय निकायों को आर्थिक सहायता दी गई है। प्रदेश के निकायों के क्लस्टर बनाकर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जन-निजी भागीदारी के माध्यम से किया जा रहा है।
योजना में घर-घर से कचरा एकत्रित कर क्षेत्रीय लेण्डफिल साईट तक ले जाकर वैज्ञानिक तरीके से उसका डिस्पोजल किया जायेगा। इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा।
घर-घर से कचरा एकत्रित करने की कार्यवाही प्रारंभ की जाकर वर्ष 2016-17 में 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति का उद्देश्य है। स्वच्छता व्यवहार में परिवर्तन के लिये सूचना शिक्षा संप्रेषण के माध्यम से जन-जागरूकता का काम भी किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन भारत सरकार एवं राज्य सरकार के 50:50 प्रतिशत अंशदान के अनुपात में क्रियान्वित किया जा रहा है।
मेट्रो रेल परियोजना
राज्य शासन द्वारा प्रदेश के नागरिकों को उच्च स्तरीय लोक परिवहन सुविधा प्रदान करने तथा प्रदेश को विश्व परिवहन मानचित्र पर स्थान प्रदाय करने भोपाल एवं इंदौर शहरों में स्टेट-ऑफ-आर्ट मेट्रो परियोजना वर्ष 2021-2022 तक क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। जबलपुर एवं ग्वालियर के लिये भी मेट्रो रेल परियोजना के लिये डीपीआर प्रक्रिया में है।
मेट्रो रेल परियोजना के क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी का गठन किया जा चुका है। योजना में भोपाल एवं इंदौर में मेट्रो के लिये प्रस्तावित नेटवर्क की कुल लंबाई क्रमशः 95 किलोमीटर एंव 103 किलोमीटर है। प्रथम चरण में भोपाल में 28 किलोमीटर और इंदौर में 31 किलोमीटर लागत 14 हजार करोड़ रुपये से निर्माण काम प्रस्तावित है।
शहरी लोक परिवहन
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर एवं उज्जैन नगर के लिये पार्किंग, लोक परिवहन एवं ट्रांजिट ओरिएन्टेड डेव्हलपमेंट मास्टर-प्लान की तैयारी की जा रही है।
शहरों में बढ़ते शहरीकरण से वाहनों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी से शहरी यातायात बेतरतीब हो रहा है तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। ऐसी स्थिति में शहरी लोक परिवहन अत्यंत महत्वपूर्ण काम है। इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए इसे दृष्टि पत्र 2018 में मिशन के रूप में रखा गया है।
सुरक्षित एवं सुगम यातायात के लिये प्रदेश के प्रमुख शहरों में यातायात सूचना प्रबंधन एवं नियंत्रण केन्द्र की स्थापना के लिये परियोजना प्रतिवेदन तैयार करवाया जा रहा है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर एवं उज्जैन नगरों के लिये पार्किंग, लोक परिवहन, विज्ञापन एवं ट्रान्जिट ओरिएन्टेड डेव्हलपमेंट के मास्टर प्लान तैयार करवाये जा रहे हैं।
प्रदेश के चार शहर- भोपाल में 225, इन्दौर में 175, जबलपुर में 119 एवं उज्जैन में 89 आधुनिक एवं आरामदायक बसों के माध्यम से लोक परिवहन बस सेवा संचालित है। प्रदेश के 21 शहर के लिये कम्प्रेहेन्सिव मोबेलिटी प्लान तैयार करवाये जा रहे हैं।
प्रदेश के शहरों में लोक परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने के लिये राज्य-स्तरीय डेडीकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फण्ड एवं शहर स्तरीय डेडीकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फण्ड का गठन किया गया है। इन दोनों फण्ड के लिये इस वित्त वर्ष में 48 करोड़ का बजट प्रावधान है।
प्रदेश के 20 नगरीय निकायों में लोक परिवहन के लिये प्रस्ताव भारत सरकार को अमृत योजना में स्वीकृत की जा चुकी हैं।
ई-गवर्नेंस एवं शहरी सुधार योजना
