प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को जगाने का जो प्रयास किया है आज पूरा देश उस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है। प्रधानमंत्री ने आज कोई कलात्मक भाषण की झांकी न देकर जिन तथ्यों और योजनाओं से देश को अवगत कराया है वह भविष्य के हिंदुस्तान की एक रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण जैसी तीन बुराईयों को समाप्त करने का संकल्प खुलेआम दुहराया और कहा कि मेरा वादा है कि मैं जीवन भर इनसे लड़ता रहूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले साल भी मैं लाल किले पर आऊंगा और देश के सामर्थ्य और सफलता का गौरवगान करूंगा। उन्हें देश के प्रमुख विपक्षी दल की विचारधारा पर प्रहार करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव तक वे केवल बातें करते रहे जबकि हमने सरकार में आकर देश के संकल्पों को साकार कर दिखाया है। दरअसल कांग्रेस जिसे देश की विचारधारा कहती रही है वह एक परिवार के चंद सहयोगी परिवारों को पुष्ट करने का षड़यंत्र रहा है। देश के करोड़ों हाथों को काम देना कोई उपकार की बात नहीं बल्कि मानव बल का सदुपयोग करके उत्पादकता बढ़ाना है। जबकि सर्वाधिक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस इसे देश पर उपकार गिनाते नहीं थकती।राजाओं, मुगलों, अंग्रेजों, जमींदारों, साहूकारों, जमाखोरों, मिलावटखोरों से लड़ने का काम देश की आम जनता आगे बढ़कर संभालती रही है लेकिन कांग्रेसी इसे अपना किया अहसान बताने में ही लगे रहते हैं। किसी भी कांग्रेसी से पूछिए वह यही दुहराता है हमने देश को आजादी दिलाई। जबकि हकीकत ये है कि करोड़ों हिंदुस्तानियों ने बलिदान देकर अंग्रेजों को देश से भागने पर विवश किया था। गांधी नेहरू की कांग्रेस ने तो अंग्रेजों को निकल भागने के लिए सुरक्षित पैसेज उपलब्ध कराया और उसका इनाम बटोरा। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच वैमनस्य के बीज बोकर पाकिस्तान बंटवारा स्वीकार करना इसी गहरे षड़यंत्र का हिस्सा था। आजादी के बाद से लेकर जब तक कांग्रेस सत्ता में रही वह केवल फूट डालो राज करो की नीति पर ही अमल करती रही। आज भी देश में कांग्रेस को वोट देने वाला बड़ा तबका इसी तरह वैमनस्य की खेती करके अपना उल्लू सीधा करता है।केवल डेढ़ दो प्रतिशत लोगों को मंहगी सरकारी नौकरियां देकर शेष हिंदुस्तान के विरुद्ध षड़यंत्र की कलई तब खुल रही है जब भारतीय जनता पार्टी ने अंत्योदय के विचार पर अमल करके हर नागरिक को संसाधनों का बंटवारा करने की नीति पर अमल शुरु किया है। दरअसल हमेशा से यही समस्या रही है कि समाज के संसाधनों पर कुछ लोग कब्जा जमा लेते थे। कभी राजा,कभी मुगल, कभी अंग्रेज, कभी जमींदार,साहूकार और आज उन पर कब्जा बेतहाशा बढ़ते सरकारी तंत्र ने जमा लिया है। शोषण का ये कहर इतना अधिक बढ़ गया है कि लोग त्राहिमाम कर उठे हैं। जनता विद्रोह पर उतारू है। वह ये नहीं समझ पा रही है कि उसका असली खलनायक कौन है। कांग्रेस को अपना तारणहार मानने वाला तबका भाजपा को खलनायक बताने में जुटा है । भाजपा पर ये आरोप इसलिए चिपक रहा है क्योंकि लगभग दो दशक तक शासन करने के बाद भी भाजपा जनता के कंधे पर रखा ये जुआ नहीं उतार सकी है। सरकारी नौकरियों का वेतन लगातार बढ़ता जा रहा है और अमीरी गरीबी की खाई भी बढ़ती जा रही है।भाजपा ने अपने समर्थकों को सरकारी नौकरियों में भेज दिया तो शोषण का ये आंकड़ा और बढ़ गया। दिन भर में दो सौ रुपए की मजदूरी पाने वाला श्रमिक दाल,चावल,सब्जी उसी भाव पर खरीद रहा है जिस भाव पर ढाई तीन लाख रुपए मासिक वेतन पाने वाला अफसर खरीद रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पच्चीस लाख रुपए का पैकेज पाने वाले अमीर तबके से तय हो रहा है जबकि गरीब वर्ग बेवजह उसमें पिसा जा रहा है। मोदी जी जब मेरे प्यारे परिवारजन का संबोधन देते हैं को उन्हें और उनकी भाजपा को सोचना होगा कि वह अपने परिवारजनों के लिए मुखिया कैसे साबित हों। कहा गया है मुखिया मुख सो चाहिए, खान पान को एक, पाले पोसे सकल अंग तुलसी सहित विवेक । यदि मोदी जी और उनकी भाजपा कांग्रेस की छाया से बाहर नहीं निकल पाएगी और देश के संसाधनों का न्यायोचित बंटवारा नहीं कर पाएगी तो वह लाख बार कांग्रेस के परिवार वाद को गाली देती रहे जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाएगा। चंद परिवारों को जरूरत से ज्यादा संसाधन बांटने से उपभोक्ता सामग्री बनाने बेचने वाला कार्पोरेट सेक्टर तो मजबूत होता जा रहा है लेकिन वह सरकार और आम जनता दोनों का धन उलीचता जा रहा है। जनता इससे परेशान है और इससे अमीरी गरीबी के बीच खाई बढ़ती जा रही है। भाजपा ने हितग्राही मूलक योजनाओं से संसाधनों का बंटवारा आम जनता तक पहुंचाने की पहल तो की है लेकिन इसमें भी इतनी सारी शर्तें थोप दी गईं हैं कि वह संसाधन हर व्यक्ति को लाभ नहीं पहुंचा पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने खुली चुनौती है कि वे हर नागरिक तक देश के संसाधन पहुंचाना सुनिश्चित करें। