बालासोर 13 जून(प्रेस इंफार्मेशन सेंटर) । केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि विगत 2 जून को ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) की मूल वजह का पता चल गया है। इस बात का पता लगा लिया गया है कि हादसा क्यों हुआ।
अश्विनी वैष्णव ने कहा, “जांच पूरी हो गई है। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर जल्द रिपोर्ट देंगे। जल्द सारे तथ्य सामने आएंगे। यह साफ है कि रूट कॉज का पता चल गया है। जल्द ही सच सबके सामने लाया जाएगा। रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है। जांच रिपोर्ट आने दीजिए। हमने घटना के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली है। यह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ।” दरअसल, इस ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है। एक हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।
इस बीच सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन सिग्नल में गड़बड़ी के चलते मालगाड़ी से टकराई थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस को पहले आगे बढ़ने के लिए सिग्नल मिला फिर वापस ले लिया गया। अब यह गड़बड़ी तकनीकी खराबी के चलते हुई या इसमें किसी इंसान की भागीदारी थी इसकी जांच की गई है।
गौरतलब है कि 2 जून की शाम करीब 7 बजे हाल के वर्षों में सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ था। हादसे में तीन ट्रेनें (दो यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी) शामिल थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानागा बाजार स्टेशन के पास ट्रैक पर पहले से खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। इसके चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतर गए थे। ये डिब्बे दूसरे ट्रैक पर चले गए थे जिसपर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस तेज रफ्तार से आ रही थी। इसने पटरी पर मौजूद डिब्बों को टक्कर मार दी। दोनों पैसेंजर ट्रेनों के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।
रेल दुर्घटना ओड़िशा के बालासोर और भद्रक स्थानों के बीच में पड़ते बहानगा नामक स्थान पर हुआ ।कोरामंडल एक्सप्रेस ट्रेन को उस स्टेशन पर रूकना नहीं था, इसको ग्रीन सिग्नल दे दिया गया, ट्रेन के नज़दीक आने पर ग्रीन सिग्नल वापिस ले लिया गया और एक्सप्रेस ट्रेन को लूप लाईन की तरफ़ मोड़ भी दिया गया जबकि लूप लाईन पर पहले ही 2 माल गाडियां खड़ीं थी । कोरामंडल एक्सप्रेस ट्रेन पूरी स्पीड में थी और माल गाड़ी से टक्कर इतनी जोर से हुई कि कोरामंडल एक्सप्रेस का इंजन और कई बोगियाँ माल गाड़ी के ऊपर चढ़ गई और और पास से गुजर रही अप लाईन पर गिर गई । थोड़ी ही देर में अप लाईन पर आ रही बंगलौर हावड़ा दुरंतो ट्रेन रेलवे लाइन पर गिरी हुई बोगियों से टकरा गई ।
2012 में एक सुरक्षा प्रणाली कवच विकसित कर ली गई थी जिसमें गाड़ियों के आमने सामने आने पर भी गाड़ियों में टक्कर नहीं होती और गाड़ियाँ अपने आप रूक जाती हैं । आज के समाचारों के अनुसार आज भी भारतीय रेलवे के 19 संभागों में से सिर्फ़ एक संभाग ( सिकंदराबाद) में लगभग 1200 किलोमीटर रेल ट्रैक पर यह कवच नामक प्रणाली काम कर रही है । देश में रेलवे के पास 13215 रेलवे इंजन हैं जिनमें से सिर्फ़ 65 इस प्रणाली से लैस हैं । जानकारों का कहना है कि अगर कवच प्रणाली लगी होती तो दुरंतो ट्रेन का इंजन 400 मीटर पहले ही रूक जाता और जान माल का नुक़सान बहुत कम होता ।
लगभग एक साल पहले 4मई को सिकंदराबाद संभाग में कवच प्रणाली का परीक्षण हुआ था जिसमें रेलमंत्री अश्विन वैष्णव ने भी भाग लिया था और परीक्षण सफल रहने पर रेलमंत्री ने कवच प्रणाली से रेल इंजनों को लैस करने की घोषणा की थी परन्तु एक वर्ष में सिर्फ़ 65 रेल इंजन ही इससे लैस किए जा सके । रेलवे के सरकारी अधिकारी यदि यात्री और रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता में लेते तो ये हादसा नहीं होता ।ओडिशा में ट्रेन इसलिए टकराई क्योंकि वह गलत ट्रैक पर चली गई थी, लेकिन उसे गलत ट्रैक पर भेजा किसने? क्या कोई आदमी ट्रैक चेंज करने के लिए नियुक्त होता है जिसने लापरवाही की?
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