बढ़ते शहरीकरण को देखते हुए नगरीय निकायों की कार्य-प्रणाली में सुधार की जरूरत है। शहरी सुधार कार्यक्रम में वित्तीय सुधार, प्रशासकीय सुधार, ई-गवर्नेंस, सम्पत्ति कर एवं उपभोक्ता प्रभार में सुधार इत्यादि शामिल है। इसके लिए वर्ष 2013-14 से ”शहरी सुधार कार्यक्रम” योजना शुरू की गयी है।
नगरीय निकायों की कार्य-प्रणाली में पारदर्शिता तथा नागरिकों की सुविधा के लिये राज्य-स्तर से अनुदान देकर ”ई-नगरपालिका परियोजना” शुरू की गई है। प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया योजना को देखते हुए प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में ई-गवर्नेंस रिफार्म का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
प्रदेश के सभी नगर निगमों में भवन अनुज्ञा की प्रक्रिया को सुगम बनाते हुए ऑटोमेटेड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम लागू किया गया है। इस प्रक्रिया में ऑनलाईन भुगतान की व्यवस्था लागू की गई है। इस परियोजना में मैदानी जाँच के लिये भी मोबाईल ऐप की सुविधा भी उपलब्ध करवायी गयी है। नागरिकों को ”फायर एनओसी” ऑनलाईन देने का काम भी शुरू किया गया है।
नगरीय निकायों में राजस्व वृद्धि के उद्देश्य से जियोग्राफिकल इन्फार्मेशन सिस्टम द्वारा आधुनिक सेटेलाईट नक्शे के माध्यम से घर-घर सर्वे का काम शुरू करवाया गया है। 44 निकायों में यह काम पूरा कर लिया गया है, 79 नगरीय निकायों में काम प्रगति पर है। कई निकायों में सम्पत्ति कर की वसूली में 50 से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
सूचना प्रौद्योगिकी उन्नयन
सूचना प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना में जी.आई.एस. तकनीक पर तैयार किये गये खसरावार भूमि उपयोग मानचित्र की जानकारी के लिये 4 नगरों को आनलाईन किया जा चुका हैं।
राज्य नगर नियोजन संस्थान द्वारा 4 नगरों की वेबबेस्ड जी.आई.एस. एप्लीकेशन तैयार करवाये जाने की कार्यवाही प्रचलन में हैं।
मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना
प्रदेश के ऐसे नगरीय निकाय जहाँ भारत सरकार की अमृत योजना और बाह्य पोषित योजना में पेयजल योजनाएँ प्रस्तावित नहीं है, ऐसे नगरीय निकाय को मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना में शामिल किया गया है। योजना की शुरूआत वर्ष 2012-13 में की गई। कुल 135 नगरीय निकाय में योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में इस योजना में 122 करोड़ से ज्यादा का बजट प्रावधान है। दृष्टि-पत्र 2018 के अनुसार प्रदेश के सभी नगरों में सतही तथा स्थाई जल-स्त्रोतों से 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाना है।
नगरों में पेयजल उपलब्ध करवाने के लिये यूआईडीएसएसएमटी योजना में 114 शहर में 179 परियोजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं। अपूर्ण योजनाओं को पूर्ण करने के लिये भी 322 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सिंहस्थ-2016
राज्य सरकार ने प्रदेश में 12 वर्ष के अन्तराल पर होने वाले महापर्व सिंहस्थ का सफल आयोजन करवाया। महापर्व की तैयारी नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग ने अन्य सहयोगी विभाग के माध्यम से वर्ष 2011 से ही शुरू कर दी थी। इस अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन को भव्य और चिरस्मरणीय बनाने के लिये श्रेष्ठ व्यवस्थाएँ और आवश्यक अधोसंरचना का निर्माण करवाया गया। श्रद्धालुओं को सुगमता के लिये उज्जैन, इंदौर, देवास, ओंकारेश्वर, मंदसौर शहर में रेलवे ओव्हर-ब्रिज, पुल, सीमेन्ट-कांक्रीट सड़क के साथ क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिये नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना का निर्माण किया गया।
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