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की भाजपा भी चीन्ह चीन्ह के रेवड़ी बांटने की शैली पर कार्य कर रही है। जाहिर है कि इससे जन आक्रोश बढ़ेगा और आने वाले विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में भाजपा को इसकी मंहगी कीमत चुकानी पड़ेगी। संसाधन तो सीमित हैं। कर्ज लेकर बांटने की सीमा भी निश्चित है। जाहिर है कि सरकार को निष्पक्ष होकर शल्यक्रिया करनी होगी। संसाधन रिसकर आम जनता तक पहुंचाने वाला कांग्रेसी मॉडल उसे न केवल छोड़ना होगा बल्कि अंत्योदय की विचारधारा पर अमल की नाटकबाजी छोड़कर सख्ती से अमल शुरु करना होगा। अनुत्पादक सरकारी तंत्र को पालते रहने से वह भले ही चुनावी हेराफेरी करने में थोड़ी हद तक सफल हो जाए लेकिन जन आक्रोश का सैलाब उसे न घर का रहने देगा न घाट का ।
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देश के हर घर को पीने का पानी मिलेगाः प्रहलाद पटेल
भोपाल,18 दिसंबर(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर)।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जल जीवन मिशन में जल सम्मेलन आयोजित कर जन-भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। गाँव-गाँव में पानी का पैसा जमा कराने के लिए लोगों में दायित्व बोध विकसित करने के उद्देश्य से अभियान चलाया जाएगा। मिशन में पन्ना, दमोह क्षेत्र में सिंचाई के लिए केनाल इरिगेशन के क्रियान्वयन का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। लक्ष्य पूरा करने के लिए कार्य में जल्दबाजी नहीं की जाए। जहाँ भूमिगत जल का प्रामाणिक स्रोत हो, वहीं से जल प्रदाय की व्यवस्था मिशन में सुनिश्चित की जाए। बुंदेलखंड क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इस क्षेत्र में समूह योजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में केन्द्रीय जल-शक्ति एवं खाद्य प्र-संस्करण, उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, केन्द्रीय जलशक्ति एवं जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू तथा प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव की उपस्थिति में जल जीवन मिशन और केन-बेतवा लिंक परियोजना संबंधी बैठक को संबोधित कर रहे थे। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी आन लाईन तरीके से शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जल जीवन मिशन में आँगनवाड़ी और स्कूलों को प्राथमिकता के आधार पर नल कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए। नल से जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिन बसाहटों में पूर्व से पाइप-लाइन डली हुई हैं, वे पाइप लाइन यदि कमजोर हैं तो योजना के कनेक्शन उन पाइप लाइनों से नहीं किए जाएँ। पुरानी कमजोर पाइप-लाइनों के स्थान पर पूरी नई पाइप-लाइन बिछाई जाए। इससे नई योजना का लाभ बसाहट के सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध हो सकेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जानकारी दी कि पिछली सरकार में जल जीवन मिशन में कोई कार्य नहीं हुआ था। उसके बाद कोरोना की चुनौती से निपटने के परिणाम स्वरूप जल जीवन मिशन का कार्य प्रभावित हुआ है। इन परिस्थितियों के बाद भी राज्य में जल जीवन मिशन की प्रगति संतोषजनक है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि सभी परियोजनाओं का थर्ड पार्टी मूल्यांकन आवश्यक रूप से कराया जाए। मूल्यांकन का कार्य तकनीकी रूप से दक्ष एवं सक्षम समूहों और व्यक्तियों को ही सौंपा जाए। जल जीवन मिशन में हितग्राहियों को साथ लेकर योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने से अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा और अधिक बसाहटों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने में सफलता मिलेगी। इस संबंध में मालवा और निमाड़ क्षेत्र में हो रहे नवाचारों का अनुसरण राज्य के अन्य भागों में भी किया जाना चाहिए।
जानकारी दी गई कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में मध्यप्रदेश को 8.11 लाख हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। प्रदेश के केन-कछार में 18 तहसील और 1376 गाँवों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी। बेतवा-कछार में 10 तहसील और 673 ग्रामों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी। जल जीवन मिशन में समूह नल-जल योजना में मई- 2020 से अब तक 26 लाख 88 हजार परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया है। गुणवत्तापूर्ण जल उपलब्ध कराने के लिए सभी जिलों की पेयजल परीक्षण प्रयोगशालाएँ एन.ए.बी.एल प्रमाणित हैं।
बैठक में मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री एस.एन. मिश्रा, अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री उमाकांत उमराव तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।